जबलपुर। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर नर्मदा के पवित्र ग्वारीघाट पर हजारों लोगों ने स्नान और पूजा पाठ किया. लेकिन लोग अपने पीछे हजारों किलो कचरा छोड़कर चले गए. हर पूर्णिमा और अमावस्या पर नर्मदा के ग्वारीघाट से 3 टन कचरा निकलता है. लोग पूजा पाठ करने के बाद घाटों पर कूड़ा- कचरा छोड़कर चले जाते हैं. ऐसे में सफाई करने वालों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि पूजा की वो पद्धति अपनाएं गंदगी कम हो.
ग्वारीघाट जबलपुर का एक पवित्र घाट है, लेकिन इसकी पवित्रता बनाए रखना बहुत कठिन काम है. सुबह 4:00 बजे से लक्ष्मण और सुषमा की टीम अपने 30 साथियों के साथ पूरे 18 घंटे काम करती है, तब जाकर ग्वारीघाट पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को घाट पवित्र मिल पाता है.
लक्ष्मण और सुषमा का कहना है कि वो तो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं, लेकिन लोगों में नदी की पवित्रता और साफ- सफाई को लेकर बिल्कुल भी जागरूकता नहीं है. लोग घरों से पूजा पाठ का बचा हुआ सामान लेकर आते हैं और यहीं छोड़ कर चले जाते हैं.
लोग पूजा के नाम पर फूल नारियल अगरबत्ती घाट से खरीदते हैं और इनको नदी की पूजा में इस्तेमाल करते हैं. ये सामग्री बाद में लोगों के पैरों के नीचे आती है, जिसे लक्ष्मण और सुषमा की टीम डंपर तक पहुंचाती है.
कई सामाजिक संगठन ग्वारीघाट में सफाई रखने के लिए अभियान चलाते हैं, लेकिन लोगों की पूजा पद्धति और पुरानी मान्यताओं के चलते लोग गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते. एक समाजसेवी संगठन के कार्यकर्ता सुजीत अवस्थी कहते हैं कि, जब तक इन पूजा पद्धतियों को नदियों के स्वास्थ्य के अनुसार नहीं बदला जाता. तब तक नदियों और उनके घाटों पर गंदगी होती रहेंगी.