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जबलपुर में 155 साल पुरानी रामलीला आज भी जारी, बड़ी संख्या में देखने पहुंचते हैं लोग - mp news

जबलपुर के गोविंदगंज में बीते 155 सालों से हो रहा है रामलीला का मंचन, 9 दिनों तक मंदिर में ही रहते हैं राम बनने वाले पात्र बड़ी संख्या में रामलीला देखने पहुंचते हैं लोग

155 साल पुरानी रामलीला आज भी जारी
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Published : Sep 30, 2019, 7:24 AM IST

जबलपुर। जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला 155 साल पुरानी रामलीला है आज भी इसका मंचन पुराने अंदाज में ही किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी लोग रामलीला देखने पहुंचते हैं गोविंदगंज रामलीला जबलपुर की पहचान है.
जबलपुर के पुराने बाजार में यह रामलीला बीते 155 सालों से मंचित हो रही है आज भी रामलीला के कलाकार जो राम सीता और लक्ष्मण का पात्र निभाते हैं वे 9 दिनों तक घर नहीं जाते और पास में ही बने राम मंदिर में रहते हैं.

155 साल पुरानी रामलीला आज भी जारी


यहां तक कि ऐसी मान्यता है की लोग उन्हें राम मानकर ही इनका पूजन करते हैं और मनोकामनाएं मानते हैं रामलीला सदियों तक हमारे समाज का अभिन्न अंग रही है और गांव कस्बों से लेकर शहर तक नवरात्रि के दौरान रामलीला का मंचन जरूर होता था लेकिन मनोरंजन के साधन विकसित होने के साथ समाज की यह पुरानी परंपरा धीरे-धीरे कमजोर हो गई और लोग रामलीला देखने के लिए अब नहीं जाते शहर की कई रामलीला हैं बंद हो गई हैं लेकिन इसके बावजूद जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला आज भी अपने उसी स्वरूप में मंचित हो रही है.


जैसी आज से 100 साल पहले होती थी और लोग बड़े चाव से इसे देखने के लिए जाते हैं पुरानी बाजार में 50 फीट लंबा एक रैंप बनाया जाता है जिस पर रामलीला का मंचन किया जाता है हालांकि आयोजकों का कहना है नए जमाने की लड़के कार्यक्रम देखना तो चाहते हैं लेकिन मंचन करना नहीं चाहते इसलिए कलाकारों की कमी होने लगी है और पुराने कलाकार ही अभी काम कर रहे हैं

जबलपुर। जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला 155 साल पुरानी रामलीला है आज भी इसका मंचन पुराने अंदाज में ही किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी लोग रामलीला देखने पहुंचते हैं गोविंदगंज रामलीला जबलपुर की पहचान है.
जबलपुर के पुराने बाजार में यह रामलीला बीते 155 सालों से मंचित हो रही है आज भी रामलीला के कलाकार जो राम सीता और लक्ष्मण का पात्र निभाते हैं वे 9 दिनों तक घर नहीं जाते और पास में ही बने राम मंदिर में रहते हैं.

155 साल पुरानी रामलीला आज भी जारी


यहां तक कि ऐसी मान्यता है की लोग उन्हें राम मानकर ही इनका पूजन करते हैं और मनोकामनाएं मानते हैं रामलीला सदियों तक हमारे समाज का अभिन्न अंग रही है और गांव कस्बों से लेकर शहर तक नवरात्रि के दौरान रामलीला का मंचन जरूर होता था लेकिन मनोरंजन के साधन विकसित होने के साथ समाज की यह पुरानी परंपरा धीरे-धीरे कमजोर हो गई और लोग रामलीला देखने के लिए अब नहीं जाते शहर की कई रामलीला हैं बंद हो गई हैं लेकिन इसके बावजूद जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला आज भी अपने उसी स्वरूप में मंचित हो रही है.


जैसी आज से 100 साल पहले होती थी और लोग बड़े चाव से इसे देखने के लिए जाते हैं पुरानी बाजार में 50 फीट लंबा एक रैंप बनाया जाता है जिस पर रामलीला का मंचन किया जाता है हालांकि आयोजकों का कहना है नए जमाने की लड़के कार्यक्रम देखना तो चाहते हैं लेकिन मंचन करना नहीं चाहते इसलिए कलाकारों की कमी होने लगी है और पुराने कलाकार ही अभी काम कर रहे हैं

Intro:जबलपुर के गोविंदगंज में बीते 155 सालों से हो रहा है रामलीला का मंचन 9 दिनों तक मंदिर में ही रहते हैं राम बनने वाले पात्र बड़ी तादाद में रामलीला देखने पहुंचते हैं लोग


Body: जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला 155 साल पुरानी रामलीला है आज भी इसका मंचन पुराने अंदाज में ही किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी लोग रामलीला देखने पहुंचते हैं

गोविंदगंज रामलीला जबलपुर की पहचान है जबलपुर के पुरानी बाजार में यह रामलीला बीते 155 सालों से मंचित हो रही है आज भी रामलीला के कलाकार जो राम सीता और लक्ष्मण का पात्र निभाते हैं वे 9 दिनों तक घर नहीं जाते और पास में ही बने राम मंदिर में रहते हैं यहां तक कि ऐसी मान्यता है की लोग उन्हें राम मानकर ही इनका पूजन करते हैं और मनोकामनाएं मानते हैं

रामलीला सदियों तक हमारे समाज का अभिन्न अंग रही है और गांव कस्बों से लेकर शहर तक नवरात्रि के दौरान रामलीला का मंचन जरूर होता था लेकिन मनोरंजन के साधन विकसित होने के साथ समाज की यह पुरानी परंपरा धीरे-धीरे कमजोर हो गई और लोग रामलीला देखने के लिए अब नहीं जाते शहर की कई रामलीला हैं बंद हो गई हैं लेकिन इसके बावजूद जबलपुर की गोविंदगंज रामलीला आज भी अपने उसी स्वरूप में मंचित हो रही है जैसी आज से 100 साल पहले होती थी और लोग बड़े चाव से इसे देखने के लिए जाते हैं पुरानी बाजार में 50 फीट लंबा एक रैंप बनाया जाता है जिस पर रामलीला का मंचन किया जाता है


Conclusion:हालांकि आयोजकों का कहना है नए जमाने की लड़के कार्यक्रम देखना तो चाहते हैं लेकिन मंचन करना नहीं चाहते इसलिए कलाकारों की कमी होने लगी है और पुराने कलाकार ही अभी काम कर रहे हैं
बाइट अनिल तिवारी अध्यक्ष गोविंदगंज रामलीला समिति
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