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जय किसान कर्ज माफी योजनाः जबलपुर में को-ऑपरेटिव बैंक को ना हुआ फायदा, ना नुकसान

जबलपुर में 'जय किसान कर्ज माफी' योजना में ज्यादा किसानों का कर्ज माफ नहीं होने की वजह से को-ऑपरेटिव बैंक फायदे में रहा. बैंक को राज्य सरकार से केवल 60 करोड़ रुपए ही लेने हैं.

Co-operative bank
कोऑपरेटिव बैंक
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Published : Jul 22, 2020, 12:29 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 2:20 PM IST

जबलपुर। जिले में 'जय किसान कर्ज माफी' योजना के तहत पूर्व की कमलनाथ सरकार के दौरान माफ किए गए किसानों के कर्ज का 60 करोड़ रुपया को-ऑपरेटिव बैंक का प्रदेश सरकार पर बयाका है. जबलपुर को-ऑपरेटिव बैंक के 12 हजार 226 किसानों के लगभग 60 करोड़ रुपए माफ किए हैं.

कोऑपरेटिव बैंक को सरकार से लेने है 60 कोरोड़ रुपए

को-ऑपरेटिव बैंक को नहीं हुआ नुकसान

को-ऑपरेटिव बैंक के सीईओ ज्ञानेंद्र पांडे का कहना है कि, जबलपुर में कर्ज माफी का ज्यादा फायदा किसानों को नहीं हुआ. इसीलिए बैंक को सरकार से लेनदारी कम बची है, जिन किसानों का कर्ज माफ हुआ है, उनका समायोजन धीरे-धीरे कृषि विभाग कर रहा है. 'जय किसान कर्ज माफी' योजना कृषि विभाग के जरिए चलाई जा रही थी. ज्ञानेंद्र पांडे का कहना है कि, ज्यादा बड़ी राशि नहीं होने की वजह से बैंक को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. ऐसा नहीं है कि, सरकार से बिल्कुल भी पैसा नहीं लेना है, लेकिन स्थितियां खराब नहीं हैं, सरकार की ओर से समय-समय पर घाटे का पैसा दे दिया जा रहा है.

इस साल सरकार से लेनदारी कम

जबलपुर में कुल 83 हजार किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ मिलना था, करीब 400 करोड़ रुपए का कर्ज माफ होना था, लेकिन कमलनाथ सरकार केवल 84 करोड़ रुपए ही माफ कर पाई. जबलपुर की को-ऑपरेटिव बैंक फायदे में तो नहीं चल रही, लेकिन बहुत घाटे में भी नहीं है. इसलिए यहां सरकार से लेनदारी कम रहती है और बैंक का घाटा किसानों के कर्ज से मिले ब्याज पर चल जाता है.

गांव की सहकारी समिति है उपयोगी

गांव की सहकारी समिति सबसे उपयोगी संस्था है. इसके जरिए बड़े किसानों को खाद और कर्ज मिलता है. ज्यादा गरीब व्यक्ति को इन्हीं सहकारी समितियों के जरिए राशन और तेल मिलता है. गांव का अमीर से लेकर गरीब व्यक्ति तक इस सहकारी समिति से संबंध रखता है. अगर सहकारी समिति की स्थिति गड़बड़ होती है, तो इसका नुकसान बड़े स्तर पर राज्य को और छोटे स्तर पर गांवों को उठाना होता है. हालांकि ये संस्थाएं भ्रष्टाचार का भी बड़ा अड्डा बनी हुई है.

जबलपुर। जिले में 'जय किसान कर्ज माफी' योजना के तहत पूर्व की कमलनाथ सरकार के दौरान माफ किए गए किसानों के कर्ज का 60 करोड़ रुपया को-ऑपरेटिव बैंक का प्रदेश सरकार पर बयाका है. जबलपुर को-ऑपरेटिव बैंक के 12 हजार 226 किसानों के लगभग 60 करोड़ रुपए माफ किए हैं.

कोऑपरेटिव बैंक को सरकार से लेने है 60 कोरोड़ रुपए

को-ऑपरेटिव बैंक को नहीं हुआ नुकसान

को-ऑपरेटिव बैंक के सीईओ ज्ञानेंद्र पांडे का कहना है कि, जबलपुर में कर्ज माफी का ज्यादा फायदा किसानों को नहीं हुआ. इसीलिए बैंक को सरकार से लेनदारी कम बची है, जिन किसानों का कर्ज माफ हुआ है, उनका समायोजन धीरे-धीरे कृषि विभाग कर रहा है. 'जय किसान कर्ज माफी' योजना कृषि विभाग के जरिए चलाई जा रही थी. ज्ञानेंद्र पांडे का कहना है कि, ज्यादा बड़ी राशि नहीं होने की वजह से बैंक को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है. ऐसा नहीं है कि, सरकार से बिल्कुल भी पैसा नहीं लेना है, लेकिन स्थितियां खराब नहीं हैं, सरकार की ओर से समय-समय पर घाटे का पैसा दे दिया जा रहा है.

इस साल सरकार से लेनदारी कम

जबलपुर में कुल 83 हजार किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ मिलना था, करीब 400 करोड़ रुपए का कर्ज माफ होना था, लेकिन कमलनाथ सरकार केवल 84 करोड़ रुपए ही माफ कर पाई. जबलपुर की को-ऑपरेटिव बैंक फायदे में तो नहीं चल रही, लेकिन बहुत घाटे में भी नहीं है. इसलिए यहां सरकार से लेनदारी कम रहती है और बैंक का घाटा किसानों के कर्ज से मिले ब्याज पर चल जाता है.

गांव की सहकारी समिति है उपयोगी

गांव की सहकारी समिति सबसे उपयोगी संस्था है. इसके जरिए बड़े किसानों को खाद और कर्ज मिलता है. ज्यादा गरीब व्यक्ति को इन्हीं सहकारी समितियों के जरिए राशन और तेल मिलता है. गांव का अमीर से लेकर गरीब व्यक्ति तक इस सहकारी समिति से संबंध रखता है. अगर सहकारी समिति की स्थिति गड़बड़ होती है, तो इसका नुकसान बड़े स्तर पर राज्य को और छोटे स्तर पर गांवों को उठाना होता है. हालांकि ये संस्थाएं भ्रष्टाचार का भी बड़ा अड्डा बनी हुई है.

Last Updated : Jul 22, 2020, 2:20 PM IST
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