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रिश्वत लेना व देना दोनों अपराध, करो मामला दर्जः हाईकोर्ट - Justice Atul Sreedharan

जमानत के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले में अग्रिम जमानत के लिए आरोपियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जस्टिस अतुल श्रीधरन ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि शिकायतकर्ता ने जनसेवक होने के बावजूद भी जमानत के लिए रिश्वत दी. एकलपीठ ने शिकायतकर्ता के लिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये हैं. एकलपीठ ने सीबीआई को प्रकरण दर्ज कर याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच के निर्देश दिये हैं. इसके अलावा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाने के निर्देश हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Dec 29, 2020, 9:32 PM IST

जबलपुर। जमानत के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले में अग्रिम जमानत के लिए आरोपियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जस्टिस अतुल श्रीधरन ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि शिकायतकर्ता ने जनसेवक होने के बावजूद भी जमानत के लिए रिश्वतदी. एकलपीठ ने शिकायतकर्ता के लिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये हैं. एकलपीठ ने सीबीआई को प्रकरण दर्ज कर याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच के निर्देश दिये हैं. इसके अलावा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाने के निर्देश हाईकोर्ट रजिस्टार को देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

गाजीपुर निवासी सूरजमल अम्बेडर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि एनसीएल सिंगरौली में कोल माइंस का टेंडर दिलवाने के नाम पर जीएम कार्यालय में पदस्थ बाबू के पद पर पदस्थ दिलीप कुमार श्रीवास्तव को दस लाख रूपये रिश्वत में दिये थे. उसका कहना था कि अधिकारियों से सेटिंग हो गई है. टेंडर कंपनी को मिलेगा. रिश्वत की उक्त रकम उसने स्वंय तथा अपने कर्मचारी संतोश कुमार पानकी तथा ड्राइवर बुध्दसेन पटैल के माध्यम से दी थी. टेण्डर नहीं मिलने पर रकम वापस मानने पर दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने उनके खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज करवा दिया.

शिकायत में कहा गया था कि बलात्कार तथा पॉक्सो के अपराध में उनका बेटा जेल में निरूध्द है. सर्वोच्च न्यायालय में जज से सेटिंग कर जमानत दिलवाने के नाम पर दस लाख रूपये लिए हैं. पुलिस द्वारा धारा 420 व 120 के तहत दर्ज प्रकरण में अग्रिम जमानत के लिए उक्त याचिका दायर की गई है.

याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के बैंक खाते में पैसे डाले हैं. इसलिए याचिकाकर्ता का यह दावा गलत है कि उसने शिकायतकर्ता से एक रूपये भी नहीं लिया है. इसके अलावा संजीव शर्मा नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया था कि उसने 52 हजार रूपये जमा करवाये थे.जिसकी रसीद उससे खो गयी है. जबकि पुलिस को जांच में रसीद की प्रति मिली है.

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि लोक सेवक होने के बावजूद भी शिकायतकर्ता ने बेटे की जमानत के लिए रिश्वत दी. एकलपीठ ने पुलिस महानिर्देशक को आदेशित किया है कि ऐसी शिकायत पर रिश्वत देने वाले के खिलाफ भी कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. इस संबंध में वह सभी पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी करें. एकलपीठ ने सीबीआई को निर्देशित किया है कि वह प्रकरण दर्ज की याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच करें.

जबलपुर। जमानत के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले में अग्रिम जमानत के लिए आरोपियों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जस्टिस अतुल श्रीधरन ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि शिकायतकर्ता ने जनसेवक होने के बावजूद भी जमानत के लिए रिश्वतदी. एकलपीठ ने शिकायतकर्ता के लिए एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये हैं. एकलपीठ ने सीबीआई को प्रकरण दर्ज कर याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच के निर्देश दिये हैं. इसके अलावा अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाने के निर्देश हाईकोर्ट रजिस्टार को देते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

गाजीपुर निवासी सूरजमल अम्बेडर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि एनसीएल सिंगरौली में कोल माइंस का टेंडर दिलवाने के नाम पर जीएम कार्यालय में पदस्थ बाबू के पद पर पदस्थ दिलीप कुमार श्रीवास्तव को दस लाख रूपये रिश्वत में दिये थे. उसका कहना था कि अधिकारियों से सेटिंग हो गई है. टेंडर कंपनी को मिलेगा. रिश्वत की उक्त रकम उसने स्वंय तथा अपने कर्मचारी संतोश कुमार पानकी तथा ड्राइवर बुध्दसेन पटैल के माध्यम से दी थी. टेण्डर नहीं मिलने पर रकम वापस मानने पर दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने उनके खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज करवा दिया.

शिकायत में कहा गया था कि बलात्कार तथा पॉक्सो के अपराध में उनका बेटा जेल में निरूध्द है. सर्वोच्च न्यायालय में जज से सेटिंग कर जमानत दिलवाने के नाम पर दस लाख रूपये लिए हैं. पुलिस द्वारा धारा 420 व 120 के तहत दर्ज प्रकरण में अग्रिम जमानत के लिए उक्त याचिका दायर की गई है.

याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के बैंक खाते में पैसे डाले हैं. इसलिए याचिकाकर्ता का यह दावा गलत है कि उसने शिकायतकर्ता से एक रूपये भी नहीं लिया है. इसके अलावा संजीव शर्मा नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया था कि उसने 52 हजार रूपये जमा करवाये थे.जिसकी रसीद उससे खो गयी है. जबकि पुलिस को जांच में रसीद की प्रति मिली है.

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि लोक सेवक होने के बावजूद भी शिकायतकर्ता ने बेटे की जमानत के लिए रिश्वत दी. एकलपीठ ने पुलिस महानिर्देशक को आदेशित किया है कि ऐसी शिकायत पर रिश्वत देने वाले के खिलाफ भी कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए. इस संबंध में वह सभी पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी करें. एकलपीठ ने सीबीआई को निर्देशित किया है कि वह प्रकरण दर्ज की याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच करें.

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