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सरकार समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही किसानों का मक्का, कम दामों पर फसल बेचने को मजबूर अन्नदाता

प्रदेश में इस बार मक्के की फसल की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन सरकार ने अभी तक मक्के की खरीद शुरू नहीं करवाई है, जिससे किसान परेशान हैं.

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सरकार समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही किसानों का मक्का
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Published : Oct 17, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Oct 17, 2020, 4:36 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में किसानों की परेशानी फिलहाल कम होने का नाम नहीं ले रही है. जबलपुर में किसान इन दिनों मक्का खरीदी ना होने की वजह से फसल के दामों का नुकसान तो उठा ही रहे हैं, साथ ही किसान लगातार कर्जदार भी बन रहे हैं.

सरकार समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही किसानों का मक्का

किसानों के खेतों में मक्के की फसल तैयार है. मक्के की फसल से लहराते खेतों पर किसानों ने कटाई भी शुरू कर दी है. जबलपुर में इस बार मक्के की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन सवाल ये है कि आखिरकार ये मक्का खरीदेगा कौन. किसान इस बात को लेकर परेशान हैं, उसकी फसल तो अच्छी हुई है, लेकिन उसे दाम नहीं मिल रहे हैं. मंडी में सरकार मक्के की फसल को नहीं खरीद रही है. मजबूरन किसान फसल बिचौलियों और व्यापारियों को बेच रहा है. सरकार ने मक्के की फसल का समर्थन मूल्य 1,850 रुपए तय किया है, लेकिन रजिस्ट्रेशन ना होने की वजह से मंडियों में प्रशासन द्वारा मक्के की फसल की खरीद नहीं की जा रही है और किसान आधी कीमतों पर मक्के की फसल बेचने को मजबूर हैं.

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने मक्के की फसल पर समर्थन मूल्य तय कर दिया था, जिसकी वजह से किसानों ने जबलपुर में तकरीबन 20 हजार हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई. मक्के की फसल भी अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. मजबूरन किसान 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मक्के की फसल बेचने को मजबूर हो गया है. प्रशासन का कहना है कि ये पूरा मसला राज्य सरकार के अंतर्गत आता है, लिहाजा राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद मक्के की खरीदी शुरू की जा सकेगी.

वजह चाहे जो भी हो, लेकिन मक्के की फसल की खरीदी ना होने की वजह से किसान दोहरी मार झेल रहा है, क्योंकि जो दाम मक्के के बाजारों में मिल रहे हैं, उस दाम से तो किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही है. मजबूरन किसान ना तो आगामी फसल की तैयारी कर पा रहा है और ना अपना कर्ज उतार पा रहा है. ऐसे में एक बार फिर किसान कर्जदार बनने के रास्ते पर चल पड़ा है.

कांग्रेस सांसद और पूर्व सीएम ने लिखा था सीएम को पत्र-

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के एकलौते लोकसभा सांसद नकुलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पिछले दिनों पत्र लिखा था और उन्होंने सरकार से मांग की थी कि जल्द मक्के का पंजीयन शुरू कराया जाए. हाल ही में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि किसानों को उनके मक्के का सही दाम नहीं मिल रहा है, यदि ऐसाही चलता रहा तो वो किसानों के साथ आंदोलन करेंगे.

CM ने की बैठक-

मक्का खरीदी में हो रहीं गड़बड़ियों और अनियमितताओं को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में धान, ज्वार और बाजरा के उपार्जन कार्यों की तैयारियों को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है. सीएम शिवराज सिंह ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मंडियों में की जा रही खरीददारी पर विशेष निगाह रखी जाए, और प्रदेश का कोई भी किसान किसी भी हाल में परेशान नहीं होना चाहिए, मंडियों में बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

जबलपुर। मध्यप्रदेश में किसानों की परेशानी फिलहाल कम होने का नाम नहीं ले रही है. जबलपुर में किसान इन दिनों मक्का खरीदी ना होने की वजह से फसल के दामों का नुकसान तो उठा ही रहे हैं, साथ ही किसान लगातार कर्जदार भी बन रहे हैं.

सरकार समर्थन मूल्य पर नहीं खरीद रही किसानों का मक्का

किसानों के खेतों में मक्के की फसल तैयार है. मक्के की फसल से लहराते खेतों पर किसानों ने कटाई भी शुरू कर दी है. जबलपुर में इस बार मक्के की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन सवाल ये है कि आखिरकार ये मक्का खरीदेगा कौन. किसान इस बात को लेकर परेशान हैं, उसकी फसल तो अच्छी हुई है, लेकिन उसे दाम नहीं मिल रहे हैं. मंडी में सरकार मक्के की फसल को नहीं खरीद रही है. मजबूरन किसान फसल बिचौलियों और व्यापारियों को बेच रहा है. सरकार ने मक्के की फसल का समर्थन मूल्य 1,850 रुपए तय किया है, लेकिन रजिस्ट्रेशन ना होने की वजह से मंडियों में प्रशासन द्वारा मक्के की फसल की खरीद नहीं की जा रही है और किसान आधी कीमतों पर मक्के की फसल बेचने को मजबूर हैं.

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने मक्के की फसल पर समर्थन मूल्य तय कर दिया था, जिसकी वजह से किसानों ने जबलपुर में तकरीबन 20 हजार हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई. मक्के की फसल भी अच्छी हुई है, लेकिन किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. मजबूरन किसान 700 से 800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मक्के की फसल बेचने को मजबूर हो गया है. प्रशासन का कहना है कि ये पूरा मसला राज्य सरकार के अंतर्गत आता है, लिहाजा राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद मक्के की खरीदी शुरू की जा सकेगी.

वजह चाहे जो भी हो, लेकिन मक्के की फसल की खरीदी ना होने की वजह से किसान दोहरी मार झेल रहा है, क्योंकि जो दाम मक्के के बाजारों में मिल रहे हैं, उस दाम से तो किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही है. मजबूरन किसान ना तो आगामी फसल की तैयारी कर पा रहा है और ना अपना कर्ज उतार पा रहा है. ऐसे में एक बार फिर किसान कर्जदार बनने के रास्ते पर चल पड़ा है.

कांग्रेस सांसद और पूर्व सीएम ने लिखा था सीएम को पत्र-

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के एकलौते लोकसभा सांसद नकुलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पिछले दिनों पत्र लिखा था और उन्होंने सरकार से मांग की थी कि जल्द मक्के का पंजीयन शुरू कराया जाए. हाल ही में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने भी शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि किसानों को उनके मक्के का सही दाम नहीं मिल रहा है, यदि ऐसाही चलता रहा तो वो किसानों के साथ आंदोलन करेंगे.

CM ने की बैठक-

मक्का खरीदी में हो रहीं गड़बड़ियों और अनियमितताओं को लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में धान, ज्वार और बाजरा के उपार्जन कार्यों की तैयारियों को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है. सीएम शिवराज सिंह ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मंडियों में की जा रही खरीददारी पर विशेष निगाह रखी जाए, और प्रदेश का कोई भी किसान किसी भी हाल में परेशान नहीं होना चाहिए, मंडियों में बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.

Last Updated : Oct 17, 2020, 4:36 PM IST
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