इंदौर। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा काका जी के नेतृत्व में निकलने वाली इस यात्रा में प्रदेश के किसानों को 230 विधानसभा क्षेत्रों में शिवराज सरकार के 18 साल और कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड बताया जाएगा. 1 अगस्त से 50 वाहनों के साथ 111 दिन की इस यात्रा में किसानों के ज्वलंत मुद्दे उठाए जाएंगे. सोमवार को इंदौर में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने बताया किसानों की मांगों को लेकर सरकार गंभीर नहीं है.
गेहूं पर समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया : शिवकुमार ने कहा कि लंबी मांग के बावजूद राज्य सरकार द्वारा गेहूं पर समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाना, विकास योजनाओं के नाम पर किसानों की जमीनों का अधिग्रहण, फसलों के मुआवजा के नाम पर किसानों के साथ होने वाला छलावा और किसानों से ऋण वसूली के अलावा मंडियों में किसानों के साथ हो रहे अन्याय जैसे तमाम मुद्दे हैं, जिन्हें प्रदेश के किसानों के साथ साझा करने के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है. उन्होंने कहा कि ये यात्रा राजनीतिक नहीं है, लेकिन प्रदेश के किसानों को सरकारों के किसानों के हित में किए गए कार्यों का रिपोर्ट कार्ड बताना यात्रा का प्रमुख उद्देश्य है.
ये ज्वलंत मुद्दे उठाए जाएंगे : राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ की कोशिश है कि चुनाव के पहले शिवराज सरकार पर दबाव बनाकर किसानों से जुड़े फैसले करा लिए जाएं. लिहाजा किसान नेता शिवकुमार शर्मा काका जी ने विभिन्न मुद्दों को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. उन्होंने बताया राज्य में गेहूं की सर्वाधिक उपज के बावजूद सरकार ने गेहूं पर समर्थन मूल्य का ₹1 भी नहीं बढ़ाया. मंडियों में किसानों की स्थिति बहुत खराब है. इकोनामिक कॉरिडोर के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया का समाधान अब तक लंबित है. भाजपा शासनकाल में लागू हुआ भूमि अधिग्रहण कानून किसान विरोधी है, जिसे वापस लिया जाना जरूरी है. उन्होंने कहा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा घोषणा की गई थी कि 50 फ़ीसदी फसल से ज्यादा नुकसान पर 32 हजार रुपये हेक्टेयर के हिसाब से राहत राशि दी जाएगी लेकिन इसमें भी अब तक मुआवजा नहीं मिला है.
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भूमि अधिग्रहण में अन्याय : काकाजी ने कहा कि मंडियों में गेहूं, चना, प्याज, आलू और कपास समर्थन मूल्य से भी कम कीमतों पर बिक रहा है लेकिन सरकार निर्यात पर रोक लगाए बैठी है. इसके अलावा किसानों से बिजली के बकाया बिल की अमानवीय तरीके से वसूली हो रही है, जिसे रोका जाना जरूरी है. मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में भूमि अधिग्रहण पर 4 गुना मुआवजा की व्यवस्था है लेकिन शिवराज सरकार मात्र दोगुना मुआवजा देती है. सिंचाई के लिए भी किसानों को नहरों से निःशुल्क पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि इंदौर इकोनामिक कॉरिडोर के लिए किसानों से जो जमीन ली जा रही है, उसमें 300 मीटर की योजना लागू की जा रही है. इससे दर्जनों किसान सड़क पर आ जाएंगे. इसके अलावा योजना में ट्रांसफर सब्सिडी की भी व्यवस्था नहीं की गई है.