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कलाकारों की बस्ती में बनते हैं मिट्टी के गणेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक जाती हैं मूर्तियां - mp news

जबलपुर का प्रजापति समाज मिट्टी की मूर्तियां बनाने में महारत रखता है. शहर से लगभग आधे मध्य प्रदेश और यहां तक कि नागपुर और रायपुर तक भी इनकी बनाई मूर्तियां जाती हैं.

कलाकारों की बस्ती
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Published : Sep 2, 2019, 2:13 PM IST

Updated : Sep 2, 2019, 2:56 PM IST

जबलपुर। शहर का प्रजापति समाज कलाकारों की बस्ती है. जबलपुर का प्रजापति समाज मिट्टी की मूर्तियां बनाने में महारत रखता है. शहर से लगभग आधे मध्य प्रदेश और यहां तक कि नागपुर और रायपुर भी मूर्तियां जाती हैं. एक अनुमान के तहत लगभग 8 से 10 हजार कलाकार हैं, जो मिट्टी की मूर्ति बनाने में माहिर हैं.

मिट्टी की मूर्ति बनाने के लिए पहले लकड़ी का ढांचा बनाया जाता है. ढांचे में धान का भूसा भरा जाता है. ऊपर से जूट की बोरियों से सिलाई की जाती है और एक आकार बना दिया जाता है. इसके बाद पहले से तैयार मिट्टी को धीरे-धीरे करके पूरी मूर्ति पर लगाया जाता है. इस तरीके से एक बड़ी मूर्ति आकार लेती है. छोटी मूर्तियों में भी सांचे में मिट्टी को भरकर मूर्तियां बनाई जाती हैं. कलाकारों का कहना है कि वो किसी भी ऐसे सामान का इस्तेमाल नहीं करते, जो विसर्जन के बाद नदी में गंदगी करें. हालांकि जबलपुर में मूर्तियों का विसर्जन कुंड में किया जाता है, लेकिन फिर भी जबलपुर के कलाकार प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल नहीं करते.

कलाकारों की बस्ती

एक अनुमान के तहत जबलपुर में ही एक लाख से ज्यादा घरों में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी. लगभग इतनी ही तादाद में जबलपुर से गणेश प्रतिमाएं बाहर भी जाएंगी. इससे ये साफ है कि सिर्फ गणेश प्रतिमाओं के जरिए जबलपुर शहर को करोड़ों रुपए की आमदनी होती है और हजारों परिवार पल रहे हैं. गणेश के बाद दुर्गा प्रतिमाएं बनाकर भी ये परिवार अपने सालभर की आमदनी का इंतजाम करेंगे, लेकिन इन कलाकारों को इस बात का मलाल है कि इन्हें वो पहचान नहीं मिली है, जो प्रदेश या देश के दूसरे कलाकारों को मिली हुई है, इसलिए अब मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले इन कलाकारों को सरकार से मदद की दरकार है.

इन कलाकारों के अलावा इस कारोबार में कई व्यापारी भी हैं, जो जबलपुर के बाहर से प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां लाए हैं, हालांकि इन्हें चोरी-छिपे तरीके से बेचा जा रहा है. बाजार में लगी दुकानों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां नजर नहीं आ रही हैं.

जबलपुर। शहर का प्रजापति समाज कलाकारों की बस्ती है. जबलपुर का प्रजापति समाज मिट्टी की मूर्तियां बनाने में महारत रखता है. शहर से लगभग आधे मध्य प्रदेश और यहां तक कि नागपुर और रायपुर भी मूर्तियां जाती हैं. एक अनुमान के तहत लगभग 8 से 10 हजार कलाकार हैं, जो मिट्टी की मूर्ति बनाने में माहिर हैं.

मिट्टी की मूर्ति बनाने के लिए पहले लकड़ी का ढांचा बनाया जाता है. ढांचे में धान का भूसा भरा जाता है. ऊपर से जूट की बोरियों से सिलाई की जाती है और एक आकार बना दिया जाता है. इसके बाद पहले से तैयार मिट्टी को धीरे-धीरे करके पूरी मूर्ति पर लगाया जाता है. इस तरीके से एक बड़ी मूर्ति आकार लेती है. छोटी मूर्तियों में भी सांचे में मिट्टी को भरकर मूर्तियां बनाई जाती हैं. कलाकारों का कहना है कि वो किसी भी ऐसे सामान का इस्तेमाल नहीं करते, जो विसर्जन के बाद नदी में गंदगी करें. हालांकि जबलपुर में मूर्तियों का विसर्जन कुंड में किया जाता है, लेकिन फिर भी जबलपुर के कलाकार प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल नहीं करते.

कलाकारों की बस्ती

एक अनुमान के तहत जबलपुर में ही एक लाख से ज्यादा घरों में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी. लगभग इतनी ही तादाद में जबलपुर से गणेश प्रतिमाएं बाहर भी जाएंगी. इससे ये साफ है कि सिर्फ गणेश प्रतिमाओं के जरिए जबलपुर शहर को करोड़ों रुपए की आमदनी होती है और हजारों परिवार पल रहे हैं. गणेश के बाद दुर्गा प्रतिमाएं बनाकर भी ये परिवार अपने सालभर की आमदनी का इंतजाम करेंगे, लेकिन इन कलाकारों को इस बात का मलाल है कि इन्हें वो पहचान नहीं मिली है, जो प्रदेश या देश के दूसरे कलाकारों को मिली हुई है, इसलिए अब मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले इन कलाकारों को सरकार से मदद की दरकार है.

इन कलाकारों के अलावा इस कारोबार में कई व्यापारी भी हैं, जो जबलपुर के बाहर से प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां लाए हैं, हालांकि इन्हें चोरी-छिपे तरीके से बेचा जा रहा है. बाजार में लगी दुकानों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां नजर नहीं आ रही हैं.

Intro:जबलपुर में एक लाख से ज्यादा गणेश प्रतिमाओं की स्थापना आज मिट्टी की मूर्तियां बनाने का प्रदेश का सबसे बड़ा केंद्र मिट्टी की मूर्ति कला में माहिर हैं 10000 से ज्यादा कलाकार


Body:जबलपुर कलाकारों की बस्ती है जबलपुर का प्रजापति समाज मिट्टी की मूर्तियां बनाने में महारत रखता है जबलपुर से लगभग आधे मध्य प्रदेश यहां तक कि नागपुर और रायपुर भी मूर्तियां जाती हैं एक अनुमान के तहत लगभग आठ से 10,000 कलाकार हैं जो मिट्टी की मूर्ति कला में माहिर ह

जबलपुर में मूर्ति मिट्टी से ही बनाई जाती है पहले लकड़ी का ढांचा बनाया जाता है ढांचे में धान का भूसा भरा जाता है ऊपर से जूट की बोरियों से सिलाई की जाती है और एक आकार बना दिया जाता है इसके बाद पहले से तैयार मिट्टी को धीरे-धीरे करके पूरी मूर्ति पर लगाया जाता है इस तरीके से एक बड़ी मूर्ति आकार लेती है छोटी मूर्तियों में भी सांचे मैं मिट्टी को भरकर मूर्तियां बनाई जाती हैं कलाकारों का कहना है कि वह किसी भी ऐसे सामान का इस्तेमाल नहीं करते जो विसर्जन के बाद नदी में गंदगी करें हालांकि जबलपुर में मूर्तियों का विसर्जन कुंड में किया जाता है लेकिन फिर भी जबलपुर के कलाकार प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल नहीं करते

एक अनुमान के तहत जबलपुर में ही एक लाख से ज्यादा घरों में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी लगभग इतनी ही तादाद में जबलपुर से गणेश प्रतिमाएं बाहर भी जाएंगी इससे यह स्पष्ट है कि सिर्फ गणेश प्रतिमाओं के जरिए जबलपुर शहर को करोड़ों रुपए की आमदनी होती है और हजारों परिवार पल रहे हैं गणेश के बाद दुर्गा प्रतिमाएं बनाकर भी यही परिवार अपना साल भर का गुजर-बसर करते हैं लेकिन इन कलाकारों को वह पहचान नहीं मिली है जो प्रदेश या देश के दूसरे कलाकारों को मिली हुई है इसलिए अब मिट्टी के यह कलाकार सरकार से मदद की दरकार कर रहे हैं


Conclusion:इन कलाकारों के अलावा इस कारोबार में कई व्यापारी भी हैं जो जबलपुर के बाहर से प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां लाए हैं हालांकि इनको चोरी छुपे तरीके से बेचा जा रहा है बाजार में लगी दुकानों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां नजर नहीं आ रही हैं जबलपुर के मिट्टी के इन कलाकारों को यदि सरकार से थोड़ी सी पहचान मिल जाए तो सदियों से रोजगार देने वाला यह कारोबार इज्जत दार कारोबार भी बन जाएगा
बाइट श्रुति प्रजापति बाल कलाकार
बाइट गोपाल प्रजापति कलाकार
बाइट नरेंद्र श्रीवास्तव कलाकार
Last Updated : Sep 2, 2019, 2:56 PM IST
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