जबलपुर। कोरोना वायरस के संकट काल में जब पूरे समाज को डॉक्टर्स की सबसे ज्यादा जरूरत है. सरकार की लापरवाही की वजह से जूनियर डॉक्टर स्कोर हड़ताल पर जाना पड़ रहा है. दरअसल, जूनियर डॉक्टर लंबे समय से सरकार के सामने अपनी मांग के रख रहे थे, लेकिन सरकार इनकी मांगे पूरी नहीं कर रही है. अब जबकि पूरा समाज संकट में है, तब इन डाक्टरों को हड़ताल पर जाना पड़ रहा है.
खुद को नहीं मिल पा रहा इलाज
जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि वह मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में अगर उनके घर का कोई आदमी बीमार हो जाता है, तो उन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. तो कम से कम जूनियर डॉक्टर्स और उनके परिवारों के लिए कुछ विस्तर आरक्षित किए जाएं.
सुरक्षा की मांग
जूनियर डॉक्टर्स की दूसरी बड़ी मांग सुरक्षा को लेकर है, सरकार से कई सालों से वे मांग कर रहे हैं कि डॉक्टर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस मामले में कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है और अभी भी अगर किसी मरीज की जान चली जाती है. तो उसके परिजन डॉक्टर पर हमला कर देते हैं इसलिए सरकार इस पर विचार करे.
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर काम पर लौटे
वेतन संबंधी मांगे
जूनियर डॉक्टर की तीसरी बड़ी मांग वेतन को लेकर है, जिसके लिए बीते कई सालों से यह डॉक्टर सरकार के सामने अपनी मांग पेश करते रहे हैं. लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. अब डॉक्टरों का कहना है कि अगर सरकार जल्द कोई फैसला नहीं लेती है. तो वे पूरी तरह से हड़ताल पर चले जाएंगे. दुनिया डॉक्टर 6% सालाना मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और कोरोना के दौरान प्रति माह ₹10 हजार मांग रहे हैं. इसके अलावा दुनिया डॉक्टर का कहना है कि वे ग्रामीण इलाकों में सेवाएं नहीं दे पाएंगे.
वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी
फिलहाल जबलपुर मेडिकल कॉलेज के 20% जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं और अगर शुक्रवार तक सरकार ने उनकी पूरी मांगे नहीं मानी, तो जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि वह पूरी तरह से काम बंद कर देंगे. ऐसे हालात में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन प्रदीप कसार का कहना है कि उन्होंने सीनियर डॉक्टर को अपील की है कि संकट की घड़ी में वे सामने आए और अपनी सेवाएं दें ताकि मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जा सके.