जबलपुर। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक बार फिर कमाल कर दिखाया. संभवतः यह पहला ऐसा केस है जब 8 साल की उम्र में किसी बच्चे को पेसमेकर लगाने के लिए शासकीय मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन किया गया हो. बच्ची को पेसमेकर लगाने के बाद अब मिर्गी आना बंद हो गई है. उसे अब बार-बार बेहोशी से भी राहत मिली है.
बच्ची को जन्म से ही हार्ट में ब्लॉकेज : नरसिंहपुर निवासी 8 साल की बच्ची को जन्म से ही हार्ट में ब्लॉकेज था. बच्चे के परिजन नरसिंहपुर में जिस डॉक्टर के पास उसका इलाज करवा रहे थे, वह मिर्गी की दवाई दे रहा था.बच्ची के हार्ट में ब्लॉकेज होने के कारण उसे लगातार झटके भी आते थे, जिससे वह बेहोश हो जाती थी. नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विकास मिश्रा ने जब बालिका की जांच की तो पाया कि उसके हृदय में ब्लॉकेज है.
डॉक्टरों की टीम गठित हुई : इसके बाद अन्य जरूरी जांच कराई गई तब पता चला कि बच्ची के हृदय की धड़कन घटकर 30-35 पहुंच जाती है, जिसके चलते उसे झटके और बेहोशी की स्थिति से गुजरना पड़ता है. हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास मिश्रा ने बताया कि बीमारी का पता लगने के बाद पेसमेकर के स्थाई प्रत्यारोपण के लिए चिकित्सकों की एक टीम गठित की गई.
ये है डॉक्टरों की टीम : अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. वाई.आर यादव, अधीक्षक डॉ. जितेंद्र गुप्ता के निर्देश पर उपचार में उपयोगी चिकित्सा संस्थान उपलब्ध कराए गए. ह्रदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सोहेल सिद्दीकी, डॉ. अमित, डॉ. शिशिर सोनी, डॉ. विश्वनाथ, डॉ. अनिमेष जैन, डॉ. प्रदीप जैन के साथ बच्ची का सफलतापूर्वक ऑपरेशन करते हुए उसके हार्ट में पेसमेकर लगाया गया.
(wonders again in Jabalpur medical college (Implanted pacemaker in heart of girl)