जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार को इलेक्टाॅनिक मीडिया के लिए कानून बनाए जाने के आदेश दिए गए थे. लेकिन अभी तक मामले में केंद्र सरकार की तरफ से कोई कानून नहीं बनाया गया. जिसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्ही.के शुक्ला की युगलपीठ ने मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले में सुनवाई की अगली तारीख भी 23 जुलाई तय की गई है.
दरअसल दमोह निवासी मप्र महिला कांग्रेस की महासचिव जया ठाकुर की तरफ से यह याचिका दायर की गई थी. एक निजी न्यूज चैनल के खिलाफ उन्होंने यह याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि यह निजी न्यूज चैनल कांग्रेस पार्टी समेत सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की छवि प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. याचिका में न्यूज चैनल पर नफरत फैलाने के आरोप भी लगाए गए. साथ ही कहा कि चैनल में अर्बन नक्सवादी, देशद्रोही, विशेष वर्ग को गुंडे, जिहादी जैसे शब्दों का उपयोग होता है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए घातक है. याचिका के जरिए जया ठाकुर ने निजी न्यूज चैनल पर सामाज को बांटने का आरोप भी लगाया.
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याचिका में मांग की गई थी कि चैनल के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए एयरवेव के उपयोग पर रोक लगाई जाए. जिसके बाद याचिका का निराकरण करते हुए युगलपीठ ने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिए थे. युगलपीठ ने अभ्यावेदन का निराकरण तीन माह में करने के निर्देश दिए थे. इसके बावजूद भी निर्धारित समय सीमा पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के खिलाफ उक्त याचिका दायर की गई है.
याचिका के जरिए इंलेक्ट्रॉनिक मीडिया के खिलाफ कानून बनाने की मांग की गई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में कानून बनाने के निर्देश दिए थे. लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक कोई कानून नहीं बनाया गया है. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.