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नहीं थम रहा पेड़ों की कटाई का सिलसिला, सरकार के आदेश का भी असर नहीं

एक याचिकाकर्ता ने याचिका लगाई है कि 2015 में अलग-अलग तरह के पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है लेकिन उसके बाद भी शहर में पेड़ों की कटाई का दौरान रुकने का नाम नहीं ले रहा है.

नहीं थम रहा पेड़ों की कटाई का सिलसिला
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Published : Nov 21, 2019, 11:44 AM IST

Updated : Nov 21, 2019, 1:45 PM IST

इंदौर। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक याचिकाकर्ता ने याचिका लगाई है कि 2015 में अलग-अलग तरह के पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है लेकिन उसके बाद भी शहर में पेड़ों की कटाई का दौरान रुकने का नाम नहीं ले रहा है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि वन विभाग के कुछ अधिकारी तस्करों के साथ मिले हुए हैं. जिनकी नाक के नीचे तस्कर पेड़ों का परिवहन कर उन्हें बेच रहे है.

नहीं थम रहा पेड़ों की कटाई का सिलसिला

याचिकाकर्ता राम बहादुर ने बताया कि मध्यप्रदेश की पूववर्ती सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर 2015 में पेड़ों की 53 प्रजातियों को टीपी मुक्त किया था और ये सुविधा किसानों को दी गई थी और ये सुविधा किसानों को इसलिए दी गई थी जिससे किसान इन पेड़ों को काटकर अपना जीवन यापन कर सकें.

लेकिन इसकी आड़ में बिचौलियों ने बेहताशा फायदा उठाया और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर शहर का भी वातावरण बिगाड़ दिया है. उन्होंने बताया कि पेड़ों की जिस प्रकार से कटाई की जा रही है उससे मध्यप्रदेश रेगिस्तान की तरफ अग्रसर हो रहा है.

बता दें कि याचिककर्ता के मुताबिक अवैध तरीके से पेड़ों को काटने पर एक याचिका लगाई है. वहीं पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के बाद भी वन विभाग आरोपियों पर कार्रवाई से बच रहा है. इन सब बातों को ध्यान में रखकर एक बार फिर याचिकाकर्ता ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

इंदौर। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक याचिकाकर्ता ने याचिका लगाई है कि 2015 में अलग-अलग तरह के पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई है लेकिन उसके बाद भी शहर में पेड़ों की कटाई का दौरान रुकने का नाम नहीं ले रहा है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि वन विभाग के कुछ अधिकारी तस्करों के साथ मिले हुए हैं. जिनकी नाक के नीचे तस्कर पेड़ों का परिवहन कर उन्हें बेच रहे है.

नहीं थम रहा पेड़ों की कटाई का सिलसिला

याचिकाकर्ता राम बहादुर ने बताया कि मध्यप्रदेश की पूववर्ती सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर 2015 में पेड़ों की 53 प्रजातियों को टीपी मुक्त किया था और ये सुविधा किसानों को दी गई थी और ये सुविधा किसानों को इसलिए दी गई थी जिससे किसान इन पेड़ों को काटकर अपना जीवन यापन कर सकें.

लेकिन इसकी आड़ में बिचौलियों ने बेहताशा फायदा उठाया और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर शहर का भी वातावरण बिगाड़ दिया है. उन्होंने बताया कि पेड़ों की जिस प्रकार से कटाई की जा रही है उससे मध्यप्रदेश रेगिस्तान की तरफ अग्रसर हो रहा है.

बता दें कि याचिककर्ता के मुताबिक अवैध तरीके से पेड़ों को काटने पर एक याचिका लगाई है. वहीं पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के बाद भी वन विभाग आरोपियों पर कार्रवाई से बच रहा है. इन सब बातों को ध्यान में रखकर एक बार फिर याचिकाकर्ता ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

Intro:एंकर - इंदौर हाई कोर्ट में अवैध तरीके से वृक्षों को काटने पर परिवहन को लेकर एक याचिका लगी हुई है लेकिन उसके बाद भी वन विभाग कटे हुए वृक्षों के परिवहन की नही जांच कर रहा है नहीं कोई कार्रवाई अतः नियमों को ताक पर रख वन विभाग अपने कार्य से मुक्त होता नजर आ रहा है फिलहाल एक बार फिर याचिकाकर्ता इन सब बातों को लेकर इंदौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला है।


Body:वीओ - इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने याचिका लगाई है कि 2015 में विभिन्न पेड़ों की कटाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है लेकिन उसके बाद भी इन पेड़ों की कटाई बेहताशा तरीके से हो रही है वहीं वन विभाग के कुछ अधिकारी भी इन लकड़ी तस्करों के साथ मिले हुए हैं जिनकी मौजूदगी में इन कटे हुए पेड़ों का परिवहन भी हो रहा है और बाले बाले इन पेड़ों की टीपी भी वन विभाग के द्वारा जारी कर दी जाती है लकड़ी कारखानों की तो इन कारखानों में धड़ल्ले से अवैध पेड़ो की लड़की कटाई के लिए आ रही है वह भी बिना टीपी के, याचिकाकर्ता का कहना है कि सन 2015 मैं सरकार ने एक और दो पेड़ों की कटाई को लेकर पेपर मिल वालों को छूट दी थी लेकिन लकड़ी तस्कर उन पेड़ों के साथ ही जिन पेड़ों की कटाई प्रतिबंधित है उन पेड़ों को भी काट कर बाजार में बेचने के लिए ला रहे हैं वही बात करें इंदौर के लकड़ी बाजारों की तो इंदौर के टिंबर मार्केट के साथ ही अन्य जगह पर यह प्रतिबंधित लकड़ियों को जमकर बेचा जा रहा है वही इनका परिवहन भी किया जा रहा है वह भी बिना किसी टीपी के वही याचिकाकर्ता ने वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप भी लगाए कि वन विभाग के अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर टीपी को जारी कर रहे हैं जिसका फायदा इंदौर के लकड़ी व्यापारी उठा रहे हैं वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि प्रत्येक टीपी पर वन विभाग के अधिकारी ₹6000 व्यापारियों से ले रहे हैं और टीपी जारी कर रहे हैं जो कि सरासर कानून के खिलाफ है इन सब बातों को लेकर एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं।

बाईट - रामबहादुर वर्मा , याचिकाकर्ता , इंदौर


Conclusion:वीओ - वन विभाग अवैध लकड़ी कटाई को लेकर कई बार बड़ी कार्रवाई भी करता है लेकिन इंदौर के वन विभाग के द्वारा अभी तक इस तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई जो कि अपने आप में कई तरह के प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है वही जो लकड़ी माफिया इंदौर के हैं वह वन विभाग के अधिकारियों पर काफी दबाव बना देते हैं जिसके कारण वन विभाग के अधिकारी भी इन लकड़ी माफियाओं से दूरी बनाए रखते हैं और इन पर कार्रवाई करने से बचते नजर आते हैं
Last Updated : Nov 21, 2019, 1:45 PM IST
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