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मुश्किल हुआ इलाज ! सर्जरी के इंतजार में हजारों नॉन कोविड मरीज - मरीज परेशान

इंदौर में गैर संक्रमित और सामान्य बीमारियों के मरीजों को न समय पर इलाज मिल पा रहा है, न सर्जरी हो पा रही है. शहर के ज्यादातर अस्पताल सिर्फ कोविड मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

Non-covid patients in Indore are unable to get treatment or surgery on time.
नॉन कोविड की नो एंट्री
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Published : Apr 26, 2021, 2:34 PM IST

इंदौर। कोरोना महामारी के भीषण दौर में जिस समय देश की तमाम स्वास्थ्य सेवाएं एवं संसाधन संक्रमित मरीजों को बचाने में जुटे हैं, उस समय गैर संक्रमित सामान्य मरीजों का इलाज भी किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसा हाल लगभग आपको देश के हर बड़े शहर में देखने को मिलेगा. मध्य प्रदेश का इंदौर भी इससे अछूता नहीं है. यहां भी बिना कोविड वाले मरीजों परेशानी से जूझ रहे हैं क्योंकि उन्हें सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. हालांकि इंदौर के अस्पतालों में कोविड और नॉन कॉविड मरीजों के इलाज की अलग-अलग व्यवस्था है. लेकिन सीमित संसाधनों के चलते सामान्य मरीजों की सिर्फ आवश्यक सर्जरी ही हो पा रही है. जबकि सामान्य बीमारियों के मरीजों का इलाज और सर्जरी संक्रमण के डर से टाला जा रहा है.

नॉन कोविड मरीजों को समय पर नहीं मिल रहा इलाज
  • पिछले साल थी अलग-अलग व्यवस्था

मध्य प्रदेश के मेडिकल हब यानी इंदौर में सामान्य मरीजों का उपचार किसी भी अस्पताल या डॉक्टर की प्राथमिकता में नहीं है. दरअसल भीषण संक्रमण के इस दौर में शहर के तमाम स्वास्थ्य संसाधनों को कोरोना से लड़ने में जुटा दिया गया है. पिछले साल तो संक्रमण के दौरान अस्पतालों को कोविड और नॉन कोविड श्रेणियों में बांटकर इलाज की अलग-अलग व्यवस्था की गई थी. लेकिन इस बार शहर में संक्रमण फैलने की दर इतनी तेज है कि तमाम अस्पताल कोरोना संक्रमितों का इलाज करने में व्यस्त हैं. इंदौर के गिने-चुने अस्पताल ही सामान्य मरीजों का इलाज और सर्जरी कर रहे हैं.

  • एमवाय समेत कुछ अस्पतालों में सर्जरी

इंदौर के मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय अस्पताल में कोविड और नॉन कोविड मरीजों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है. एमवाय में इन दिनों सिर्फ 100 सर्जरी हर दिन की जा रही है, जबकि सामान्य दिनों में एमवाय अस्पताल में 200 से 300 तक सर्जरी होती थी. यहां पर भी सिर्फ क्रिटिकल केस को ही सर्जरी में प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसी ही व्यवस्था शहर के शासकीय चाचा नेहरू अस्पताल, पीसी सेठी अस्पताल और बाणगंगा अस्पताल में लागू है. यहां पर भी सिर्फ गायनिक सर्जरी, सिजेरियन सर्जरी, हिप एंड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी, हार्ट से संबंधित सर्जरी और आर्थोपेडिक सर्जरी ही हो रही है.

  • अस्पतालों की OPD भी खाली पड़ी

वैसे तो शहर के 70 से 80 अस्पतालो में कोविड और नॉन कोविड दोनों तरीके के मरीजों का इलाज अलग-अलग किया जाना बताया जा रहा है. लेकिन इनमें से ज्यादातर अस्पताल कमाई के चक्कर में कोविड मरीजों के इलाज को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. इन अस्पतालों में नॉन कोविड मरीजों की कोई पूछ-परख नहीं है. ऐसी ही स्थिति अस्पतालों के ओपीडी में भी बन रही है. जिन अस्पतालों में पहले 400 से 500 मरीज प्रतिदिन आकर इलाज करते थे, वहां ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 30 से 40 ही हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं बदलने पर दो मरीजों की मौत! मंत्री के स्वागत में जुटे रहे CMHO

  • शहर के 80 डॉक्टर दे रहे हैं ऑनलाइन सेवाएं

इंदौर जिला प्रशासन ने संक्रमित मरीजों के अलावा गैर संक्रमित मरीजों का इलाज घर पर ही रहकर कराने के लिए, सरकारी और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ करीब 81 डॉक्टरों के फोन नंबर जारी किए हैं. इसके अलावा शहर के तमाम लोगों को अपील की गई है कि वो सामान्य बीमारी की स्थिति में अस्पतालों में आने से बचें और संबंधित डॉक्टरों से फोन कॉल या ऑनलाइन उपचार लेने की कोशिश करें.

  • सिर्फ 3 विभाग में हो रही है सर्जरी

इंदौर का एमवाय अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण नॉन कोविड श्रेणी में रखा गया है. इसकी वजह यह भी है कि यहां प्रदेश भर के सामान्य बीमारियों के अलावा एक्सीडेंट और ट्रामा के मरीज भी इलाज के लिए लाए जाते हैं. एमवाय में मरीज की पूरी जांच के बाद इलाज की व्यवस्था है. यहां मुख्य रूप से मेडिसिन सर्जरी और आर्थोपेडिक विभाग में सर्जरी को प्राथमिकता दी जा रही है. इसमें भी जो क्रिटिकल केस हैं उन्हें पहले देखा जा रहा है जबकि सामान्य छोटी मोटी सर्जरी को आगे के लिए टाला जा रहा है.

रात भर मंत्री के बंगले के बाहर धरने पर बैठे रहे बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष

  • ऑपरेशन और एंट्री भी अलग-अलग

इंदौर में नॉन कोविड मरीजों के लिए उपचार की निजी अस्पतालों में जो व्यवस्था की गई है. उसमें ऑपरेशन थिएटर से लेकर ओपीडी और एंट्री की भी अलग-अलग व्यवस्था है हालांकि इसके बावजूद भी जिन मरीजों की सर्जरी की जा रही है उनका आरटी पीसीआर और कोविड एंटीजन टेस्ट पहले कराया जा रहा है

इंदौर। कोरोना महामारी के भीषण दौर में जिस समय देश की तमाम स्वास्थ्य सेवाएं एवं संसाधन संक्रमित मरीजों को बचाने में जुटे हैं, उस समय गैर संक्रमित सामान्य मरीजों का इलाज भी किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसा हाल लगभग आपको देश के हर बड़े शहर में देखने को मिलेगा. मध्य प्रदेश का इंदौर भी इससे अछूता नहीं है. यहां भी बिना कोविड वाले मरीजों परेशानी से जूझ रहे हैं क्योंकि उन्हें सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. हालांकि इंदौर के अस्पतालों में कोविड और नॉन कॉविड मरीजों के इलाज की अलग-अलग व्यवस्था है. लेकिन सीमित संसाधनों के चलते सामान्य मरीजों की सिर्फ आवश्यक सर्जरी ही हो पा रही है. जबकि सामान्य बीमारियों के मरीजों का इलाज और सर्जरी संक्रमण के डर से टाला जा रहा है.

नॉन कोविड मरीजों को समय पर नहीं मिल रहा इलाज
  • पिछले साल थी अलग-अलग व्यवस्था

मध्य प्रदेश के मेडिकल हब यानी इंदौर में सामान्य मरीजों का उपचार किसी भी अस्पताल या डॉक्टर की प्राथमिकता में नहीं है. दरअसल भीषण संक्रमण के इस दौर में शहर के तमाम स्वास्थ्य संसाधनों को कोरोना से लड़ने में जुटा दिया गया है. पिछले साल तो संक्रमण के दौरान अस्पतालों को कोविड और नॉन कोविड श्रेणियों में बांटकर इलाज की अलग-अलग व्यवस्था की गई थी. लेकिन इस बार शहर में संक्रमण फैलने की दर इतनी तेज है कि तमाम अस्पताल कोरोना संक्रमितों का इलाज करने में व्यस्त हैं. इंदौर के गिने-चुने अस्पताल ही सामान्य मरीजों का इलाज और सर्जरी कर रहे हैं.

  • एमवाय समेत कुछ अस्पतालों में सर्जरी

इंदौर के मध्य प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवाय अस्पताल में कोविड और नॉन कोविड मरीजों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है. एमवाय में इन दिनों सिर्फ 100 सर्जरी हर दिन की जा रही है, जबकि सामान्य दिनों में एमवाय अस्पताल में 200 से 300 तक सर्जरी होती थी. यहां पर भी सिर्फ क्रिटिकल केस को ही सर्जरी में प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसी ही व्यवस्था शहर के शासकीय चाचा नेहरू अस्पताल, पीसी सेठी अस्पताल और बाणगंगा अस्पताल में लागू है. यहां पर भी सिर्फ गायनिक सर्जरी, सिजेरियन सर्जरी, हिप एंड नी रिप्लेसमेंट सर्जरी, हार्ट से संबंधित सर्जरी और आर्थोपेडिक सर्जरी ही हो रही है.

  • अस्पतालों की OPD भी खाली पड़ी

वैसे तो शहर के 70 से 80 अस्पतालो में कोविड और नॉन कोविड दोनों तरीके के मरीजों का इलाज अलग-अलग किया जाना बताया जा रहा है. लेकिन इनमें से ज्यादातर अस्पताल कमाई के चक्कर में कोविड मरीजों के इलाज को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. इन अस्पतालों में नॉन कोविड मरीजों की कोई पूछ-परख नहीं है. ऐसी ही स्थिति अस्पतालों के ओपीडी में भी बन रही है. जिन अस्पतालों में पहले 400 से 500 मरीज प्रतिदिन आकर इलाज करते थे, वहां ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 30 से 40 ही हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं बदलने पर दो मरीजों की मौत! मंत्री के स्वागत में जुटे रहे CMHO

  • शहर के 80 डॉक्टर दे रहे हैं ऑनलाइन सेवाएं

इंदौर जिला प्रशासन ने संक्रमित मरीजों के अलावा गैर संक्रमित मरीजों का इलाज घर पर ही रहकर कराने के लिए, सरकारी और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञ करीब 81 डॉक्टरों के फोन नंबर जारी किए हैं. इसके अलावा शहर के तमाम लोगों को अपील की गई है कि वो सामान्य बीमारी की स्थिति में अस्पतालों में आने से बचें और संबंधित डॉक्टरों से फोन कॉल या ऑनलाइन उपचार लेने की कोशिश करें.

  • सिर्फ 3 विभाग में हो रही है सर्जरी

इंदौर का एमवाय अस्पताल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण नॉन कोविड श्रेणी में रखा गया है. इसकी वजह यह भी है कि यहां प्रदेश भर के सामान्य बीमारियों के अलावा एक्सीडेंट और ट्रामा के मरीज भी इलाज के लिए लाए जाते हैं. एमवाय में मरीज की पूरी जांच के बाद इलाज की व्यवस्था है. यहां मुख्य रूप से मेडिसिन सर्जरी और आर्थोपेडिक विभाग में सर्जरी को प्राथमिकता दी जा रही है. इसमें भी जो क्रिटिकल केस हैं उन्हें पहले देखा जा रहा है जबकि सामान्य छोटी मोटी सर्जरी को आगे के लिए टाला जा रहा है.

रात भर मंत्री के बंगले के बाहर धरने पर बैठे रहे बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष

  • ऑपरेशन और एंट्री भी अलग-अलग

इंदौर में नॉन कोविड मरीजों के लिए उपचार की निजी अस्पतालों में जो व्यवस्था की गई है. उसमें ऑपरेशन थिएटर से लेकर ओपीडी और एंट्री की भी अलग-अलग व्यवस्था है हालांकि इसके बावजूद भी जिन मरीजों की सर्जरी की जा रही है उनका आरटी पीसीआर और कोविड एंटीजन टेस्ट पहले कराया जा रहा है

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