जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोह. रफीक और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ ने बुधवार को सुनवाई दौरान लोक निर्माण विभाग की ओर से पेश की गई रिपोर्ट को नकार दिया है, युगलपीठ ने मामले में फॉरेस्ट, टीएनसीपी की सहमति के साथ रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं, इसके साथ ही मामले में केन्द्र सरकार की अनुमति के संबंध में भी अनावेदकों से स्पष्टीकरण मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी.
- हरे-भरे पेड़ों को काटे जाने के खिलाफ लगी जनहित याचिका
हरे-भरे पेड़ों को काटे जाने के मामले में गंगा नगर कॉलोनी की रहने वाली निकिता खम्परिया ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है, जिसमें कहा गया है कि डुमना के हरे-भरे जंगल को बिना केन्द्र सरकार की अनुमति लिए काटा जा रहा है, जो कि अवैधानिक है.
- कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक
आवेदक का कहना है कि मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण और अन्य विकास कार्यों के नाम पर शहरी जंगल को काटा जा रहा है, जबकि नियमानुसार उसकी केन्द्र सरकार से नहीं ली गई है. इतना ही नहीं आवेदक का कहना है कि नगर निगम की जिस अनुमति को दर्शाया जा रहा है, वह उक्त मामले में पर्याप्त नहीं है, मामले में केन्द्र सरकार के वन पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, प्रमुख सचिव वन विभाग, नगर निगम आयुक्त व पीडब्ल्यूडी, ईई को पक्षकार बनाया गया है, मामले में न्यायालय ने 29 सितंबर को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे, मामले की पूर्व सुनवाई पर सरकार ने अंडरटेकिंग दी थी कि वह हरे-भरे पेड़ों को नहीं काटेंगे, बल्कि उन्हें संरक्षित करेंगे.अधिवक्ता श्रेयश पंडित इस केस की पैरवी कर रहे हैं.