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जनसंख्या नीति को लेकर HC में याचिका दायर, वर्ष 2000 की जनसंख्या नीति लागू करने की मांग

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसके जरिए वर्ष 2000 में लागू की गई जनसंख्या नीति को पूरी तरह से प्रदेश में लागू किए जाने की मांग की गई है.

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जनसंख्या नीति
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Published : Jul 28, 2021, 10:09 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसके जरिए वर्ष 2000 में लागू की गई जनसंख्या नीति को पूरी तरह से प्रदेश में लागू किए जाने की मांग की गई है. यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे की ओर से दायर की गई है.

जनसंख्या नीति लागू करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में जनवरी 2000 में लागू की गई जनसंख्या नीति पूर्णत: लागू की जाए, ताकि इस नीति में तय किए गए लक्ष्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण हो सके. इसके साथ ही राहत मांगी गई है कि उक्त नीति की समीक्षा एवं विश्लेषण किया जाए, ताकि उसकी कमजोरियां सामने आ सकें और भविष्य के लक्ष्य फिर से निर्धारित हो सके. उक्त नीतियों का पालन करने के लिए निष्क्रिय पड़ी समितियों को पुर्नजीवित किया जाए तथा उन्हें अपना रिकॉर्ड हाई कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए जाएं.

याचिका में कहा गया है कि मप्र में जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. पिछले 10 सालों में वह 20 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 17 प्रतिशत है. आवेदक का कहना है कि प्रदेश में वर्ष 2000 में जनसंख्या नीति लागू की थी, लेकिन पिछले 10 वर्षो से उक्त नीति की न तो समीक्षा हुई और न ही विश्लेषण हुआ. आवेदक का कहना है कि उक्त नीति में यह तय किया गया था कि टोटल फर्टिलिटी रेट 2.1 होना चाहिए, जिससे प्रतिवर्ष बढ़ने वाली जनसंख्या 1.1 मिलियन प्रतिवर्ष घटकर केवल एक मिलियन तक आ सके, लेकिन उक्त नीति कागजों तक ही सीमित रह गई.

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इतना ही नहीं इसे लागू करने राज्य स्तर पर दो उच्च स्तरीय कमेटियां व जिला स्तर पर भी कमेटी बनी, लेकिन सभी निष्क्रिय पड़ी हुई हैं. आवेदक का कहना है कि जनसंख्या में भारी वृद्धि होने से प्रदेश के स्त्रोत घट रहे है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसके जरिए वर्ष 2000 में लागू की गई जनसंख्या नीति को पूरी तरह से प्रदेश में लागू किए जाने की मांग की गई है. यह जनहित याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे की ओर से दायर की गई है.

जनसंख्या नीति लागू करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में जनवरी 2000 में लागू की गई जनसंख्या नीति पूर्णत: लागू की जाए, ताकि इस नीति में तय किए गए लक्ष्य निर्धारित समयावधि में पूर्ण हो सके. इसके साथ ही राहत मांगी गई है कि उक्त नीति की समीक्षा एवं विश्लेषण किया जाए, ताकि उसकी कमजोरियां सामने आ सकें और भविष्य के लक्ष्य फिर से निर्धारित हो सके. उक्त नीतियों का पालन करने के लिए निष्क्रिय पड़ी समितियों को पुर्नजीवित किया जाए तथा उन्हें अपना रिकॉर्ड हाई कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए जाएं.

याचिका में कहा गया है कि मप्र में जनसंख्या वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. पिछले 10 सालों में वह 20 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 17 प्रतिशत है. आवेदक का कहना है कि प्रदेश में वर्ष 2000 में जनसंख्या नीति लागू की थी, लेकिन पिछले 10 वर्षो से उक्त नीति की न तो समीक्षा हुई और न ही विश्लेषण हुआ. आवेदक का कहना है कि उक्त नीति में यह तय किया गया था कि टोटल फर्टिलिटी रेट 2.1 होना चाहिए, जिससे प्रतिवर्ष बढ़ने वाली जनसंख्या 1.1 मिलियन प्रतिवर्ष घटकर केवल एक मिलियन तक आ सके, लेकिन उक्त नीति कागजों तक ही सीमित रह गई.

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इतना ही नहीं इसे लागू करने राज्य स्तर पर दो उच्च स्तरीय कमेटियां व जिला स्तर पर भी कमेटी बनी, लेकिन सभी निष्क्रिय पड़ी हुई हैं. आवेदक का कहना है कि जनसंख्या में भारी वृद्धि होने से प्रदेश के स्त्रोत घट रहे है.

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