जबलपुर। जबलपुर की लाइफ लाइन कही जाने वाली मेट्रो बस सेवा आज आईसीयू में पहुंच गई है. शहर से करीब 100 से ज्यादा मेट्रो बसें रोजाना संचालित होती थीं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से आज ये बसें कबाड़ हो गई हैं. आलम ये है कि, 125 बसों में से महज 10 से 15 बसें ही संचालित हो रही हैं.
हर महीने 13 लाख का घाटा
लॉकडाउन खुलने के बाद जनता की सहूलियत के लिए पिछले 3 माह से संचालित मेट्रो बसें फिर बंद होने की कगार पर पहुंच गई हैं. जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिडेट (जेसीटीएसएल) ने कोरोना संक्रमण के बीच नागरिकों को सुरक्षित तरीके से आने- जाने के लिए जैसे- तैसे मेट्रो बस सेवा शुरू करवाई, लेकिन इन बसों को सवारियां ही नहीं मिल रही हैं. ऐसे में मेट्रो बस ऑपरेटर को हर महीने अब करीब 13 लाख रुपए के घाटे से गुजरना पड़ रहा है.
23 हजार का हर दिन नुकसान
कोरोना महामारी के चलते ज्यादातर लोग इन दिनों अपने घरों पर ही हैं. दफ्तर बाजार आने- जाने के लिए जो लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं. वो भी अपने स्वयं के वाहन का उपयोग भी कर रहे हैं, वर्तमान में स्कूल कॉलेज भी पूरी तरह से बंद हैं. जिसके कारण मेट्रो बसों को सवारी भी नहीं मिल रही है. कोरोना काल से पहले तक जहां मेट्रो बसों की कमाई प्रतिदिन के हिसाब से 35 सौ रुपये थी, वहीं अब घटकर एक हजार से भी कम पर पहुंच गई है. वर्तमान में जबलपुर शहर में करीब 10 बसें ऐसे ही संचालित की जा रही हैं. जिसमें कि रोजाना कंपनियों को करीब 23 हजार रुपए का घाटा वहन करना पड़ रहा है.
20 बस की थी शुरू, अब 10 ही चल रही हैं
जेसीटीएसएल ने लॉकडाउन खुलने के बाद जून में 20 मेट्रो बसें चलवाई थी, रूट पर सवारी ना मिलने के बाद वर्तमान में इन रूटों पर अब 10 बसें चलाई जा रही हैं, लेकिन इन बसों को भी सवारी नहीं मिल रही है. 1 दिन में बमुश्किल 70 से 80 सवारी ही एक बस को मिल पा रही हैं. वर्तमान में बसों का संचालन बमुश्किल ही हो पा रहा है.
चालक-परिचालक हुए बेरोजगार
सीईओ जेसीटीएसएल सचिन विश्वकर्मा बताते हैं कि, मौजूदा वक्त में मेट्रो बसों को सवारियां नहीं मिल रही हैं. जिसके चलते लगातार घाटा झेलना पड़ रहा है. वहीं बहुत से चालक परिचालक भी मेट्रो बसों के संचालित ना होने के चलते बेरोजगार हो गए हैं. कोरोना काल के चलते लॉकडाउन और अनलॉक होना कई चालकों परिचालकों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. बसों के संचालित ना होने से आज सैकड़ों चालक परिचालक बेरोजगार हो गए. जिनके सामने दो वक्त की रोटी के इंतजाम करना भी बहुत मुश्किल हो रहा है. ऐसे में अब इन चालकों और परिचालकों को भी इंतजार है कि, कब यह मेट्रो बसें सुचारु रुप से चलेंगी और उनको रोजगार मिलेगा.
80 प्रतिशत मेट्रो बसे रेल पर निर्भर
शहर में संचालित होने वाली सबसे ज्यादा मेट्रो बसें रेलवे पर ही निर्भर थी और ये बसें ज्यादातर रेलवे स्टेशन से ही यात्रियों को लेकर इधर से उधर जाती थीं. कोरोना काल में ज्यादातर ट्रेनें आज भी बंद हैं. जिसके चलते मेट्रो बसों को भी सवारियां नहीं मिल रही हैं और आज मेट्रो बसों के ना चलने का सबसे बड़ा कारण भी रेल है, क्योंकि ज्यादातर रेल में सफर करने वाले यात्री ही स्टेशन से मेट्रो बसों को पकड़कर अपने गंतव्य स्थान तक जाते थे.