जबलपुर| प्रदेश के महानगरों में जबलपुर एक बड़ा शहर है, 21 लाख की आवादी वाले इस शहर में अग्निशमन व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, न सिर्फ संसाधनों की भारी कमी है, बल्की शहर में फायर फाइटर्स की भी पर्याप्त संख्या नहीं है.
जबलपुर के दमकल विभाग में 48 फायर फाइटर हैं. 28 ठेके पर लिए फायर मैन हैं. कुल मिलाकर 76 कर्मचारी हैं, जो तीन शिफ्ट में काम करते हैं. एक समय में मात्र 25 कर्मचारी ही जबलपुर की अग्नि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तैनात होते हैं. जबलपुर नगर निगम के पास छोटे बड़े 13 फायर फाइटिंग व्हीकल हैं. शहर में दो फायर स्टेशन हैं. जबलपुर की सबसे असुरक्षित जगहों में शहर के घने इलाके हैं. क्योंकि आधे से ज्यादा शहर पतली-पतली गलियों में बसा हुआ है.
यहां कोई अग्नि दुर्घटना घटती है तो बड़े फायर फाइटिंग व्हीकल यहां नहीं पहुंच पाते. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए केवल दो छोटे वाहन हैं, इसके साथ ही दूसरा सबसे असुरक्षित क्षेत्र शहर में बनने वाली हाईराइज बिल्डिंग है. इन हाई राइज बिल्डिंगों में लगभग 75 फीट तक की आग बुझाने के लिए जबलपुर नगर निगम के पास 2 अत्याधुनिक वाटर बॉउजर हैं. लेकिन यदि इससे ऊपर कोई आग लगती है तो उससे लड़ने के लिए नगर निगम के पास कोई सुविधा नहीं है और ना ही टीटीएल लेटर नाम की मशीन है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस मशीन को खरीदने के लिए पत्र लिखे हैं लेकिन राज्य सरकार और नगर निगम इसमें रुचि नहीं दिखा रहा है.
बीते 3 सालों में जबलपुर नगर निगम में सिर्फ शहरी क्षेत्र में कई बड़ी अग्नि दुर्घटना घटी जिनमें लगभग 7 से 8 करोड़ रुपए का सामान जलकर खाक हो गया. 2017 में 11 बड़ी अग्नि दुर्घटना घटी जिनमें लगभग 2 करोड़ रुपए की संपत्ति जलकर खाक हो गई. वहीं 2018 में 13 बड़ी अग्नि दुर्घटना घटी जिनमें लगभग साढे चार करोड़ की संपत्ति जलकर खाक हो गई. जबलपुर नगर निगम लगभग सौ करोड रुपए का टैक्स जनता से वसूलता है. अग्नि दुर्घटनाओं से बचने के लिए केवल व्हीकल या फायरफाइटर्स ही जरूरी नहीं हैं बल्कि शहर का यातायात भी दमकल गाड़ियों के हिसाब से बनाया जाना चाहिए ताकि अग्निशमन दल मौके पर समय से पहुंच सके.