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Jabalpur Minor Rape: जिंदगी और मौत के बीच झूल रही मासूम, प्रशासन की लापरवाही से 7 घंटे बाद मिला इलाज - जबलपुर क्राइम न्यूज

जबलपुर के नटवरा बरगी गांव की 3 साल की नन्ही बच्ची अभी भी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रही है. मंगलवार रात को एक दरिंदे ने इस मासूम के साथ बड़ी बेरहमी से बलात्कार किया था और यह दरिंदा अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है. इस मासूम का जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है.

जबलपुर में 3 साल की बच्ची से रेप
3 year old girl raped in Jabalpur
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Published : Mar 23, 2023, 6:28 PM IST

जबलपुर। जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई थी. नटवरा बरगी में युवक ने 3 साल की बच्ची को हवस का शिकार बनाया था (3 year old girl raped in Jabalpur). गंभीर हालत में मासूम का जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि ''पीड़ित बच्ची को तुरंत इलाज के लिए लाना था, लेकिन घटना के लगभग 12 घंटे बाद इस मासूम को इलाज मिल पाया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई''.

तड़पती रही मासूम, देखते रही पुलिस: परिवार ने बताया है कि ''उनकी बेटी को रात के लगभग 1:00 बजे बदमाश घर से उठाकर ले गया था. रात 1:00 बजे से लेकर सुबह 6:00 बजे तक मासूम उसी दरिंदे के कब्जे में थी, लेकिन सुबह 6:00 बजे के बाद पुलिस की लापरवाही की वजह से अगले 7 घंटे तक उसे इलाज नहीं मिल पाया था''. पीड़ित मासूम के दादा ने बताया कि ''बच्ची दर्द से तड़प रही थी, उसे लगातार ब्लीडिंग हो रही थी, लेकिन पुलिस वाले ना तो कार्रवाई कर रहे थे और ना ही उसे इलाज के लिए अस्पताल भेज रहे थे. वह सुबह 7:00 बजे शाहपुरा के थाने में पहुंच गए थे लेकिन शुरुआती 3 घंटे तक उनको बिठाए रखा गया. जब एक महिला पुलिसकर्मी वहां पहुंची तब कार्रवाई आगे बढ़ी''. शाहपुरा थाना परिसर में ही थाना प्रभारी का बंगला भी है, इसके बावजूद पुलिस की लापरवाही देखिए कि एक मासूम खून से लथपथ दर्द से कराह रही थी लेकिन इस मासूम को तुरंत इलाज नहीं दिया गया.

शराब ठेकेदार की गाड़ी से ले जाया गया अस्पताल: इसके बाद भी जो घटनाक्रम सामने आया वह लापरवाही की हद है. पुलिस के पास थाने में ही कई गाड़ियां हैं, एक-एक एंबुलेंस हर थाने को दी गई है. डायल 100 हमेशा थाने के आसपास रहती है, लेकिन इसके बावजूद जब एक नन्ही बलात्कार पीड़िता को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी की बात की गई तो थाने के पास एक भी चार पहिया वाहन नहीं था. एक शराब ठेकेदार की गाड़ी में मासूम को अस्पताल तक पहुंचाया जा सका.

घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो: पूर्व मंत्री ओमकार मरकाम ने आरोप लगाया है कि ''शराब ठेकेदार की गाड़ी भी शाहपुरा से जबलपुर तक 2 घंटे में पहुंच पाई, जो दूरी मात्र 30 मिनट में पूरी की जा सकती थी उसको पूरा करने में आखिर गाड़ी को 2 घंटे क्यों लगे''. ओमकार मरकाम का कहना है कि ''उस ड्राइवर का मोबाइल चेक किया जाना चाहिए. ऐसा लग रहा है कि कोई उससे गाड़ी को धीमे चलाने के लिए कह रहा होगा. जाहिर सी बात है कि इस घटना के बाद सरकार की और अधिकारियों की किरकिरी होने वाली थी, इसलिए प्रशासन की पूरी कोशिश थी कि यह घटना गुपचुप तरीके से खत्म हो जाए''. ओमकार सिंह मरकाम ने इस मामले में मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है. इसके अलावा कांग्रेस का कहना है कि ''लापरवाह पुलिसकर्मियों को पद से हटाया जाए''.

Also Read: रेप से संबंधित इन खबरों पर भी डालें एक नजर

कानूनी लापरवाही: कांग्रेस नेता जिला महिला अस्पताल एलगिन में बच्ची को लेकर पहुंचे थे. महिला डॉक्टर ने साथ में आई पुलिस कर्मी से जब थाने की ओर से लिखी हुई चिट्ठी मांगी तो महिला पुलिसकर्मी डॉक्टर को वह चिट्ठी नहीं दे पाई. उसका कहना था कि ''उसे कोई दस्तावेज नहीं दिए गए हैं''. कांग्रेस नेताओं के दखल के बाद मासूम को इलाज मिल पाया. कांग्रेसियों का यह कहना है कि ''आखिर इतनी सब लापरवाही कैसे हुई, इसकी जांच जरूर होनी चाहिए''.

जिंदगी और मौत के बीच झूल रही मासूम: दरिंदे की हवस का शिकार एक नन्हीं सी मासूम इस समय जिंदगी और मौत के बीच सरकारी अस्पताल में इलाज करवा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि ''कल से उसकी हालत बेहतर है. पहले जिला अस्पताल में उसे भर्ती किया गया, लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ी तो उसे मेडिकल कालेज भेजना पड़ा''. इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मासूम को कितनी समस्या रही होगी. मासूम के दो गुनाहगार हैं पहला जिसने उसके साथ बलात्कार किया और दूसरे वे लोग जो ऐसे समय पर इलाज मुहैया नहीं करवा पाए.

जबलपुर। जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई थी. नटवरा बरगी में युवक ने 3 साल की बच्ची को हवस का शिकार बनाया था (3 year old girl raped in Jabalpur). गंभीर हालत में मासूम का जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि ''पीड़ित बच्ची को तुरंत इलाज के लिए लाना था, लेकिन घटना के लगभग 12 घंटे बाद इस मासूम को इलाज मिल पाया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई''.

तड़पती रही मासूम, देखते रही पुलिस: परिवार ने बताया है कि ''उनकी बेटी को रात के लगभग 1:00 बजे बदमाश घर से उठाकर ले गया था. रात 1:00 बजे से लेकर सुबह 6:00 बजे तक मासूम उसी दरिंदे के कब्जे में थी, लेकिन सुबह 6:00 बजे के बाद पुलिस की लापरवाही की वजह से अगले 7 घंटे तक उसे इलाज नहीं मिल पाया था''. पीड़ित मासूम के दादा ने बताया कि ''बच्ची दर्द से तड़प रही थी, उसे लगातार ब्लीडिंग हो रही थी, लेकिन पुलिस वाले ना तो कार्रवाई कर रहे थे और ना ही उसे इलाज के लिए अस्पताल भेज रहे थे. वह सुबह 7:00 बजे शाहपुरा के थाने में पहुंच गए थे लेकिन शुरुआती 3 घंटे तक उनको बिठाए रखा गया. जब एक महिला पुलिसकर्मी वहां पहुंची तब कार्रवाई आगे बढ़ी''. शाहपुरा थाना परिसर में ही थाना प्रभारी का बंगला भी है, इसके बावजूद पुलिस की लापरवाही देखिए कि एक मासूम खून से लथपथ दर्द से कराह रही थी लेकिन इस मासूम को तुरंत इलाज नहीं दिया गया.

शराब ठेकेदार की गाड़ी से ले जाया गया अस्पताल: इसके बाद भी जो घटनाक्रम सामने आया वह लापरवाही की हद है. पुलिस के पास थाने में ही कई गाड़ियां हैं, एक-एक एंबुलेंस हर थाने को दी गई है. डायल 100 हमेशा थाने के आसपास रहती है, लेकिन इसके बावजूद जब एक नन्ही बलात्कार पीड़िता को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी की बात की गई तो थाने के पास एक भी चार पहिया वाहन नहीं था. एक शराब ठेकेदार की गाड़ी में मासूम को अस्पताल तक पहुंचाया जा सका.

घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो: पूर्व मंत्री ओमकार मरकाम ने आरोप लगाया है कि ''शराब ठेकेदार की गाड़ी भी शाहपुरा से जबलपुर तक 2 घंटे में पहुंच पाई, जो दूरी मात्र 30 मिनट में पूरी की जा सकती थी उसको पूरा करने में आखिर गाड़ी को 2 घंटे क्यों लगे''. ओमकार मरकाम का कहना है कि ''उस ड्राइवर का मोबाइल चेक किया जाना चाहिए. ऐसा लग रहा है कि कोई उससे गाड़ी को धीमे चलाने के लिए कह रहा होगा. जाहिर सी बात है कि इस घटना के बाद सरकार की और अधिकारियों की किरकिरी होने वाली थी, इसलिए प्रशासन की पूरी कोशिश थी कि यह घटना गुपचुप तरीके से खत्म हो जाए''. ओमकार सिंह मरकाम ने इस मामले में मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है. इसके अलावा कांग्रेस का कहना है कि ''लापरवाह पुलिसकर्मियों को पद से हटाया जाए''.

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कानूनी लापरवाही: कांग्रेस नेता जिला महिला अस्पताल एलगिन में बच्ची को लेकर पहुंचे थे. महिला डॉक्टर ने साथ में आई पुलिस कर्मी से जब थाने की ओर से लिखी हुई चिट्ठी मांगी तो महिला पुलिसकर्मी डॉक्टर को वह चिट्ठी नहीं दे पाई. उसका कहना था कि ''उसे कोई दस्तावेज नहीं दिए गए हैं''. कांग्रेस नेताओं के दखल के बाद मासूम को इलाज मिल पाया. कांग्रेसियों का यह कहना है कि ''आखिर इतनी सब लापरवाही कैसे हुई, इसकी जांच जरूर होनी चाहिए''.

जिंदगी और मौत के बीच झूल रही मासूम: दरिंदे की हवस का शिकार एक नन्हीं सी मासूम इस समय जिंदगी और मौत के बीच सरकारी अस्पताल में इलाज करवा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि ''कल से उसकी हालत बेहतर है. पहले जिला अस्पताल में उसे भर्ती किया गया, लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ी तो उसे मेडिकल कालेज भेजना पड़ा''. इसी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मासूम को कितनी समस्या रही होगी. मासूम के दो गुनाहगार हैं पहला जिसने उसके साथ बलात्कार किया और दूसरे वे लोग जो ऐसे समय पर इलाज मुहैया नहीं करवा पाए.

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