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इंदौर के इस शख्स के पास हैं रामलला के वस्त्र, बाबरी विध्वंस के दौरान अयोध्या से लाए थे - इंदौर न्यूज

आज जब रामलला के मंदिर का पहला पत्थर अयोध्या में रखा गया तब इंदौर में रह रहा एक ऐसा शख्स सामने आया, जिसने 28 साल से भगवान राम की निशानी को सहेज कर रखा है. सुदामा नगर में रह रहे प्रमोद झा के पास राम के दो वस्त्र मौजूद हैं जो वो अयोध्या से ले आए थे. पढ़िए पूरी खबर..

Pramod Jha
प्रमोद झा
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Published : Aug 5, 2020, 5:11 PM IST

Updated : Aug 5, 2020, 5:47 PM IST

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मुद्दे का समाधान करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. राम मंदिर के आंदोलन से कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं. इंदौर में रहने वाले प्रमोद झा भी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे, उन्होंने ईटीवी भारत से उस वक्त की यादें साझा कीं.

इंदौर के इस शख्स के पास हैं रामलला के वस्त्र

संघ प्रचारक और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में संस्कार भारती का काम देखने वाले प्रमोद झा के पास अयोध्या से जुड़े कई किस्से हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि सन 1992 में हुए घटनाक्रम के वे गवाह हैं.

कारसेवकों को खिलाते थे खाना

प्रमोद झा बताते हैं कि तब वे दतिया में रहते थे और 1992 में उन लोगों की टीम में शामिल थे, जो देशभर से अयोध्या पहुंच रहे कारसेवकों को खाना खिलाते थे. दतिया रेलवे स्टेशन और आसपास जब ट्रेन ठहरती थी तो इन लोगों की टीम कारसेवकों को खाना पानी देती थी. तब देश में एक ऐसा माहौल बन गया था कि हर कोई राम मंदिर आंदोलन से जुड़ना चाहता था.

Pramod Jha
रामलला के वस्त्र

कैसे लाए थे राम के वस्त्र

प्रमोद झा बताते हैं कि वे भी एक ट्रेन से 29 नवंबर 1992 को अयोध्या पहुंच गए और चार-पांच दिन सब कुछ करीब से देखने के बाद 6 दिसंबर को भीड़ में सबसे पीछे खड़े थे, फिर उन्होंने राम लाला के दर्शन किए गर्भ गृह जाकर देखा कि ढांचा गिराया जा रहा है, ईंट मलबा ऊपर से गिरा है तो उन्होंने रामलला की मूर्ति को उठा लिया, तीन-चार मूर्तियां थीं जिसे वे हाथों में नहीं ले पा रहे थे, तो उन्होंने राम भगवान के वस्त्र निकाले और अपनी शर्ट में रख लिए, क्योंकि भगवान के वस्त्र जमीन पर नहीं लगने चाहिए और मूर्तियां उस जगह पहुंचा दीं, जहां हिंदूवादी नेताओं के भाषण चल रहे थे, मूर्ति कहां गईं यह तो पता नहीं, लेकिन प्रभु के वस्त्र में घर ले आया. प्रमोद झा ने बताया कि पिछले 28 साल से वे दतिया में राम भगवान के वस्त्रों का पूजन कर रहे हैं. हालांकि वे बीते कुछ सालों से इंदौर में रहने लगे हैं, फिलहाल राम के वस्त्र को उनके मां-बाबूजी ने सहेज कर रखे हैं.

मंदिर निर्माण की नींव रखा जाना आजादी जैसा

मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने पर उन्होंने कहा कि ये किसी आजादी से कम नहीं है. जिस तरह से 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली उसी तरह आज जब राम मंदिर की नींव रखी तो वह किसी आजादी से कम नहीं है और यही मेरी खुशी का राज है. उन्होंने कहा कि जो वस्त्र मेरे पास हैं, यदि वहां का शासन या प्रशासन मुझसे मांगेगा तो मैं उन्हें संग्रहालय में जमा कर दूंगा.

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दशकों पुराने मुद्दे का समाधान करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था. राम मंदिर के आंदोलन से कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं. इंदौर में रहने वाले प्रमोद झा भी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे, उन्होंने ईटीवी भारत से उस वक्त की यादें साझा कीं.

इंदौर के इस शख्स के पास हैं रामलला के वस्त्र

संघ प्रचारक और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में संस्कार भारती का काम देखने वाले प्रमोद झा के पास अयोध्या से जुड़े कई किस्से हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि सन 1992 में हुए घटनाक्रम के वे गवाह हैं.

कारसेवकों को खिलाते थे खाना

प्रमोद झा बताते हैं कि तब वे दतिया में रहते थे और 1992 में उन लोगों की टीम में शामिल थे, जो देशभर से अयोध्या पहुंच रहे कारसेवकों को खाना खिलाते थे. दतिया रेलवे स्टेशन और आसपास जब ट्रेन ठहरती थी तो इन लोगों की टीम कारसेवकों को खाना पानी देती थी. तब देश में एक ऐसा माहौल बन गया था कि हर कोई राम मंदिर आंदोलन से जुड़ना चाहता था.

Pramod Jha
रामलला के वस्त्र

कैसे लाए थे राम के वस्त्र

प्रमोद झा बताते हैं कि वे भी एक ट्रेन से 29 नवंबर 1992 को अयोध्या पहुंच गए और चार-पांच दिन सब कुछ करीब से देखने के बाद 6 दिसंबर को भीड़ में सबसे पीछे खड़े थे, फिर उन्होंने राम लाला के दर्शन किए गर्भ गृह जाकर देखा कि ढांचा गिराया जा रहा है, ईंट मलबा ऊपर से गिरा है तो उन्होंने रामलला की मूर्ति को उठा लिया, तीन-चार मूर्तियां थीं जिसे वे हाथों में नहीं ले पा रहे थे, तो उन्होंने राम भगवान के वस्त्र निकाले और अपनी शर्ट में रख लिए, क्योंकि भगवान के वस्त्र जमीन पर नहीं लगने चाहिए और मूर्तियां उस जगह पहुंचा दीं, जहां हिंदूवादी नेताओं के भाषण चल रहे थे, मूर्ति कहां गईं यह तो पता नहीं, लेकिन प्रभु के वस्त्र में घर ले आया. प्रमोद झा ने बताया कि पिछले 28 साल से वे दतिया में राम भगवान के वस्त्रों का पूजन कर रहे हैं. हालांकि वे बीते कुछ सालों से इंदौर में रहने लगे हैं, फिलहाल राम के वस्त्र को उनके मां-बाबूजी ने सहेज कर रखे हैं.

मंदिर निर्माण की नींव रखा जाना आजादी जैसा

मंदिर निर्माण की नींव रखे जाने पर उन्होंने कहा कि ये किसी आजादी से कम नहीं है. जिस तरह से 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली उसी तरह आज जब राम मंदिर की नींव रखी तो वह किसी आजादी से कम नहीं है और यही मेरी खुशी का राज है. उन्होंने कहा कि जो वस्त्र मेरे पास हैं, यदि वहां का शासन या प्रशासन मुझसे मांगेगा तो मैं उन्हें संग्रहालय में जमा कर दूंगा.

Last Updated : Aug 5, 2020, 5:47 PM IST
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