इंदौर। केंद्र सरकार की सोशल ऑडिट रिपोर्ट की माने तो देश के 2,764 बाल गृह संस्थानों में बच्चों को शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार से बचाने के पर्याप्त उपाय नहीं हैं. रिपोर्ट आने के बाद सभी बाल गृह अपने यहां की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने में लगे हैं. ये ऑडिट देशभर के बाल गृह संस्थानों में कराया गया था. जिसमें लाखों बच्चे रहते हैं.
देश के सभी बाल गृहों के लिए सोशल ऑडिट का आदेश साल- 2018 में जारी किया गया था. इस सोशल ऑडिट को कराने के बाद ये खुलासा हुआ है कि, देश भर में कई बाल गृह ऐसे हैं, जहां पर पर्याप्त उपायों का अभाव है. वहीं कई बाल गृहों के शौचालय और स्नानागार में निजता का ध्यान नहीं है, तो कई बाल गृहों में शौचालयों की सुविधा नहीं है. इन बाल गृहों में बच्चों को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न से बचाने के पर्याप्त उपाय नहीं है. इस ऑडिट रिपोर्ट के आने के बाद कई बाल गृहों में संसाधनों को चुस्त-दुरुस्त किया जा रहा है. साथ ही कई आश्रमों में निरीक्षण कर स्थितियों को और दुरुस्त रखने के लिए भी कार्य शुरू कर दिए गए हैं.
बाल गृहों का हर महीने हो रहा निरीक्षण
इंदौर शहर में मौजूद फिलहाल 11 बार गृहों में स्थितियों को सुदृढ़ बनाने के लिए काम किया जा रहा है. इसके लिए लगातार निरीक्षण कर बाल गृहों में आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए भी दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं. ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद से ही इंदौर शहर के कई बाल गृहों की स्थितियों में सुधार दिखने लगा है. हालांकि यह सुधार कब तक बना रहेगा इसके कोई ठोस जवाब किसी के पास नहीं हैं. ट्रस्ट और गैर सरकारी संगठनों द्वारा चलाए जाने वाले आश्रय गृहों पर प्रशासन ने भी खास निगरानी रखना शुरू कर दिया है.
बाल गृहों में दो टीचरों की है नियुक्ति
इंदौर के राजकीय बाल आश्रम पहुंचकर ईटीवी भारत ने भी योजनाओं को जानने का प्रयास किया. हालांकि लॉकडाउन के बाद से यहां पर छात्रों की संख्या कम होने के कारण फिलहाल किसी भी वस्तु का अभाव नहीं दिखा. यदि किसी वस्तु का अभाव होता है, तो निजी संस्थाओं की मदद से उसे पूरा किया जाता है. साथ ही बालक और बालिकाओं के यौन शोषण से संबंधित मामले ना हों, इसके लिए विशेष निगरानी की जा रही है.
बाल गृहों में रखी जा रही खास निगरानी
देश के सभी बाल गृहों में सोशल ऑडिट 2018 में जारी किया गया था. इसके पहले किसी प्रकार का ऑडिट नहीं किया जाता था. 2018 में देश भर के 7163 बालगृह संस्थानों में ऑडिट कराया गया था. उत्तर प्रदेश के देवरिया और बिहार के मुजफ्फरपुर से लड़कियों के यौन उत्पीड़न की खबरें सामने आने के बाद इस ऑडिट की शुरुआत की गई थी. बाल गृह में शौचालयों की सुविधा, गृहों का पंजीकरण, साथ ही बच्चों को शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार से बचाने के लिए पर्याप्त संसाधनों की कमी इस रिपोर्ट से निकली थी. जिसके बाद देश भर में बाल गृहों पर विशेष निगरानी रखी गई. प्रशासन के द्वारा अब हर महीने सूक्ष्मता से बाल गृहों का निरीक्षण कर यहां की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली जाती है. साथ ही बाल गृहों में किसी प्रकार के यौन शोषण की घटना ना हो, उसके लिए लगातार बच्चों की काउंसलिंग कर जानकारी लेने, प्रशासन की टीम आश्रमों तक पहुंचती है.
प्रदेश में बाल गृहों में यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामलों को रोकने के लिए फिलहाल तो खास निगरानी की जा रही है, लेकिन ये निगरानी कितने समय तक बनी रहती है, इस पर सवालिया निशान हैं. क्योंकि अभी तक किसी प्रकार का कोई ठोस नियम इन बाल सुधार गृहों के लिए नहीं बनाया गया है.