जबलपुर। अयोध्या में बना रहे राम मंदिर की वजह से पूरे देश में भगवान राम से जुड़े हुए संदर्भ में चर्चाएं हैं. इसी में जबलपुर के गुप्तेश्वर मंदिर की चर्चा भी जोर-शोर पर है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम वनवास के दौरान चित्रकूट से गुप्त रूप से जबलपुर आए थे और उन्होंने जबलपुर के गुप्तेश्वर इलाके में गुफा के भीतर शिवलिंग की स्थापना की थी. यह शिवलिंग रेत से बनाया गया था. इसके बारे में शिव पुराण और वाल्मीकि रामायण में भी जिक्र किया गया है. डॉक्टर मुकुंद दास महाराज का कहना है कि यह जन श्रुति नहीं है बल्कि यह प्रमाणिक है.
जबलपुर के गुप्तेश्वर मंदिर के प्रमुख डॉक्टर स्वामी मुकुंद दास महाराज का कहना है कि भगवान राम जबलपुर आए थे. वह अपने इस दावे को प्रमाणिक बताते हैं. उनका कहना है कि शिव पुराण जो ऋषि वेदव्यास ने लिखा है उसमें एक श्लोक में बिल्कुल स्पष्ट लिखा हुआ है कि भगवान राम जबलपुर आए थे और उन्होंने जबलपुर में शिवलिंग की स्थापना की थी.
19 वर्ष की आयु में भगवान राम आए थे जबलपुर
डॉ स्वामी मुकुंद दास महाराज का कहना है की संदर्भ कुछ इस तरह है कि भगवान राम जब 19 वर्ष की आयु में थे और माता-सीता मात्र 13 साल की थीं. तब उन्हें वनवास हो गया था. इसी दौरान जब भी चित्रकूट आए तो यहां उनसे मिलने के लिए आसपास के सभी साधु संत पहुंचे थे. इन्हीं में से ऋषि जवाली भी भगवान राम से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने भगवान राम से यह विनती की थी कि वे जबलपुर आएं, इसलिए भगवान जबलपुर आए और उन्होंने गुप्तेश्वर की इसी पहाड़ी की गुफा में रेत से शिवलिंग बनाया था और भगवान शिव की आराधना की थी. इसी पहाड़ी पर ऋषि जावली तपस्या करते थे. ऐसा माना जाता है कि उस समय नर्मदा नदी काफी बृहद थी और गुप्तेश्वर की इस पहाड़ी तक नर्मदा नदी बहती थी.
वाल्मीकि रामायण में भी संदर्भ मिलता है
डॉ स्वामी मुकुंद दास का कहना है कि वाल्मीकि रामायण में इस बात का संदर्भ है कि जब भगवान राम ने रामेश्वरम में रेत को इकट्ठा करके शिवलिंग बनाया. तब भगवान कहते हैं कि इसी तरह का एक शिवलिंग उन्होंने मां नर्मदा के किनारे जबलपुर में बनाया था. इसलिए उन्हें रेत से शिवलिंग बनाने का अभ्यास है और इसके बाद भगवान ने रामेश्वरम में रेत से ही शिवलिंग बनाए.
गुफा के अंदर विराजे हैं महादेव
प्राकृतिक रूप से देखें तो जबलपुर में गुप्तेश्वर मंदिर के भीतर जो शिवलिंग हैं. उनके ठीक पीछे एक बड़ी सी पहाड़ी है. इस पहाड़ी से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता है. बीच शहर में होने के बाद भी इस पहाड़ी को संरक्षित रखा गया है. इसके ऊपर कोई नहीं चढ़ता, क्योंकि सभी को पता है कि नीचे गुफा में महादेव विराजे हैं.
ऋषि जमाली के नाम पर ही जबलपुर का नाम पहले जमादीपुरम था. बाद में यह जबलपुर हुआ. डॉक्टर मुकुंद दास कहते हैं कि रामेश्वरम में जो ज्योतिर्लिंग है. उसी का अप ज्योतिर्लिंग जबलपुर के गुप्तेश्वर मंदिर में है, क्योंकि भगवान ने जब रामेश्वरम की स्थापना की तो उन्होंने जबलपुर की याद की थी और जैसा शिवलिंग जबलपुर में बनाया था. कुछ वैसा ही शिवलिंग उन्होंने रामेश्वरम में बनाया है. जबलपुर और जबलपुर के आसपास के लोग गुप्तेश्वर मंदिर में साल भर पूजा करने के लिए आते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर यहां पर बड़े आयोजन होते हैं. जिनमें हजारों लोग शामिल होते हैं. पहले यह मंदिर बहुत छोटा था, लेकिन अब मंदिर ने एक बृहद आकर ले लिया है.