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कोरोना संक्रमितों के परिजनों को फ्री में भोजन उपलब्ध करा रहे ग्रामीण

कोरोना संकट में बिसनावद गांव के ग्रामीणों ने एक अच्छी पहल शुरू की है. ग्रामीणों ने कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजनों के लिए दोनों समय का भोजन उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. इस कड़ी में संस्था की ओर से सुबह-शाम परिजनों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.

इंदौर समाचार
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Published : Apr 28, 2021, 10:35 PM IST

इंदौर। कोरोना मरीजो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यहां कई हॉस्पिटलों के बाहर सुबह से मरीजों के परिजन इकट्ठा हो जाते हैं. ऐसे में परिजनों की समस्याओं को देखते हुए शहर के एक गांव के ग्रामीणों ने एक अच्छी पहल करते हुए उन्हें दोनों समय का भोजन उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. इस कड़ी में संस्था की ओर से सुबह-शाम परिजनों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे भी अच्छी बात ये है कि इस भोजन के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है.

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मरीजों के परिजनों को उपलब्ध कराया जा रहा भोजन

इंदौर के विभिन्न हॉस्पिटलों में एक तरफ तो जमकर मरीजों से लूटपाट मची हुई है, तो वहीं दूसरी और इंदौर में ऐसे भी लोग मौजूद हैं, जो लगातार हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के परिजनों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. इसी कड़ी में इंदौर के कुछ ग्रामीणों की टोली ने इस अभियान की शुरुआत की है. इंदौर के सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल जिसमें एमवाय हॉस्पिटल, अरविंदो हॉस्पिटल व अन्य हॉस्पिटल शामिल हैं. जहां पर कोरोना मरीज भर्ती है उनके परिजनों को सुबह भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. यह काम ग्रामीणों ने कई दिनों से चालू कर दिया है. भोजन को बनाने के लिए वह आपस में ही रुपए व अन्य सामान इकट्ठा कर लेते हैं. इसके बाद मरीजों के साथ ही उनके परिजनों का भोजन बनाकर उनके घरों तक पहुंचा देते हैं.


1700 से अधिक पैकेट का कर रहे हैं वितरण

ग्रामीणों के द्वारा रोजाना 17 सौ से अधिक पैकेट का निर्माण करवाया जा रहा है. इन पैकेट को इंदौर के विभिन्न हॉस्पिटलों के साथ ही जिन मरीजों का पूरा घर संक्रमित हैं और उनके घर में कोई भी खाना उपलब्ध नहीं कराने वाला है, ऐसे लोगों को भी खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है. कोरोना कर्फ्यू के कारण कई मजदूर वर्ग के लोगों के आर्थिक हालत ठीक नहीं हैं. ऐसे लोगों के घर भी ग्रामीणों के द्वारा भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं.


होशंगाबाद में 7 मई तक बढ़ा कोरोना कर्फ्यू


दस हजार रुपए रोज का खर्चा

ग्रामीणों के द्वारा भोजन के पैकेट तैयार करने में रोजाना 10000 रुपए का खर्चा आ रहा है. इस खर्च को गांव के लोग आपस में ही बांट लेते हैं. कोई सामान ले आता है तो कोई नगद रुपए दे देता है. इस तरह से यह सेवा कार्य ग्रामीणों के द्वारा चलाया जा रहा है. ग्रामीणों के द्वारा रोजाना अलग-अलग भोजन के पैकेट तैयार किए जाते हैं. शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर बिसनावद गांव के ग्रामीणों ने इस मुहिम की शुरुआत पिछले साल लॉकडाउन के दौरान की थी.


इंदौर। कोरोना मरीजो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. यहां कई हॉस्पिटलों के बाहर सुबह से मरीजों के परिजन इकट्ठा हो जाते हैं. ऐसे में परिजनों की समस्याओं को देखते हुए शहर के एक गांव के ग्रामीणों ने एक अच्छी पहल करते हुए उन्हें दोनों समय का भोजन उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. इस कड़ी में संस्था की ओर से सुबह-शाम परिजनों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे भी अच्छी बात ये है कि इस भोजन के लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है.

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मरीजों के परिजनों को उपलब्ध कराया जा रहा भोजन

इंदौर के विभिन्न हॉस्पिटलों में एक तरफ तो जमकर मरीजों से लूटपाट मची हुई है, तो वहीं दूसरी और इंदौर में ऐसे भी लोग मौजूद हैं, जो लगातार हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के परिजनों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. इसी कड़ी में इंदौर के कुछ ग्रामीणों की टोली ने इस अभियान की शुरुआत की है. इंदौर के सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल जिसमें एमवाय हॉस्पिटल, अरविंदो हॉस्पिटल व अन्य हॉस्पिटल शामिल हैं. जहां पर कोरोना मरीज भर्ती है उनके परिजनों को सुबह भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. यह काम ग्रामीणों ने कई दिनों से चालू कर दिया है. भोजन को बनाने के लिए वह आपस में ही रुपए व अन्य सामान इकट्ठा कर लेते हैं. इसके बाद मरीजों के साथ ही उनके परिजनों का भोजन बनाकर उनके घरों तक पहुंचा देते हैं.


1700 से अधिक पैकेट का कर रहे हैं वितरण

ग्रामीणों के द्वारा रोजाना 17 सौ से अधिक पैकेट का निर्माण करवाया जा रहा है. इन पैकेट को इंदौर के विभिन्न हॉस्पिटलों के साथ ही जिन मरीजों का पूरा घर संक्रमित हैं और उनके घर में कोई भी खाना उपलब्ध नहीं कराने वाला है, ऐसे लोगों को भी खाना उपलब्ध करवाया जा रहा है. कोरोना कर्फ्यू के कारण कई मजदूर वर्ग के लोगों के आर्थिक हालत ठीक नहीं हैं. ऐसे लोगों के घर भी ग्रामीणों के द्वारा भोजन के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं.


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दस हजार रुपए रोज का खर्चा

ग्रामीणों के द्वारा भोजन के पैकेट तैयार करने में रोजाना 10000 रुपए का खर्चा आ रहा है. इस खर्च को गांव के लोग आपस में ही बांट लेते हैं. कोई सामान ले आता है तो कोई नगद रुपए दे देता है. इस तरह से यह सेवा कार्य ग्रामीणों के द्वारा चलाया जा रहा है. ग्रामीणों के द्वारा रोजाना अलग-अलग भोजन के पैकेट तैयार किए जाते हैं. शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर बिसनावद गांव के ग्रामीणों ने इस मुहिम की शुरुआत पिछले साल लॉकडाउन के दौरान की थी.


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