जबलपुर। हाई कोर्ट ने मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के सदस्यों, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य और महिला आयोग के सदस्यों को राहत दी है. इन सभी पदों पर कमलनाथ सरकार ने नियुक्तियां प्रदेश में सरकार गिरने से पहले की थी, लेकिन बीजेपी की सरकार आते ही इन्हें हटाया जाने लगा था. मौजूदा सरकार के फैसले के खिलाफ इन पदों पर पदस्थ लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति रखने की आदेश दिए हैं.
कमलनाथ सरकार के गिरने से ठीक पहले कई आयोग में अपने पसंदीदा लोगों की पोस्टिंग कर दी थी. अब ये लोग शिवराज सरकार की आंखों की किरकिरी बन गए हैं. शिवराज सिंह इन्हें हटाकर इनकी जगह अपनी पार्टी के लोगों को बैठाना चाहती है. लेकिन कानून इस बात की इजाजत नहीं दे रहा है, इनमें ज्यादातर पदों पर कार्यकाल खत्म होने के बाद ही पद खाली होता है. जैसे ही शिवराज सरकार ने इन लोगों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की तो ज्यादातर लोग हाईकोर्ट पहुंच गए.
इन मामलों की 5 याचिकाओं पर सुनवाई होने के बाद हाईकोर्ट ने इन्हें यथावत रहने के आदेश जारी किए हैं, इसमें मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति आयोग के तीन सदस्यों को पद से अलग किया गया था, जिनकी सुनवाई कोर्ट में हुई और इन्हें स्टे मिल गया. इसी तरह अल्पसंख्यक आयोग की पूर्व सदस्य नूरी खान के मामले में भी यथास्थिति के निर्देश जारी किए गए हैं. महिला आयोग की सदस्य रही नीना सिंह की याचिका पर भी ऐसे ही राहत मिली है. फिलहाल शिवराज सरकार यथास्थिति रहने तक किसी भी पद पर नई नियुक्ति नहीं कर सकती.