जबलपुर। सिटीजंस फॉर नेचर नाम के एक संगठन ने एक अनोखी मुहिम शुरू की है, जिसे बटरफ्लाई वॉक का नाम दिया गया है. इस संगठन में प्रकृति प्रेमियों की टोली है. इसमें शहर की कुछ नामी डॉक्टर, वन्य प्राणी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और आम प्रकृति प्रेमी शामिल हैं. यह सभी लोग जबलपुर के आसपास के जंगलों में कैमरे लेकर निकल जाते हैं और हमारे आसपास के वन्य जीवन के साथ ही जैव विविधता की बेहतरीन फोटोग्राफी करते हैं. इन लोगों ने सैकड़ों किस्म की तितलियां खोजी हैं, जो पहले हमारे आसपास होती थीं. अब उड़कर जंगलों में चली गई हैं.
नायाब तितलियां भी पाई गईं: इसी ग्रुप के एक सदस्य डॉ. विजय यादव ने बताया कि "भारत में मध्य भारत का इलाका जो नर्मदा किनारे है वह जैव विविधता से भरा हुआ है और इसमें उत्तर भारत और दक्षिण भारत से अलग विशेष किस्म की जैव विविधता देखने को मिलती है. यहां गर्मियों के पेड़-पौधे भी हैं, ठंड के पेड़ पौधे भी हैं. इसके साथ यहां मॉनसूनी पेड़-पौधे भी बहुत ज्यादा हैं. मतलब तीनों मौसम से जुड़े हुए पेड़-पौधों की सैकड़ों प्रजातियां यहां हैं. इसकी वजह से यहां कीट पतंग की भी कई प्रजातियां पाई जाती हैं."
उन्होंने बताया कि "प्रकृति प्रेमियों ने यहां अब तक 127 से ज्यादा प्रजाति की तितलियों को चिह्नित किया है जो जबलपुर के आसपास पाई जाती हैं. इनमें कुछ ऐसी तितलियां भी हैं जिन्हें कभी-कभार ही देखा जाता है. इनमें ओरिएंटल रेड आई नाम की एक तितली है जिसकी आंखें लाल होती है. इसके अलावा कॉमन लाइम, कॉमन बैंडेड रेड आई, ट्राई कलर पाइड फ्लैट, कॉमन ग्रास येलो, जेब्रा ब्लू, कॉमन एमिग्रेंट, ग्रे पेंसी, प्लेन टाइगर, स्ट्राइप्ड टाइगर, क्रिमसन रोज, स्मॉल ग्रास, येलो प्लेन क्यूपिड नाम की तितलियां भी पाई गई है."
उन्होंने बताया कि "प्रकृति प्रेमियों की इस संस्था को यह सूचना है कि आजकल के बच्चे और लोग अपनी आसपास की प्रकृति को महसूस नहीं कर रहे हैं. इसलिए वे अगले एक महीने तक कई नेचर वॉक करेंगे, जिसमें लोगों को अपने आसपास के वातावरण की जानकारी देंगे. इसी के तहत अगले रविवार को जबलपुर के नारे नाले के पास के जंगल में तितलियों की प्रजातियों को खोजने के लिए बटरफ्लाई वॉक की जाएगी."
पूरा प्रयास केवल शौक के लिए: इन प्रकृति प्रेमियों के पास केवल तितलियों की ही नहीं बल्कि, जबलपुर के आसपास पाए जाने वाले कई जंगली जानवरों के नये फोटोग्राफ और उनसे जुड़ी ऐसी जानकारियां हैं, जिसमें कुछ विलुप्त प्रजाति के जानवर भी हमारे आसपास के जंगल में पाए जा रहे हैं. लेकिन इन लोगों का कहना है कि यदि सभी को सार्वजनिक कर दिया तो आम आदमी इन पशु पक्षियों के जीवन में दखलअंदाजी शुरू कर देंगे. जिससे उनके जीवन पर संकट खड़ा हो सकता है. इसलिए इन तक वही लोग पहुंचें जिसे इनकी जानकारी है. अच्छी बात यह है कि इस पूरी कोशिश में सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है, बल्कि यह इन लोगों का मिला-जुला सामाजिक प्रयास है.