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औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए चलेगा अभियान, किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित

आयुर्वेदिक औषधियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय एक अभियान चलाने जा रहा है. इसके जरिए किसानों को सस्ते दाम में बीज और पौधे उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें इसके लिए ट्रेंड किया जाएगा.

औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा
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Published : Oct 19, 2019, 9:55 AM IST

Updated : Oct 19, 2019, 12:13 PM IST

जबलपुर। आयुर्वेदिक औषधियों की खेती को प्रमोट करने के लिए शहर के नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने पहल की है. दोनों विश्वविद्यालय एक संयुक्त अभियान चलाने जा रही है, जिसके तहत छात्रों को प्रशिक्षित कर कई कार्यक्रम चलाए जाएंगे. इस अभियान के तहत किसानों को आयुर्वेदिक पौधों की खेती के बारे में बताया जाएगा और उन्हें बीज और पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे.

औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा

दोनों विश्वविद्यालयों की कोशिशों का ही परिणाम है कि जबलपुर, मंडला, डिंडौरी जिले में लगातार किसानों का झुकाव आयुर्वेदिक खेती की ओर बढ़ रहा है. अकेले जबलपुर में ही इस समय औषधीय खेती करने वाले किसानों की संख्या चार सौ हो गई है. वहीं क्षेत्र में औषधि की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर बीस फीसदी हो गई है.

कृषि विश्वविद्यालय में फसलें हुईं तैयार

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में करीब 22 से 25 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती भी शुरू कर दी गई है. वहीं एक साल की कड़ी मेहनत के बाद कुछ फसलें तैयार होने लगी हैं. पिछले 25 साल में यहां करीब बारह सौ से अधिक औषधि की प्रजातियां उगाकर बीज तैयार किए जा चुके हैं. अब पौधे और बीज सीधे किसानों को वितरित किए जाने की तैयारी है, ताकि किसानों को औषधीय पौधों की खेती में मदद मिल सके. वहीं नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय के द्वारा करीब आठ एकड़ भूमि में औषधि वाटिका को भी विकसित किया जा रहा है.

मिल रहा मुंहमांगा दाम

जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में आयुर्वेद उत्पादों से जुड़ी कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. कई ब्रांड किसानों को औषधीय फल-पौधे के मुंहमांगे दाम दे रहे हैं. औषधीय पौधों की बढ़ी खेती इस ओर इशारा कर रही है कि किसान इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं.

जबलपुर। आयुर्वेदिक औषधियों की खेती को प्रमोट करने के लिए शहर के नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने पहल की है. दोनों विश्वविद्यालय एक संयुक्त अभियान चलाने जा रही है, जिसके तहत छात्रों को प्रशिक्षित कर कई कार्यक्रम चलाए जाएंगे. इस अभियान के तहत किसानों को आयुर्वेदिक पौधों की खेती के बारे में बताया जाएगा और उन्हें बीज और पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे.

औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा

दोनों विश्वविद्यालयों की कोशिशों का ही परिणाम है कि जबलपुर, मंडला, डिंडौरी जिले में लगातार किसानों का झुकाव आयुर्वेदिक खेती की ओर बढ़ रहा है. अकेले जबलपुर में ही इस समय औषधीय खेती करने वाले किसानों की संख्या चार सौ हो गई है. वहीं क्षेत्र में औषधि की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर बीस फीसदी हो गई है.

कृषि विश्वविद्यालय में फसलें हुईं तैयार

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में करीब 22 से 25 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती भी शुरू कर दी गई है. वहीं एक साल की कड़ी मेहनत के बाद कुछ फसलें तैयार होने लगी हैं. पिछले 25 साल में यहां करीब बारह सौ से अधिक औषधि की प्रजातियां उगाकर बीज तैयार किए जा चुके हैं. अब पौधे और बीज सीधे किसानों को वितरित किए जाने की तैयारी है, ताकि किसानों को औषधीय पौधों की खेती में मदद मिल सके. वहीं नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय के द्वारा करीब आठ एकड़ भूमि में औषधि वाटिका को भी विकसित किया जा रहा है.

मिल रहा मुंहमांगा दाम

जबलपुर और आसपास के क्षेत्रों में आयुर्वेद उत्पादों से जुड़ी कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. कई ब्रांड किसानों को औषधीय फल-पौधे के मुंहमांगे दाम दे रहे हैं. औषधीय पौधों की बढ़ी खेती इस ओर इशारा कर रही है कि किसान इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं.

Intro:जबलपुर
आयुर्वेद की तरफ तेजी से बढ़ते रुझान और देशी-विदेशी कंपनियों द्वारा भी आयुर्वेद उत्पादों को प्रमुखता दी जाने के कारण खेती में भी औषधि की मांग बढ़ने लगी है।5 साल पहले जहां बमुश्किल से आयुर्वेद क्षेत्र में 5 फ़ीसदी लोग ही शौकिया तौर पर औषधि पौधों की खेती कर रहे थे वहीं अब बढ़कर ये संख्या 20 फीसदी हो गई है। औषधि खेती और किसानों की आय दुगनी में फायदे को देखते हुए नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय से लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय भी औषधि पौधों की खेती को प्रमोट करने में लगा हुआ है।


Body:जबलपुर और उससे जुड़े मंडला,डिंडोरी जिले में करीब एक हजार से ज्यादा किसान इस समय औषधि पौधों की खेती कर रहे हैं। जबलपुर में भी किसानों की संख्या करीब 400 के लगभग पहुंच गई है जो कि मुख्य रूप से शतावर,अश्वगंधा,एलोवेरा तुलसी, सफेद मूसली,गिलोय,भृंगराज जैसे औषधि पौधों की खेती कर रहे हैं। कृषि विश्वविद्यालय द्वारा करीब 22 सौ से 25 एकड़ में औषधि पौधों की खेती भी शुरू कर दी गई है। करीब 1 साल की मेहनत के बाद अब यह औषधि पौधे लहलहाने भी लगे हैं। 25 साल में करीब 12 सौ से अधिक औषधि प्रजातियां यहाँ उगाई जा चुकी हैं अधिकांश पौधे एवं बीच सीधे किसानों को अब वितरित किए जाने की तैयारी है जिससे कि किसानों को औषधि खेती में मदद मिल सके।नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय द्वारा करीब 8 एकड़ में औषधि वाटिका को विकसित किया जा रहा है।


Conclusion:जबलपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में आयुर्वेद उत्पादों से जुड़ी कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी निश्चित रूप से हाल ही के समय में हुई है। कई ब्रांड शहर के किसानों से औषधि फल-पौधे मुंह मांगे दाम पर खरीद भी रहे हैं।इनका उपयोग तुलसी अर्क,गुलाब जल, गैस चूर्ण ,टॉनिक, साबुन, तेल जैसे ढेरों उत्पादों में किया जा रहा है।औषधि पौधों की खेती हाल ही के दिनों में 20 फ़ीसदी बढ़ी है जो यह बताती है कि अब धीरे-धीरे किसान इसमें दिलचस्पी ले रहा है।औषधि पौधों का निर्माण करने के साथ ही बेहद सस्ते दाम में इसे किसानों तक उपलब्ध कराने के लिए नानाजी देशमुख विश्वविद्यालय भी दिलचस्पी ले रहा है।
बाईट.1-डॉ पी डी जुयाल......कुलपति, नाना जी देशमुख विश्विद्यालय
Last Updated : Oct 19, 2019, 12:13 PM IST
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