जबलपुर। कोरोना संकटकाल से आर्थिक परेशानी झेल रहे स्ट्रीट वेंडर को रोजगार देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्ट्रीट वेंडर योजना चलाई गई है, लेकिन ये योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिखाई दे रही है. राज्य सरकार स्ट्रीट वेंडर्स को 10-10 हजार रुपयों का लोन देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना को लेकर आई थी, लेकिन इस योजना में फर्जी हितग्राहियों के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं. जिससे पात्र हितग्राही इसका लाभ नहीं ले पा रहें है.
जबलपुर निगमायुक्त अनूप सिंह ने बताया कि इस योजना का लाभ पाने के लिए 52 हजार लोग फर्जी पथ विक्रेता बन गए. शहरी क्षेत्र में लागू की गई प्रधानमंत्री पथ विक्रेता, आत्मनिर्भर निधि योजना कहने को स्ट्रीट वेंडर्स के उत्थान की दिशा में लागू की गई थी, लेकिन पात्र हितग्राही इस योजना का लाभ ले ही नहीं पा रहे हैं. बल्कि इस योजना में अपात्रों ने अपना पंजीयन करवा लिया है.
निगमायुक्त अनूप सिंह के मुताबिक जबलपुर में इस योजना के तहत कुल 87 हजार आवेदन किए गए थे, जिसके बाद 87 हजार आवेदनों में से 52 हजार आवेदन को रद्द कर दिया गया है. निगमायुक्त अनूप सिंह के मुताबिक ये सभी आवेदन ऐसे लोगों के थे जिन्होंने स्ट्रीट वेंडर न होने पर भी लोन के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया था. नगर निगम ने जब अपने जोनल ऑफिस पर जमा आवेदनों की जांच करवाई, तो ये सच्चाई सामने आई है.