जबलपुर। जूनियर डॉक्टर्स अपनी छह प्रमुख मांगों को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं. कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी से उतर गई है. जूडा जहां अपनी मांगों पर अड़ा हुआ हैं, तो वहीं राज्य सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. लिहाजा जूडा और सरकार के बीच में बीमार मरीज पिस रहे हैं.
मेडिकल कॉलेज ने बनाई वैकल्पिक व्यवस्था
जबलपुर मेडिकल कॉलेज में करीब 450 जूनियर डॉक्टर्स तैनात हैं. उनके हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था निश्चित रूप से प्रभावित हुई है, जिसके लिए मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर प्रदीप कसार ने वार्डों में वरिष्ठ डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई है, जो कोविड सहित ब्लैक फंगस के रोगियों का इलाज कर रहे हैं.
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद मेडिकल कॉलेज समेत अन्य जिलों के डॉक्टरों से चिकित्सा में सेवाएं देने के लिए संपर्क किया जा रहा हैं. मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. प्रदीप कसार ने इस संबंध में जबलपुर सहित नरसिंहपुर, मंडला डिंडौरी, कटनी और सिवनी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारियों से बातचीत की हैं.
जूनियर डॉक्टरों की चेतावनी पर जागी सरकार! हड़ताल से पहले मान गई शर्तें
जूडा अड़े हैं अपनी मांगों पर
इधर जूनियर डॉक्टर्स अपनी मांगों पर अड़े हैं. हाल-फिलहाल में समझौते का कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है. हालांकि, जूनियर डॉक्टरों ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री से बात भी की थी. सरकार ने आश्वाशन भी दिया था, पर उस बात का कोई निष्कर्ष नहीं निकला.