इंदौर। विशुद्ध भारती वाद्य यंत्रों में तबले का खास स्थान है. लिहाजा हाल ही में ग्वालियर के तानसेन समारोह में आयोजित एक सामूहिक तबला वादक के फलस्वरुप अब प्रदेश में इसी साल से 25 दिसंबर को तबला दिवस मनाने की तैयारी है. दरअसल, हाल ही में इंदौर के ख्यात तबला वादक हितेंद्र दीक्षित की पहल पर न केवल यह आयोजन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक रिकॉर्ड बतौर दर्ज हुआ है, बल्कि प्रतिवर्ष तबला दिवस मनाया जाने की घोषणा भी राज्य शासन ने की है.
ग्वालियर में तबला वादकों ने दी थी सामुहिक प्रस्तुति: मध्य प्रदेश में इसी साल यानि नव वर्ष से प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को तबला दिवस मनाया जाएगा. दरअसल इसकी शुरुआत हाल ही में ग्वालियर के कर्ण महल में आयोजित तानसेन समारोह के खास आयोजन ताल दरबार की बदौलत हो सकी है. दरअसल, यह जुगलबंदी मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग और इंदौर के चर्चित तबला वादक हितेंद्र दीक्षित की पहल पर प्रदेश भर से तबला वादकों की प्रस्तुति के फलस्वरूप हुई थी. यह पहला मौका था, जब देश में एक साथ प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से आए हुए सैकड़ों तबला वादकों ने अपने तबला को एक जैसी धुन पर सामूहिक प्रस्तुति दी थी.
इंदौर के हितेंद्र दीक्षित की अहम भूमिका: यह ऐसा पहली बार ऐसा हुआ कि यहां तबला बजाने के लिए 10 साल के शिष्य से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तबला वादकों ने भी अपनी-अपनी प्रस्तुति दी थी. इस दौरान इस ताल दरबार में जो माहौल बना, उसे सुनकर कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी भाव विभोर हो गए. इसी दौरान जो तबला वादक और कार्यक्रम के सूत्रधार हितेंद्र दीक्षित ने जब मुख्यमंत्री को 25 दिसंबर को तबला दिवस मनाने के लिए अनुरोध किया, तो मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस आशय की घोषणा तत्काल कर दी. इतना ही नहीं इस कार्यक्रम को सामूहिक तबला वादन के वर्ल्ड रिकॉर्ड को दर्ज करने के लिए यहां गिनीज बुक को वर्ल्ड रिकॉर्ड लंदन की टीम भी मौजूद थी. जिसने मध्य प्रदेश में एक साथ डेढ़ हजार तबला वादकों द्वारा एक जैसी प्रस्तुति देने पर इस पूरे आयोजन को एक वर्ल्ड रिकॉर्ड के तौर पर रिकॉर्ड किया है.
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अब हर साल मानेगा तबला दिवस: इंदौर के चर्चित तबला वादक हितेंद्र दीक्षित के मुताबिक मध्य प्रदेश में या देश में अभी तक ऐसा कोई दिन नहीं था. जब किसी एक खास दिन को तबले को बजाने की विधा के लिए समर्पित किया गया हो. उन्होंने इस घोषणा के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए कहा अब 25 दिसंबर को हर साल तबला दिवस मनेगा. न केवल संस्कृति विभाग का आयोजन बल्कि इंदौर में भी इस दिन कोई ना कोई विशिष्ट आयोजन तबले की वादन विद्या को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित किया जाता रहेगा. उन्होंने कहा तबला भारतीय पारंपरिक वाद्य यंत्र है. जिसका क्रेज आज भी संगीत महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के बीच में है. यही वजह है कि प्रदेश के तमाम संगीत विद्यालय में तबला वादन को आज भी प्रमुख वादन विधा के रूप में अपनाया जा रहा है.