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बेदर्द सिस्टमः जीतू पटवारी के हस्तक्षेप के बाद भी मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाई पीड़िता

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Published : May 20, 2021, 11:09 PM IST

ब्लैक फंगस के लिए सरकार की घोषणओं के बाद भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. एक महिला अपने पति को ब्लैक फंगस होने पर भी इलाज ना होने के कारण मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा जाहिर की लेकिन पुलिसकर्मियों ने महिला को मिलने नहीं दिया. जीतू पटवारी ने इसमें हस्तक्षेप भी किया, लेकिन इसके बाद भी महिला सीएम से नहीं मिल पाई.

Merciless system
बेदर्द सिस्टम

इंदौर। मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस की बीमारी के निःशुल्क इलाज के सरकारी दावों के बावजूद ना तो जरूरतमंदों को इंजेक्शन मिल पा रहे हैं, और ना ही सरकार की कोई मदद ही मिल पा रही है. ऐसे में इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इंजेक्शन की गुहार लगाने पहुंचा. लेकिन एक दुखी परिवार पुलिस की प्रताड़ना और मनमानी के कारण मुख्यमंत्री से नहीं मिल सका.

मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाई पीड़िता
  • पुलिसकर्मियों के कारण सीएम से नहीं मिल सकी महिला

दरअसल इंदौर के समाजवाद नगर निवासी पदमा जैन अपने 40 वर्षीय पति को ब्लैक फंगस के इंजेक्शन दिलाने की मदद के लिए कलेक्ट्रेट पहुंची थी. यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आने पर पदमा समेत उसके पुत्र को उम्मीद थी, कि मुख्यमंत्री उसकी कोई मदद करेंगे. लिहाजा वह मुख्यमंत्री से मिलने के इंतजार में करीब 5 घंटे तक कलेक्ट्रेट के गेट पर अपने मासूम बच्चे के साथ खड़ी रही. इस दौरान जब कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री इंदौर से रवाना होने वाले थे तब पदमा जैन ने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से उसे मुख्यमंत्री से मिलाने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसे उल्टे डांटते हुए कहा कि यहां मुख्यमंत्री से कोई नहीं मिल सकता. इसके बाद महिला और उसके बच्चे को कलेक्टोरेट के पास से करीब 100 मीटर आगे बस स्टैंड तक पुलिस कर्मियों द्वारा खड़ा कर दिया गया.

सीएम ने बुधनी कोविड केयर सेंटर और एकलव्य परिसर का किया दौरा

  • महिला के साथ उनके दो बच्चे भी थे मौजूद

इस बीच समीक्षा बैठक से बाहर निकले कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को जब महिला और उसके बच्चे की परेशानी के बारे में बताया, तो पटवारी खुद पीड़ित महिला से मिलने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों को महिला को संभागायुक्त से मिलाने और महिला की परेशानी प्रशासन तक पहुंचाने के लिए कहा, लेकिन पुलिस ने एक गेट से प्रवेश देने के बाद अगले गेट पर महिला को कलेक्ट्रेट के अंदर नहीं जाने दिया. इस बीच पीड़ित महिला ने कई बार संबंधित थाना प्रभारी आरएलएन भदौरिया और सुनीता चौधरी से हाथ जोड़कर अनुरोध किया. लेकिन पुलिस के दोनों अधिकारियों ने महिला की एक ना सुनी. इस दौरान पदमा के दोनों बच्चे प्रथम और पंडित भी रोते हुए नजर आए.

इंदौर। मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस की बीमारी के निःशुल्क इलाज के सरकारी दावों के बावजूद ना तो जरूरतमंदों को इंजेक्शन मिल पा रहे हैं, और ना ही सरकार की कोई मदद ही मिल पा रही है. ऐसे में इंदौर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इंजेक्शन की गुहार लगाने पहुंचा. लेकिन एक दुखी परिवार पुलिस की प्रताड़ना और मनमानी के कारण मुख्यमंत्री से नहीं मिल सका.

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  • पुलिसकर्मियों के कारण सीएम से नहीं मिल सकी महिला

दरअसल इंदौर के समाजवाद नगर निवासी पदमा जैन अपने 40 वर्षीय पति को ब्लैक फंगस के इंजेक्शन दिलाने की मदद के लिए कलेक्ट्रेट पहुंची थी. यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आने पर पदमा समेत उसके पुत्र को उम्मीद थी, कि मुख्यमंत्री उसकी कोई मदद करेंगे. लिहाजा वह मुख्यमंत्री से मिलने के इंतजार में करीब 5 घंटे तक कलेक्ट्रेट के गेट पर अपने मासूम बच्चे के साथ खड़ी रही. इस दौरान जब कलेक्ट्रेट में समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री इंदौर से रवाना होने वाले थे तब पदमा जैन ने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से उसे मुख्यमंत्री से मिलाने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उसे उल्टे डांटते हुए कहा कि यहां मुख्यमंत्री से कोई नहीं मिल सकता. इसके बाद महिला और उसके बच्चे को कलेक्टोरेट के पास से करीब 100 मीटर आगे बस स्टैंड तक पुलिस कर्मियों द्वारा खड़ा कर दिया गया.

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  • महिला के साथ उनके दो बच्चे भी थे मौजूद

इस बीच समीक्षा बैठक से बाहर निकले कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को जब महिला और उसके बच्चे की परेशानी के बारे में बताया, तो पटवारी खुद पीड़ित महिला से मिलने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों को महिला को संभागायुक्त से मिलाने और महिला की परेशानी प्रशासन तक पहुंचाने के लिए कहा, लेकिन पुलिस ने एक गेट से प्रवेश देने के बाद अगले गेट पर महिला को कलेक्ट्रेट के अंदर नहीं जाने दिया. इस बीच पीड़ित महिला ने कई बार संबंधित थाना प्रभारी आरएलएन भदौरिया और सुनीता चौधरी से हाथ जोड़कर अनुरोध किया. लेकिन पुलिस के दोनों अधिकारियों ने महिला की एक ना सुनी. इस दौरान पदमा के दोनों बच्चे प्रथम और पंडित भी रोते हुए नजर आए.

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