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Jabalpur Congress Rally: मैहर को जिला बनाने की घोषणा के बाद सिहोरा में कांग्रेस ने निकाली रैली, लोगों में आक्रोश

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 6, 2023, 4:48 PM IST

सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा नहीं की गई तो इसका नुकसान एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को उठाना पड़ सकता है. सिहोरा विधानसभा बीते तीन चुनाव से बीजेपी के पास है. यहां से नंदिनी मरावी विधायक हैं. नंदिनी मरावी ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपने विधानसभा क्षेत्र में आमंत्रित भी किया है, लेकिन मुख्यमंत्री समय नहीं निकल पा रहे हैं. वहीं, सीहोरा में कांग्रेस ने मैहर को जिला बनाने की घोषणा को लेकर रैली निकालकर विरोध जताया.

Congress rally in Sehora
सीहोरा में कांग्रेस की रैली
सीहोरा में कांग्रेस की रैली

जबलपुर। चुनावी साल में सीएम शिवाराज सिंह चौहान मंच से एक के बाद एक नये जिले का एलान कर रहे हैं. ऐसे में मैहर को एमपी का 57 वां जिला बनाने की घोषणा कर दी गई है. मैहर के लोग खुश हैं, लेकिन जबलपुर के सिहोरा में कांग्रेस की ओर से शिवराज सरकार के खिलाफ रैली निकाली गई. इसमें सिहोरा के लोग शामिल हुए. सिहोरा के लोग इस बात से नाराज हैं कि बीते 20 सालों से वे उम्मीद में बैठे थे कि सिहोरा को नया जिला बनाने की घोषणा की जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने उनकी बात को नजरअंदाज किया है. उन्होंने सिहोरा के विषय में एक शब्द नहीं बोले.

सिहोरा को जिला बनाने में आ रही समस्या: सिहोरा एक समय मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील हुआ करती थी. बड़े भू-भाग में बसा हुआ यह क्षेत्र जबलपुर मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके कुछ इलाके जबलपुर से 100 किलोमीटर की दूरी पर भी हैं. सिहोरा के लोगों का आरोप है कि जिला मुख्यालय से ज्यादा दूरी पर होने की वजह से उनका पर्याप्त विकास नहीं हो पा रहा है. यही हाल कटनी के कोने पर बसे हुए कुछ गांव का भी है इसलिए इस पूरे इलाके में एक नया जिला बनाने की लंबे समय से मांग चल रही है, जिसमें कटनी के दो ब्लॉक और जबलपुर के सिहोरा तहसील के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक नया जिला बनाने की बात कही जा रही है.

इस मांग के बाद जबलपुर के राजस्व अधिकारियों से भी सरकार ने सलाह ली है लेकिन इस नए जिले को बनाने में एक समस्या यह आ रही है कि सिहोरा नया जिला बनता है तो नए सिरे से परिसीमन करना होगा. क्योंकि एक विधानसभा क्षेत्र दो जिलों में नहीं हो सकता. परिसीमन के बाद ही नए जिले का स्वरूप तय किया जा सकता है. इन्हीं सब परेशानियों की वजह से फिलहाल सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा की संभावना नजर नहीं आती.

ये भी खबरें यहां पढ़ें:

आरएसएस पदाधिकारी ने जताया खेद: सिहोरा के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी रमेश साहू ने सिहोरा की उपेक्षा को लेकर दु:ख व्यक्त किया है. रमेश साहू मीसा बंदी रहे हैं और उन्हें लोकतंत्र सेनानी की पेंशन मिलती है, लेकिन रमेश साहू ने घोषणा की है कि उन्हें यह पेंशन नहीं चाहिए और यह सम्मान वापस करते हैं. जब तक सरकार सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा नहीं करती तब तक वे यह सम्मान नहीं लेंगे.

विधायक बिश्नोई का विरोध: सिहोरा को जिला बनाए जाने की मांग का बीजेपी के विधायक और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय बिश्नोई विरोध कर रहे हैं. बीजेपी विधायक अजय बिश्नोई का कहना है कि "जिला बनाने की घोषणा को लेकर उनके पुराने अनुभव ठीक नहीं हैं और इसके ठीक परिणाम नहीं मिलते. कुंडम के लोग भी इस बात का विरोध कर रहे हैं कि सिहोरा को जिला बनाया जाए.

सीहोरा में कांग्रेस की रैली

जबलपुर। चुनावी साल में सीएम शिवाराज सिंह चौहान मंच से एक के बाद एक नये जिले का एलान कर रहे हैं. ऐसे में मैहर को एमपी का 57 वां जिला बनाने की घोषणा कर दी गई है. मैहर के लोग खुश हैं, लेकिन जबलपुर के सिहोरा में कांग्रेस की ओर से शिवराज सरकार के खिलाफ रैली निकाली गई. इसमें सिहोरा के लोग शामिल हुए. सिहोरा के लोग इस बात से नाराज हैं कि बीते 20 सालों से वे उम्मीद में बैठे थे कि सिहोरा को नया जिला बनाने की घोषणा की जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने उनकी बात को नजरअंदाज किया है. उन्होंने सिहोरा के विषय में एक शब्द नहीं बोले.

सिहोरा को जिला बनाने में आ रही समस्या: सिहोरा एक समय मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील हुआ करती थी. बड़े भू-भाग में बसा हुआ यह क्षेत्र जबलपुर मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है. इसके कुछ इलाके जबलपुर से 100 किलोमीटर की दूरी पर भी हैं. सिहोरा के लोगों का आरोप है कि जिला मुख्यालय से ज्यादा दूरी पर होने की वजह से उनका पर्याप्त विकास नहीं हो पा रहा है. यही हाल कटनी के कोने पर बसे हुए कुछ गांव का भी है इसलिए इस पूरे इलाके में एक नया जिला बनाने की लंबे समय से मांग चल रही है, जिसमें कटनी के दो ब्लॉक और जबलपुर के सिहोरा तहसील के कुछ हिस्सों को मिलाकर एक नया जिला बनाने की बात कही जा रही है.

इस मांग के बाद जबलपुर के राजस्व अधिकारियों से भी सरकार ने सलाह ली है लेकिन इस नए जिले को बनाने में एक समस्या यह आ रही है कि सिहोरा नया जिला बनता है तो नए सिरे से परिसीमन करना होगा. क्योंकि एक विधानसभा क्षेत्र दो जिलों में नहीं हो सकता. परिसीमन के बाद ही नए जिले का स्वरूप तय किया जा सकता है. इन्हीं सब परेशानियों की वजह से फिलहाल सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा की संभावना नजर नहीं आती.

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आरएसएस पदाधिकारी ने जताया खेद: सिहोरा के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी रमेश साहू ने सिहोरा की उपेक्षा को लेकर दु:ख व्यक्त किया है. रमेश साहू मीसा बंदी रहे हैं और उन्हें लोकतंत्र सेनानी की पेंशन मिलती है, लेकिन रमेश साहू ने घोषणा की है कि उन्हें यह पेंशन नहीं चाहिए और यह सम्मान वापस करते हैं. जब तक सरकार सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा नहीं करती तब तक वे यह सम्मान नहीं लेंगे.

विधायक बिश्नोई का विरोध: सिहोरा को जिला बनाए जाने की मांग का बीजेपी के विधायक और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय बिश्नोई विरोध कर रहे हैं. बीजेपी विधायक अजय बिश्नोई का कहना है कि "जिला बनाने की घोषणा को लेकर उनके पुराने अनुभव ठीक नहीं हैं और इसके ठीक परिणाम नहीं मिलते. कुंडम के लोग भी इस बात का विरोध कर रहे हैं कि सिहोरा को जिला बनाया जाए.

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