जबलपुर। मध्यप्रदेश के विंध्य इलाके शहडोल में अचानक एक के बाद एक करीब 12 नवजात बच्चे मौत की नींद सो गए. इन बच्चों की मौत आखिर किस कारण से हुई है यह अभी भी जांच का विषय है. हालांकि बच्चों की मौत के बाद आनन-फानन में राज्य सरकार ने दो सदस्य डॉक्टरों की टीम शहडोल भेजी. डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को दी है. इधर, शहडोल में हुई नवजात बच्चों की मौत को बाद जब ईटीवी भारत ने जबलपुर संभाग के सबसे बड़े लेडी एल्गिन अस्पताल यानी रानी दुर्गावती में बच्चों की मौत का आंकड़ा खंगाला तो आंकड़े काफी चौंकाने वाले सामने आए है.
हर दूसरे दिन हो रही नवजात की मौत
जबलपुर लेडी एल्गिन अस्पताल में मिले आंकड़े बताते हैं कि इस अस्पताल में हर दूसरे दिन नवजात बच्चे की मौत हो रही है. हालांकि इन बच्चों की मौत की सबसे बड़ी वजह जो सामने आई है. वह है परिजनों का जच्चा और बच्चा के प्रति लापरवाही बरतना. डॉक्टर बताते हैं कि आमतौर पर बच्चे के मौत की वजह होती है कि परिजन डॉक्टरों की सलाह को नजरअंदाज करते है. लिहाजा ऐसे में जरा सी लापरवाही बच्चों की मौत का कारण बन जाती हैं.
हर दूसरे दिन जन्म के बाद नवजात की मौत
लेडी एल्गिन अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 30 महिलाओं की डिलीवरी होती है. वहीं अगर नवजात बच्चों की मौत की बात की जाएं तो इस अस्पताल में हर दूसरे दिन एक बच्चे की मौत हो रही है. हालांकि बच्चे की मौत की वजह डॉक्टर प्रीमेच्योर डिलीवरी बताते हैं.
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मां को डॉक्टर की सलाह पर करना चाहिए अमल
आमतौर पर वह गर्भवती महिला जो कि गर्भधारण करने के दौरान लापरवाह हो जाती हैं. उन्हों विशेष तौर पर डॉक्टरो के दिशा निर्देश का पालन करना चाहिए, जो गर्भवती महिलाएं डॉक्टर के निर्देशों का पालन नहीं करती उनके बच्चे का गर्भ में विकास ठीक से नहीं हो पाता है. इसके अलावा महिलाओं का सही समय पर डॉक्टर से चेकअप ना करवाना भी बच्चे की मौत का एक वजह बड़ा कारण होता है.
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शिशु विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह
लेडी एल्गिन अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर नेहा जैन बताती हैं कि जिन भी नवजात बच्चों की मौत होती है. वह ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र की होती है. इसकी वजह एक तो अज्ञानता और दूसरी लापरवाही है. विशेषज्ञ बताते हैं कि आमतौर पर जो महिलाएं डॉक्टरों के निर्देश का पालन नहीं करती हैं. समय-समय पर चेकअप नहीं करवाती हैं तो उन महिलाओं को इस तरह की समस्या का सामना करना होता है. जिसके कारण जन्म के बाद नवजात पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता है और उसकी मौत हो जाती है.
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जन्म के बाद RDS बीमारी भी हो सकती है मौत की वजह
लेडी एल्गिन अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक डॉक्टर संजय मिश्रा बताते हैं कि जन्म के बाद बच्चा रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (RDS ) बीमारी से ग्रसित हो जाता है. जिसके चलते उसके फेफड़े खुल नहीं पाते हैं और उसे सांस लेने में तकलीफ भी होती है. लिहाजा इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद कुछ ही दिनों में बच्चे की मौत हो जाती है.
बहरहाल जबलपुर के लेडी एल्गिल अस्पातल में हुई बच्चों की मौत के आंकड़ों ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल खड़े कर दिए है. सवाल ये भी है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग बच्चों की मौत पर कड़ी कार्रवाई कब करेगा. या फिर बच्चे ऐसे ही मौत के आगोश में सोते रहेंगे और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को ढिंढोरा पिटने वाली सरकार ऐसे ही मौतों पर जांच टीम गठित करती रहेगी.