जबलपुर। आयुर्वेदिक औषधियों की खेती को प्रमोट करने के लिए शहर के नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने पहल की है. दोनों विश्वविद्यालय एक संयुक्त अभियान चलाने जा रही है, जिसके तहत छात्रों को प्रशिक्षित कर कई कार्यक्रम चलाए जाएंगे. इस अभियान के तहत किसानों को आयुर्वेदिक पौधों की खेती के बारे में बताया जाएगा और उन्हें बीज और पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे.
दोनों विश्वविद्यालयों की कोशिशों का ही परिणाम है कि जबलपुर, मंडला, डिंडौरी जिले में लगातार किसानों का झुकाव आयुर्वेदिक खेती की ओर बढ़ रहा है. अकेले जबलपुर में ही इस समय औषधीय खेती करने वाले किसानों की संख्या चार सौ हो गई है. वहीं क्षेत्र में औषधि की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर बीस फीसदी हो गई है.
कृषि विश्वविद्यालय में फसलें हुईं तैयार
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में करीब 22 से 25 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती भी शुरू कर दी गई है. वहीं एक साल की कड़ी मेहनत के बाद कुछ फसलें तैयार होने लगी हैं. पिछले 25 साल में यहां करीब बारह सौ से अधिक औषधि की प्रजातियां उगाकर बीज तैयार किए जा चुके हैं. अब पौधे और बीज सीधे किसानों को वितरित किए जाने की तैयारी है, ताकि किसानों को औषधीय पौधों की खेती में मदद मिल सके. वहीं नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय के द्वारा करीब आठ एकड़ भूमि में औषधि वाटिका को भी विकसित किया जा रहा है.
मिल रहा मुंहमांगा दाम
जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में आयुर्वेद उत्पादों से जुड़ी कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. कई ब्रांड किसानों को औषधीय फल-पौधे के मुंहमांगे दाम दे रहे हैं. औषधीय पौधों की बढ़ी खेती इस ओर इशारा कर रही है कि किसान इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं.