जबलपुर। जबलपुर में अपने मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म देखी होगी, उसमें फर्जी तरीके से एक आदमी डॉक्टर बन जाता है. इसी तरीके से जबलपुर बार काउंसिल ने दो फर्जी वकीलों की पहचान की है जिन्होंने फर्जी डिग्री के आधार पर बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवा रखा है. मध्यप्रदेश बार काउंसिल के उपाध्यक्ष का कहना है कि "अब सभी वकीलों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जो लोग वकालत कर रहे हैं उन्हें जेल भेजने का काम किया जाएगा." (Jabalpur Farzi LLB Advocate)
फर्जी वकीलों की मिली थी शिकायत: मध्य प्रदेश बार काउंसिल में मझौली के एडवोकेट अभिषेक राय और इंदौर के एडवोकेट अमित के खिलाफ शिकायत मिली थी. इनकी LLB की डिग्री की जांच किए जाने की मांग की गई थी क्योंकि ऐसी सूचना मिली थी कि ये दोनों फर्जी वकील हैं. शिकायतों पर जब जांच की गई तो पता लगा कि अभिषेक राय जो मझौली में वकालत की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उन्होंने डिब्रूगढ़ से LLB की डिग्री ली है बार काउंसिल ने डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी के लिए चिट्ठी लिखी और अभिषेक राय की डिग्री की जांच की गई. डिब्रूगढ़ की यूनिवर्सिटी ने अभिषेक राय की डिग्री को फर्जी बता दिया. इसी तरीके से इंदौर के अमित की LLB की डिग्री तो फर्जी नहीं निकली. लेकिन इनकी 12वीं की मार्कशीट फर्जी पाई गई.
दोनों को मिला नोटिस, मांगा जवाब: मध्य प्रदेश बार काउंसिल के उपाध्यक्ष आरके सिंह सैनी का कहना है कि "फिलहाल इन दोनों को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. अभी तक दोनों ने जवाब नहीं दिया है. यदि इनकी ओर से कोई जवाब नहीं आता है तो कागजातों के आधार पर इन दोनों के ही खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. पहले इनकी सनद रद्द की जाएगी. इसके बाद इन दोनों Munna Bhai LLB के खिलाफ थाने में जालसाजी का मुकदमा भी दर्ज करवाया जाएगा. आरके सिंह सैनी ने बताया कि "इस घटना के बाद से ही बार काउंसिल सतर्क हो गया है और सभी अधिवक्ताओं के दस्तावेज जांच रहा है. किसी में भी यदि गड़बड़ी होने की संभावना मिली तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."
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प्रेम नारायण सिंह केस: जबलपुर में प्रेम नारायण सिंह मामले के नाम से एक मामला मशहूर है जिसमें एडवोकेट पीएन सिंह का बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन था. लेकिन उनकी मृत्यु हो गई और उनके ही नाम और रजिस्ट्रेशन का इस्तेमाल करके पीएन सिंह नाम के दूसरे शख्स ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 17 सालों तक वकालत की. पुराने वकील बताते हैं कि "प्रेम नारायण सिंह मीसा का एक्सपर्ट वकील माना जाता था और कई सीनियर वकील पीएन सिंह से सलाह मानते थे. लेकिन 17 सालों बाद प्रेम नारायण सिंह के खिलाफ किसी ने शिकायत की और जांच करने पर पता लगा कि प्रेम नारायण सिंह के नाम से जो आदमी हाईकोर्ट में वकालत कर रहा है वह फर्जी है. फिर इस फर्जी वकील को सजा हुई.
कौन कर सकता है वकालत: वकील बनने के लिए एलएलबी की डिग्री अनिवार्य है. कोई भी छात्र बीए के बाद भी एलएलबी कर सकता है. इसी का एक दूसरा कोर्स 5 साल का है जिसे बीए एलएलबी के नाम से जाना जाता है. एलएलबी की डिग्री के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया एक टेस्ट लेता है. इस टेस्ट को किसी भी वकील को पास करने के लिए चार मौके दिए जाते हैं. यदि एक टेस्ट पास कर लेता है तो वकालत करने का मौका मिलता है. बार काउंसिल हर वकील का रजिस्ट्रेशन करती है. इसमें एलएलबी के छात्र की दसवीं से लेकर एलएलबी तक की डिग्री और दस्तावेजों को जांचा परखा जाता है. तब जाकर वकालत करने की अनुमति मिलती है.