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डुमना हवाई अड्डा रोड पर पेड़ों को काटने का मामला, 4 सदस्यीय कमेटी को मिली HC से मोहलत - gets time to submit final report

जबलपुर हाईकोर्ट में डुमना हवाई अड्डा रोड के चौड़ीकरण और विकास कार्यों के लिए सरकार ने हरे-भरे जंगल काटने के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में कोर्ट ने 4 सदस्यीय कमेटी बनाई है. जिसने अपनी रिपोर्ट भी पेश की है, वहीं कमेटी ने अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा है जिसे कोर्ट ने मानते हुए अगली सुनवाई 19 अप्रैल को तय की है.

High Court: 4-member committee gets time to submit final report
हाईकोर्ट : अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी को मिली मोहलत
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Published : Mar 30, 2021, 6:30 PM IST

जबलपुर। डुमना हवाई अड्डा रोड के चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यों के लिए हरे-भरे जंगल को काटे जाने के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, इसके लिए हाईकोर्ट ने 4 सदस्यीय कमेटी बनाई थी, याचिका की सुनवाई के दौरान गठित चार सदस्यीय कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश की. वहीं कमेटी के आग्रह पर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी के शुक्ला ने अंतिम रिपोर्ट पेश करने का समय बढ़ा दिया, अब अगली सुनवाई 19 अप्रैल को तय की गई है.

  • हरे-भरे पेड़ों को काटने पर याचिकाकर्ता की दलीलें

दरअसल गढ़ा गंगा नगर कॉलोनी निवासी निकिता खंपरिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि डुमना के हरे-भरे जंगल को केन्द्र सरकार की बिना अनुमति लिए काटा जा रहा है, जो कि अवैधानिक है. उनकी दलीले है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यो के नाम पर शहर के जंगल को काटा जा रहा है. इसके लिए नगर निगम की अनुमति को दर्शाया जा रहा है. वह पर्याप्त नहीं है याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गई अंडरटेकिंग में कहा गया था कि हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटा जाए, बल्कि उन्हें संरक्षित किया जाएगा, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगे कि सड़क निर्माण पर कितने की पेड़ काटने की आवश्यकता है और कितने नए पेड़ लगाए जाएंगे.

  • सरकार का जवाब

वहीं सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार 600 पेड़ काटे जाएंगे, एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक पेड़ के बदले में 20 पौधे लगाकर उनका 5 साल तक संरक्षण किया जाएगा, हम एक पेड़ के स्थान पर 25 पौधे लगाने को तैयार है मिट्टी किन पेड़ों के लिए अच्छी है, इसकी जांच फाॅरेस्ट रिसर्ज सेंटर से कराई जा रही है याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि बडी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, जिसमें से कई पेड़ बहुत पुराने है सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि सड़क की चौड़ाई 145 फुट से घटाकर 100 फुट कर दी गई, पेड़ अधिक पुराने नहीं है. जिसकी जांच के लिए कोर्ट कमीशन का गठन कर दिया जाए.

सरकार पेट्रोल पर वसूल रही 51 प्रतिशत टैक्स, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

  • गठित कमेटी ने इस आधार पर बनाई रिपोर्ट

युगलपीठ ने अधिवक्ता अंशुमान सिंह को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए निरिक्षण के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी में कोर्ट मित्र के अलावा वन विभाग, बागवानी विभाग, नगर निगम के प्रतिनिधि को रखा गया था, कमेटी को स्थल का निरीक्षण कर कितने पेड़ काटे गए, कितने काटे जाने हैं, पेड़ों की प्रजाति और आयु के संबंध में भी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे, इसके अलावा मिट्टी की रिपोर्ट के आधार पर कम समय में कौन सी प्रजाति के पेड़ जल्दी बढ़ सकते हैं, इसकी जानकारी भी पेश करने के निर्देश दिए है.

याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कमेटी की तरफ से अंतरिम रिपोर्ट पेश की गई, पेड़ों की आयु निर्धारण और डुमना वन क्षेत्र का वन का जीवन प्रभावित नहीं हो, इसके संबंध में कमेटी ने अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए असमय देने का आग्रह किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने यह आदेश जारी किए याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता श्रेयष पंडित ने पैरवी की.

जबलपुर। डुमना हवाई अड्डा रोड के चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यों के लिए हरे-भरे जंगल को काटे जाने के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी, इसके लिए हाईकोर्ट ने 4 सदस्यीय कमेटी बनाई थी, याचिका की सुनवाई के दौरान गठित चार सदस्यीय कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट हाईकोर्ट के सामने पेश की. वहीं कमेटी के आग्रह पर चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी के शुक्ला ने अंतिम रिपोर्ट पेश करने का समय बढ़ा दिया, अब अगली सुनवाई 19 अप्रैल को तय की गई है.

  • हरे-भरे पेड़ों को काटने पर याचिकाकर्ता की दलीलें

दरअसल गढ़ा गंगा नगर कॉलोनी निवासी निकिता खंपरिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि डुमना के हरे-भरे जंगल को केन्द्र सरकार की बिना अनुमति लिए काटा जा रहा है, जो कि अवैधानिक है. उनकी दलीले है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यो के नाम पर शहर के जंगल को काटा जा रहा है. इसके लिए नगर निगम की अनुमति को दर्शाया जा रहा है. वह पर्याप्त नहीं है याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से पेश की गई अंडरटेकिंग में कहा गया था कि हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटा जाए, बल्कि उन्हें संरक्षित किया जाएगा, लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगे कि सड़क निर्माण पर कितने की पेड़ काटने की आवश्यकता है और कितने नए पेड़ लगाए जाएंगे.

  • सरकार का जवाब

वहीं सरकार की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव के अनुसार 600 पेड़ काटे जाएंगे, एक्सपर्ट रिपोर्ट के अनुसार एक पेड़ के बदले में 20 पौधे लगाकर उनका 5 साल तक संरक्षण किया जाएगा, हम एक पेड़ के स्थान पर 25 पौधे लगाने को तैयार है मिट्टी किन पेड़ों के लिए अच्छी है, इसकी जांच फाॅरेस्ट रिसर्ज सेंटर से कराई जा रही है याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि बडी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, जिसमें से कई पेड़ बहुत पुराने है सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि सड़क की चौड़ाई 145 फुट से घटाकर 100 फुट कर दी गई, पेड़ अधिक पुराने नहीं है. जिसकी जांच के लिए कोर्ट कमीशन का गठन कर दिया जाए.

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  • गठित कमेटी ने इस आधार पर बनाई रिपोर्ट

युगलपीठ ने अधिवक्ता अंशुमान सिंह को कोर्ट मित्र नियुक्त करते हुए निरिक्षण के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. कमेटी में कोर्ट मित्र के अलावा वन विभाग, बागवानी विभाग, नगर निगम के प्रतिनिधि को रखा गया था, कमेटी को स्थल का निरीक्षण कर कितने पेड़ काटे गए, कितने काटे जाने हैं, पेड़ों की प्रजाति और आयु के संबंध में भी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे, इसके अलावा मिट्टी की रिपोर्ट के आधार पर कम समय में कौन सी प्रजाति के पेड़ जल्दी बढ़ सकते हैं, इसकी जानकारी भी पेश करने के निर्देश दिए है.

याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कमेटी की तरफ से अंतरिम रिपोर्ट पेश की गई, पेड़ों की आयु निर्धारण और डुमना वन क्षेत्र का वन का जीवन प्रभावित नहीं हो, इसके संबंध में कमेटी ने अंतिम रिपोर्ट पेश करने के लिए असमय देने का आग्रह किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने यह आदेश जारी किए याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता श्रेयष पंडित ने पैरवी की.

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