जबलपुर। हाईकोर्ट ने कोरोना संबंधी मामले को सोमवार को काफी गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने मामले में ब्लैक व व्हाइट फंगस के बढ़ते मरीजों व उसकी दवा की उपलब्धता पर चिंता जाहिर की. युगलपीठ ने मामले में कहा कि वर्तमान में मौजूदा दवा या जितनी उपलब्ध करायी जा रहीं है, 'वह ऊंट के मुंह में जीरा के सामान है.' युगलपीठ ने मामले में सरकार से उक्त बीमारी की दवा व कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी पर सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है.
अगली सुनवाई 31 मई को
इसके साथ ही युगलपीठ ने वैक्सीनेशन के संबंध में भी सरकार को जवाब देने के निर्देश दिये हैं, विस्तृत आदेश फिलहाल लंबित है. युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 31 मई को निर्धारित की है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में कोरोना संबंधी स्वत: संज्ञान याचिका के साथ अन्य हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. मामले में बुधवार को सुनवाई दौरान सरकार की ओर से अपनी रिपोर्ट पेश की गई, जिसका अवलोकन करने के बाद न्यायालय ने ब्लैक फंगस के उठे मुद्दे को गंभीरता से लिया.
न्यायालय को बताया गया कि उक्त नई बीमारी की पर्याप्त व जरूरी दवाएं उपलब्ध नहीं है. केन्द्र सरकार की ओर से जितनी दवा उपलब्ध करायी गई, वह पर्याप्त नहीं है. जिस पर न्यायालय ने उक्त टिप्पणी करते हुए केन्द्र व राज्य सरकार को दवा की उपलब्धता व उक्त बीमारी के उपचार के लिये सरकार की क्या तैयारी है, इस संंबंध में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
अस्पतालों के रेट के लिये बनेगी कमेटी
निजी अस्पतालों द्वारा मरीज व उनके परिजनों से मनमाने रेट लिये जाने के मामले को भी न्यायालय ने गंभीरता से लिया. युगलपीठ ने मामले में विशेषज्ञों की एक सप्ताह में कमेटी बनाकर सरकार को उपचार के रेट तय करने के निर्देश दिये हैं.
वैक्सीनेशन की क्या है तैयारी
इसके साथ ही न्यायालय में सुनवाई के दौरान वैक्सीनेशन के मुद्दे पर भी जवाब मांगा, जिसमें सरकार की ओर से कहा गया कि इस माह जितनी वैक्सीनेशन की जरूरत उतनी उपलब्ध नहीं हो सकी है. सरकार कैसे वैक्सीन उपलब्ध कराएगी और क्या तैयारी है, इस संबंध में भी सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
आयुष्मान कार्ड धारियों की दवा का खर्च उठाएगी सरकार
वहीं, आयुष्मान कार्डधारी कोविड-19 के मरीजों के मामले को लेकर जारी हस्तक्षेप आवेदन का हाईकोर्ट ने निराकरण कर दिया. सरकार की ओर से स्टेटमेन दिया कि आयुष्मान कार्ड धारियों के उपचार के साथ दवा खर्च भी सरकार उठायेगी, जिससे गरीबों पर किसी प्रकार का बोझ नहीं पड़ेगा. उक्त जवाब के बाद न्यायालय ने उक्त आवेदन का पटाक्षेप कर दिया. उल्लेखनीय है कि उक्त हस्तक्षेप याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव की ओर से दायर की गई थी. जिसमें कहा गया है कि मप्र स्वास्थ्य मंत्रालय द्वार असक्षम व्यक्तियों के लिए मुख्यमंत्री कोविड योजना के संबंध में सर्कुलर जारी किया था. निशुल्क उपचार पैकेज में रूम रेंट, नर्सिंग चार्ज, जांच,भोजन, विशेषज्ञ परामर्शकर्ताओं के शुल्क,पैरामेडिकल शुल्क को शामिल किया गया है.
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पूर्ण लॉकडाउन के आदेश का रिव्यू करें कलेक्टर
इंदौर कलेक्टर द्वारा 8 दिन के पूर्ण लॉकडाउन के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में आवेदन दायर किया गया था. अधिवक्ता चंचल गुप्ता की तरफ से दायर किए गए आवेदन में कहा गया था कि किराना दुकान सब्जी तथा फल दुकानों को भी बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं. किराना तथा सब्जी व्यक्तियों की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल है और इस महामारी के काल में डॉक्टर मरीजों को फल के सेवन की सलाह दे रहे हैं. युगलपीठ ने कलेक्टर इंदौर को आदेश पर पुनः विचार करने के निर्देश दिए हैं.