इंदौर। नगर पालिका निगम लगातार चौथी बार स्वच्छता में अव्वल आने की कवायद कर रहा है, लेकिन निगम के सामने दूसरी और चुनौती आ खड़ी हुई है. राजस्व में गिरावट आने से स्वच्छता में अव्वल आने के लिए मशीनरी के साथ मेन पावर जुटाने के लिए नगर निगम को परेशानी हो रही है.
स्वच्छता में अव्वल आने के लिए जहां मशीनरी के साथ मेन पावर की जरूरत निगम को पड़ती है. वहीं इन संसाधनों को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी निगम का आर्थिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है, लेकिन कर वसूली में पूरी ताकत झोंक देने के बावजूद नगर निगम की टीम को राजस्व वसूली के गत वर्षों के आंकड़ों से बड़ा झटका लगा है.
तमाम संसाधन झोंकने के बावजूद भी 2018 की तुलना में 2019 में राजस्व में दर्ज की गई कमी से नगर निगम अधिकारियों के होश उड़ गए हैं. 2018 की समाप्ति पर नगर निगम को संपत्ति और वाटर शुल्क के 19 करोड़ 13 लाख रुपए मिले थे, लेकिन साल 2019 की समाप्ति के बाद इन आंकड़ों में कमी आ गई. 2019 की समाप्ति में केवल 18 करोड़ 12 लाख रुपए ही नगर निगम को राजस्व के रूप में मिले हैं.
निगम अधिकारियों का मानना है कि बड़े बकायेदारों द्वारा कर की राशि जमा नहीं किए जाने के कारण राजस्व में गिरावट दर्ज की गई है और वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले तय लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा.