जबलपुर। शहर में नगर निगम ने अतिक्रमण के नाम पर एक गरीब का ठेला बीच बाजार में लाकर तोड़ दिया. यह गरीबों के लिए मात्र ₹10 में चार समोसे बेचा करता था. जब ठेला तोड़ा गया तब वह सड़क पर नहीं बल्कि घर में खड़ा हुआ था. वह सड़क पर ठेला ना लगाए इसलिए प्रशासन ने इस गरीब का ठेला घर के अंदर से लाकर तोड़ दिया. विरोध करने वाले परिवार के तीन सदस्यों को प्रशासन ने जेल भेज दिया. अतिक्रमण की यह करवाई समझ से परे है.
अब जबलपुर में नहीं मिलेंगे ₹10 के चार समोसे: जबलपुर की कोतवाली थाने के ठीक सामने अमन साहू, अंकित साहू और अभिराज साहू एक समोसे का ठेला चलाते थे. इस महंगाई के दौर में यहां ₹10 के चार समोसे बेचे जाते थे इसके अलावा दूसरी सस्ती मिठाइयां भी यहां मिलती थी. इसलिए इनकी दुकान पर गरीब आदमी अपनी भूख मिटाने के लिए जाता था. बुधवार को जबलपुर नगर निगम ने इनका समोसे का ठेला तोड़ दिया.
अतिक्रमण की कार्यवाही के चलते नहीं लगाया था ठेला: साहू परिवार इसी दुकान के भरोसे अपना जीवन यापन कर रहा था. इस परिवार के पास बहुत पैसा नहीं है. लेकिन इन्होंने किसी तरह पैसे इकट्ठे कर किया ठेला बनवाया था और सड़क किनारे दुकान लगाकर यह लोग इस पर सामान बेचा करते थे. बुधवार को सड़क से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के नाम पर इस पूरे इलाके में सूचना जाहिर की गई थी. इसी के चलते साहू परिवार ने सड़क पर ठेला नहीं लगाया था.
गली के अंदर से निकाल कर तोड़ा ठेला: अतिक्रमण हटाने वाले दस्ते ने पहले गली के भीतर उनके घर के सामने खड़े हुए ठेले को सड़क पर निकला और इसके बाद उसे जेसीबी से पूरी तरह तोड़ दिया. जबकि यहां खड़े हुए लोग कह रहे थे कि यदि आपको कार्यवाही करनी भी है तो आप ठेला जप्त कर लो पर किसी की रोजी-रोटी को इस तरह बर्बाद मत करो. प्रशासन यही नहीं रुका बल्कि परिवार के तीन सदस्यों को अविनाश, अमन और अंकित साहू को प्रशासन ने जेल भी भेज दिया. इन्हें सड़क पर समोसा बेचने की सजा दी गई है.
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सड़क से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही: जबलपुर में बीते कुछ दिनों से सड़क से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही है. सड़क पर अक्सर दुकानदार सेट बनाकर गाड़ियां खड़ी करके अतिक्रमण करते हैं. इन्हें हटाना जरूरी है ताकि यहां आवागमन सुचारू रूप से चले. इसी बीच में कुछ लोग यहां सड़क पर दुकान लगाकर भी कारोबार करते हैं. इनकी वजह से लोगों का आवागमन बाधित होता है लेकिन प्रशासन स्थाई अतिक्रमण नहीं तोड़ता.
क्या हुआ पथ विक्रेता लाइसेंस का: सड़क पर दुकान लगाने वाले लोगों को हटाना सही है, लेकिन क्या इन गरीबों को व्यापार करने का हक नहीं है. क्या नगर निगम को इन्हें कोई सार्वजनिक स्थल महिया नहीं करवाना चाहिए. जहां आम आदमी व्यापार कर सके भारत में सड़क पर काम करने वाले लोगों के लिए पथ विक्रेता का लाइसेंस बनाने की भी सुविधा है. जरा सोचिए सरकारी नौकरियां सभी को नहीं दी जा सकती, सभी लोग बड़ी महंगी दुकान नहीं खरीद सकते, सभी लोगों के पास खेती की जमीन नहीं है. फिर एक मेहनतकश आदमी यदि व्यापार करना चाहता है तो वह कहां जाएगा. उसके लिए प्रशासन ने क्या व्यवस्था की है. यदि वह सड़क पर दुकान लगता है तो क्या हुआ अपराधी हो गया. क्या उसका अपराध इतना बड़ा है कि उसकी दुकान तोड़ दी जाए और उसे जेल भेज दिया जाए.