जबलपुर। RTE में दाखिले के लिए पांच किलोमीटर की परिधि में निवास स्थान होने की शर्त को हाईकोर्ट ने सही ठहराया है. एक छात्रा को केन्द्रीय विद्यालय ने RTE के तहत ये कहकर दाखिला नहीं दिया, कि उसका निवास स्थान पांच किलोमीटर के दायरे में नहीं आता है. इसके खिलाफ छात्रा की ओर से उसके पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिला की थी.
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हाईकोर्ट जस्टिस अतुध श्रीधरन ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है, कि राइट टू एजुकेशन में पड़ोसी शब्द का उपयोग किया है. पांच किलोमीटर की परिधि में निवास नहीं होने पर दाखिला नहीं देकर केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने कोई गलती नहीं की है. एकलपीठ ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि याचिकाकर्ता छात्रा पांच किलोमीटर की परिधि में रहने के दस्तावेज प्रस्तुत करती है, तो उसके आवेदन पर विचार किया जा सकता है.
छात्रा के पिता ने लगाई थी याचिका
मुलताई निवासी छात्रा की तरफ से उसके पिता ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि उनका परिवार मुल्लाई में रहता है. छात्रा बैतूल निवासी अपने चाचा के घर रहकर पढ़ाई करती है. राइट टू एजुकेशन में यह प्रावधान है कि 25 प्रतिशत सीट फ्री एजुेकेशन के लिए रखी जाए. उसने केन्द्रीय विद्यालय बैतूल में कक्षा पहली में दाखिले के लिए आवेदन किया था. उसे इस आधार पर दाखिले से वंचित कर दिया गया कि वो मुलताई की निवासी है और उसका निवास स्कूल के पांच किलोमीटर की परिधि में नहीं आता है.
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स्कूल ने नहीं किया कुछ गलत
याचिका में दाखिले के लिए पांच किलोमीटर की परिधि में रहने की शर्त अवैधानिक बताया गया. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली और इलाहाबाद कोर्ट ने इस नियम के विपरीत दाखिले की अनुमति दी थी. याचिका में कहा गया था कि आवेदन में निवास स्थान परिवर्तन के लिए स्कूल प्रबंधन से आग्रह किया था. बैतूल सांसद ने भी इस संबंध में स्कूल प्रबंधन को पत्र लिखा था. स्कूल प्रबंधन ने यह तर्क दिया कि आनलाइन सिस्टम में यह संभव नहीं है.