जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल घगट ने कहा कि जालसाजी व धेखाधड़ी को आपसी विवाद करार देकर पुलिस पल्ला नहीं झाड़ सकती है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस इसे गंभीर अपराध मानते हुए रेग्यूलेशन एक्ट के प्रावधानों का पालन करे. कोर्ट ने प्रदेश के गृह और विधि सचिव को संबंधित अधिकारियों को आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं.
यह है मामला ?
याचिकाकर्ता राजेन्द्र सिंह पवार सहित उनके तीन भाईयों की तरफ से याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया था कि उनकी जमीन को अपना बताकर भोपाल निवासी श्रीधर इंगले ने उसका सौदा कर एडवांस के तौर पर पैसा ले लिया है. इस संबंध में उन्होंने लार्डगंज थाने में लिखित शिकायत की थी. शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं करते हुए पुलिस ने धारा 155 के तहत उसे असंज्ञेय अपराध मान लिया. श्रीधर इंगले पूर्व में इस प्रकार के अपराधिक कृत्य कर चुका है. जिसके खिलाफ प्रकरण भी दर्ज है. वहीं याचिकाकर्ता ने श्रीधर इंगले के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने आदेश जारी किया है.
कोर्ट के आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्यप्रदेश पुलिस रेग्युलेशन की धारा 44 के तहत शिकायत को जनरल डायरी में दर्ज करना आवश्यक है. इसके अलावा डायरी में दर्ज शिकायत नंबर भी आवेदक को दिया जाना चाहिए. प्रकरण की जांच कर विवेचना अधिकारी को संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध के कारणों का लिखित रूप से उल्लेख कर आवेदक को अवगत कराना आवश्यक है. विवेचना 15 दिनों में पूरी होनी चाहिए. विशेष परिस्थिति में अधिकतम 42 दिनों में विवेचना की जाए. विवेचना अधिकारी अपराध के संबंध में गलत कारणों का उल्लेख करता है, तो उसके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई होनी चाहिए. इसी प्रकरण विवेचना में 42 दिनों से अधिक का समय लिया जाता है, तो विवेचक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का अधिकार पुलिस अधीक्षक कर सकते हैं. पुलिस अधीक्षक को समय-समय पर जनरल डायरी की जांच करना चाहिए. जनरल डायरी में प्रतिदिन की रिपोर्ट लिखना आवश्यक है. इस संबंध में अपैक्स कोर्ट ने पूर्व में दिशा-निर्देश जारी किए हैं.