जबलपुर। मध्यप्रदेश का जबलपुर जिला धर्म-दर्शन और अध्यात्म के लिए भारत और पूरी दुनिया में जाना जाता है. क्योंकि जबलपुर से ही ओशो रजनीश, महर्षि महेश योगी और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की वजह से पूरी दुनिया में धर्म दर्शन और अध्यात्म में अलग छाप छोड़ी है. वहीं अब जबलपुर के नाम एक और ख्याति जुड़ने जा रही है. गुजरात में स्थापित अक्षरधाम मंदिर पूरी दुनिया में भारत की पहचान है. खास बात यह है कि दुनियाभर में स्थापित अक्षरधाम मंदिर का नाता जबलपुर से है.
अक्षरधाम मंदिर का जबलपुर से नाता
जबलपुर के रसल चौक के पास एक मकान को अक्षरधाम मंदिरों का संचालन करने वाली स्वामीनारायण संस्था ने खरीदा है. उन्होंने पुराने मकान को तोड़कर एक भव्य मंदिर बनाया. तब तक किसी को अंदाजा नहीं था कि आखिर इस जगह का अक्षरधाम मंदिर से क्या नाता है. लोगों को लग रहा था कि मंदिर अपने विस्तार में जबलपुर में भी एक शाखा खोल रहा है, लेकिन अक्षरधाम मंदिरों के संतों ने खुलासा किया है कि इन मंदिरों का निर्माण कराने वाले स्वामी महाराज जो इस संस्था के प्रमुख थे, उनका जन्म जबलपुर के रसल चौक के उसी घर में हुआ था.
रसल चौक में हुआ था स्वामी महाराज का जन्म
1933 में गुजरात से आए एक गुजराती परिवार जबलपुर के रसल चौक में रहने लगा था. इसी परिवार में विनु भाई नाम के एक बच्चे का जन्म हुआ. विनु भाई की शुरूआती शिक्षा-दीक्षा जबलपुर के क्राइस्टचर्च स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से हुई. अध्यात्म में गहरी रुचि रखने वाले विनु भाई का मन ज्यादा दिनों तक स्कूल में नहीं लगा और वे स्वामीनारायण संस्था के साथ जुड़ गए. उन्होंने संन्यास ले लिया.
दुनियाभर में अक्षरधाम के 11सौ मंदिर
विनु भाई का नाम महंत स्वामी महाराज रखा गया. महंत स्वामी महाराज के नेतृत्व में अक्षरधाम मंदिरों का विस्तार भारत ही नहीं पूरी दुनिया में हुआ. दुनियाभर में अक्षरधाम के करीब 11सौ मंदिर स्थापित हैं. लंदन, शिकागो, अटलांटा सिडनी, ऑकलैंड, नैरोबी, टोरंटो, लॉस एंजेलिस और अबू धाबी जैसे मुस्लिम देश में भी अक्षरधाम के बड़े मंदिर हैं. अक्षरधाम मंदिर की बनावट बहुत ही भव्य होती है. मंदिर की स्थापत्य कला बेजोड़ होती है. महंत स्वामी महाराज का जन्म जिस जगह पर हुआ था. रसल चौक में अब इस जगह पर एक भव्य मंदिर बनाया गया है. आने वाले तीन दिनों तक जबलपुर में इसकी प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े हुए कार्यक्रम किए जाएंगे.