इंदौर। देश भर में लागू किया गया जीएसटी टैक्स वसूली के नाम पर अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने वाले टैक्स प्रैक्टिशनर और व्यापारियों की मौत की वजह भी बन रहा है. इंदौर में ऐसी ही घटना के चलते एक टैक्स प्रैक्टिशनर ने आत्महत्या कर ली, वहीं घटना से दुखी मृतक के परिजनों ने जीएसटी अधिकारियों समेत शहर के कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट को गोविंद की मौत का जिम्मेदार ठहराया है.
यह है पूरा मामला
इंदौर की जीएसटी विंग के अधिकारियों ने फर्जी ई वे बिल के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम करने वाली शहर की जिन 20 फर्म के खिलाफ छापे की कार्रवाई की थी, उनमें गोविंद अग्रवाल की फर्म भी शामिल थी. गोविंद अग्रवाल के प्रतिद्वंदी चार्टर्ड अकाउंटेंट रवि गोयल दीपक सचदेवा किशोर, सचदेव दलपत सिंह और देवेंद्र शर्मा ने इस मामले में फंसाने के नाम पर गोविंद से रुपयों की मांग की थी, लेकिन गोविंद ने मांग पूरी नहीं की तो उसके खातों की जानकारी जीएसटी टीम को भेज दी, इसके बाद से जीएसटी की टीम लगातार उनसे पूछताछ कर कर रही थी.
अधिकारियों की पूछताछ से था पेरशान
आत्महत्या से पहले भी पूछताछ के बाद गोविंद को रात 1:30 बजे छोड़ा गया. आरोप है कि इस मामले को निपटाने के लिए जीएसटी के अधिकारियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट् ने रुपयों की मांग की थी, गुरूवार सुबह जब इसी मामले को लेकर गोविंद के पास किसी का फोन आया तो मल्टी छत से कूदकर उन्होंने आत्महत्या कर ली.
करोड़ों के घोटाले में शामिल मृतक का नाम
करीब 30 से 50 करोड़ के इस घोटाले में कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल का नाम भी सामने आया था, जिनकी करीब आधा दर्जन फर्मों से विभिन्न स्थानों पर किए गए ट्रांजैक्शन की जांच एंटी ईवेजन विंग के अधिकारियों द्वारा की जा रही थी, इसी मामले में जीएसटी की टीम ने गोविंद अग्रवाल के घर पर दबिश भी दी थी. इस घटना के बाद से ही गोविंद परेशान थे. मृतक के परिजनों ने गोविंद को अपनी साजिश का शिकार बनाने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट और जीएसटी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है.