जबलपुर। केंटामेंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक उर्फ चिंटू चौकसे द्धारा अतिक्रमण किये जाने का आरोप लगाने वाले मामले में अनावेदक की ओर से किसी के मौजदू न होने के मामले को हाईकोर्ट ने सख्ती से लिया. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समाने सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से दावा किया गया कि जान बूझकर अनावेदक मामले को बढ़ाना चाह रहे हैं. क्योंकि चुनाव का समय नजदीक है, इसलिये उनका जवाब का अवसर समाप्त कर मामले की सुनवाई की जाए. जिस पर युगलपीठ ने अंतिम अवसर देते हुए 15 दिनों में जवाब न आने पर अवसर समाप्त किये जाने के निर्देश दिये हैं, हालांकि विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षित है.
यह मामला सुनील कुमार तिवारी उर्फ कन्हैया तिवारी व सुरेन्द्र यादव की ओर से दायर किया गया है. जिसमें आरोप है कि अगर कोई भी व्यक्ति डिफेंस भूमि पर अतिक्रमणकारी पाया जाता है तो वह सदस्य के लिये अयोग्य होगा. आरोप है कि केंटोमेंट बोर्ड उपाध्यक्ष चिंटू चौकसे ने पेंटीनाका के पास स्थित भूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है, इतना ही नहीं उनके दोनों मकानों का नक्शा स्वीकृत नहीं है, जो कि अतिक्रमण की श्रेणी में आते है.
नियमानुसार जो भी अतिक्रमणकारी होगा उसका वोटर लिस्ट में नाम नहीं हो सकता. ऐसे में अनावेदक का उपाध्यक्ष पद पर होना अवैधानिक है. इसके अलावा मामले में आवेदकों का आरोप है कि इससे पूर्व भी सौ-सौ रुपये के स्टांप में डिफेंस लैंड की खरीद फरोख्त की गई है. उक्त मामले में डायरेक्टर संपदा अधिकारी, केंटोमेंट बोर्ड के सीईओं व अभिषेक उर्फ चिंटू चौकसे को पक्षकार बनाया गया है. मामले में विगत 12 अक्टूबर को हुई सुनवाई पर कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे. इसके बाद हुई सुनवाई के दौरान अनावेदक की ओर से किसी के मौजूद न होने पर कोर्ट ने उक्त निर्देश दिये. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता यश सोनी पैरवी कर रहे हैं.