जबलपुर। जिला देश का एक ऐसा बड़ा धान उत्पादक केंद्र है, जहां केवल सरकारी व्यवस्था के जरिए लगभग 700 से 800 करोड़ रुपए की धान की खरीदी की जाती है. देश में कुछ ही जगह ऐसी हैं, जहां इतनी बड़ी तादाद में धान की खरीदी होती है.
हर सीजन होता है फर्जीवाड़ा
बीते सालों के धान से जुड़े घोटालों को देखा जाए तो शहर में धान बिक्री में एक माफिया काम करता है. दरअसल, सरकार समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करती है, जिन किसानों ने धान की फसल खेतों में लगाई है, वह इसका रजिस्ट्रेशन करवाते हैं. ये रजिस्ट्रेशन सोसायटीओं के माध्यम से किया जाता है. जितने क्षेत्रफल का रजिस्ट्रेशन होता है, सरकार केवल उतनी ही उपज खरीदती है. इसमें कुछ फर्जी लोग सरकारी जमीन, सिकमी जमीन और गैर उपज वाली जमीनों का रजिस्ट्रेशन करवा देते हैं. साथ ही दूसरे प्रदेशों से कम कीमत में धान खरीद कर समर्थन मूल्य पर सरकार को बेच देते हैं. इसमें कुछ स्थानीय किसानों की धान भी कम कीमत में खरीदकर सरकारी व्यवस्था में बेची जाती है.
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1200 पाए गए फर्जी रजिस्ट्रेशन
बीते सालों के अनुभव के आधार पर इस साल भी रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार ने छानबीन शुरू की, तो लगभग 45 हजार किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाए. इनमें से अब तक 1200 फर्जी रजिस्ट्रेशन सामने आ चुके हैं. इन तमाम फर्जी रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया गया है. वहीं जिन लोगों ने यह फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाए थे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है.
दीवाली के बाद शुरू होगी खरीदी
शहर में दीपावली के ठीक बाद धान की खरीदी शुरू हो जाती है. इसके लिए 110 केंद्रों की व्यवस्था कराई जायेगी. इस साल धान की उत्पादकता अच्छी होने की उम्मीद भी जताई जा रही है. हालांकि कोरोना संकट काल के बाद यह पहली फसल है, जो कि किसानों, मजदूरों और बाजार को थोड़ी राहत पहुंचाएगी, लेकिन 700 करोड़ रुपये की धान खरीदना और इसका पेमेंट करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.