जबलपुर। कोरोना काल में अपने खर्चों में कटौती करने वाले सरकारी विभागों की रेस में अब रेलवे भी शामिल हो गया है. रेल विभाग ने बिजली खपत के जरिए होने वाले खर्चों में कटौती करने का निर्णय लिया है. जिसके लिए जबलपुर रेल मंडल ने अब तकनीक का सहारा लेना शुरू कर दिया है. पहले चरण में जबलपुर रेल मंडल के मुख्य रेलवे स्टेशन और नरसिंहपुर स्टेशन के सभी प्लेटफॉर्म पर ऑटोमेटिक इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल सिस्टम की व्यवस्था की है. जिसके जरिए अब ट्रेनों के आने और गुजरने के बाद प्लेटफॉर्म की लाइट अपने आप जलेंगी और बंद हो जाएंगी.
जबलपुर रेल मंडल ने इस सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है और आने वाले दिनों में मंडल के अंतर्गत सभी स्टेशनों में इसे लागू करने की योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है. ट्रेन प्लेटफार्म पर रहे या न रहे लेकिन रेलवे की सभी लाइटें जलती रहती हैं, जिससे रेलवे के खजाने को जमकर नुकसान होता है. लेकिन इस नए सिस्टम के लागू होने के बाद ट्रेन के प्लेटफार्म पर आते ही लाइट जलने लगेंगी और प्लेटफार्म से रवाना होकर जैसे ही ट्रेन आउटर से आगे निकलेगी प्लेटफॉर्म की 70 फीसदी लाइटें तुरंत ऑटोमेटिक सिस्टम के जिए बंद हो जाएंगी.
लाखों की होगी बचत
इस नए तकनीक के इस्तेमाल से रेलवे को सालाना लाखों रुपए की बचत होने का अनुमान लगाया जा रहा है. जबलपुर के रेल मंडल प्रबंधक संजय विश्वास का दावा है कि स्वचलित लाइट नियंत्रण सिस्टम की स्थापना से दिन और रात में होने वाली बिजली की खपत पर काफी हद तक तक रोक लगेगी. दरअसल रेलवे ने बिजली की बचत के जरिए खर्चों में कटौती का यह आइडिया मुसाफिरों की कम होती भीड़ को देखकर लिया गया है. आम दिनों में यात्रियों की स्टेशनों पर हमेशा भीड़ लगी रहती है, जिसके चलते प्लेटफार्म और अन्य ऑफिस की लाइटें और बिजली के अन्य उपकरणों को चलाया जाना बेहद जरूरी होता था, लेकिन मौजूदा दौर में स्टेशन पर सीमित लोग ही पहुंच पा रहे हैं.
बिजली सिस्टम का सर्किट विभाजन
जबलपुर रेल मंडल ने इस नए प्रयोग को अमलीजामा पहनाकर बिजली खपत के खर्चों में कटौती का बड़ा फैसला लिया है. इसके अलावा जबलपुर रेल मंडल ने जबलपुर स्टेशन के बिजली सिस्टम को 30 और 70 फीसदी के सर्किट में विभाजित किया है और जरूरत के मुताबिक ही बिजली का इस्तेमाल किया जा सकेगा.