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इंदौर सेंट्रल जेल में कैदियों के लिए प्रबंधक ने उपलब्ध करवाई ये खास व्यवस्था - central jail indore news

इंदौर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों को जेल प्रबंधक ने धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए उपलब्ध करवाई हैं. जिसे पढ़ने से कई बंदियों के स्वभाव में बदलाव भी देखने को मिल रहा है.

Prisoners reading books in jail
जेल में कैदी पढ़ रहे किताब
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Published : Jun 18, 2020, 5:14 PM IST

Updated : Jun 18, 2020, 5:36 PM IST

इंदौर। सेंट्रल जेल में कैदियों को अपराध से दूर करने के लिए कई तरह के जतन किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में लॉकडाउन के दौरान जेल में बंद कैदियों को जेल प्रबंधक ने धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए उपलब्ध करवाई हैं. इस दौरान कई बंदियों के स्वभाव में बदलाव भी देखने को मिल रहा है. जेल प्रबंधक ने कैदियों को धार्मिक पुस्तके पढ़ने के लिए एक लाइब्रेरी भी बनवाई है. जहां पर करीब 3500 किताबें मौजूद हैं, जिन्हें कैदी समय- समय पर पढ़ते हैं.

गीता और रामायण भी पढ़ रहे हैं कैदी

बता दें कि, इंदौर की सेंट्रल जेल प्रबंधक ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए अलग तरह की व्यवस्था की है, जेल प्रबंधन कैदियों को किताबें पढ़ने के लिए एक बैरक से निकालते हैं, उस दौरान वहां कोई भी अन्य बैरक का कैदी मौजूद नहीं रहता था. जो कैदी इस दौरान बैरक में बंद रहते हैं. उन्हें धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए दी जाती हैं. कैदियों को कई तरह की धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए दी गई. जिनमें प्रमुख रूप से गीता, रामायण शामिल हैं.

कैदियों ने मांगी मुंशी प्रेमचंद और अन्य उपन्यास

वहीं कुछ बंदियों ने प्रबंधक से मुंशी प्रेमचंद के साथ ही अन्य कवियों के उपन्यास भी मांगे, जो जेल प्रबंधक ने उपलब्ध करवाई हैं. किताबें पढ़ने से कई कैदियों के स्वभाव में बदलाव भी देखने को मिल रहा है. आने वाले समय में भी जेल प्रबंधक इसी तरह से बंदियों के मन में जो नकारात्मक भाव उत्पन्न हो रहे हैं. उनको पुस्तकों के माध्यम से दूर करने का प्रयास करेगा.

इसके लिए कई और पुस्तकें भी जेल प्रबंधक ने अपनी लाइब्रेरी में मंगवाई हैं. वहीं जेल प्रबंधक ने इंदौर के सेंट्रल जेल के अंदर एक लाइब्रेरी भी बनाई है. जहां पर कई धार्मिक पुस्तकों के साथ ही कई कवियों के उपन्यास भी मौजूद हैं, जिन्हें बंदी समय-समय पर पढ़ते हैं.

इंदौर। सेंट्रल जेल में कैदियों को अपराध से दूर करने के लिए कई तरह के जतन किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में लॉकडाउन के दौरान जेल में बंद कैदियों को जेल प्रबंधक ने धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए उपलब्ध करवाई हैं. इस दौरान कई बंदियों के स्वभाव में बदलाव भी देखने को मिल रहा है. जेल प्रबंधक ने कैदियों को धार्मिक पुस्तके पढ़ने के लिए एक लाइब्रेरी भी बनवाई है. जहां पर करीब 3500 किताबें मौजूद हैं, जिन्हें कैदी समय- समय पर पढ़ते हैं.

गीता और रामायण भी पढ़ रहे हैं कैदी

बता दें कि, इंदौर की सेंट्रल जेल प्रबंधक ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए अलग तरह की व्यवस्था की है, जेल प्रबंधन कैदियों को किताबें पढ़ने के लिए एक बैरक से निकालते हैं, उस दौरान वहां कोई भी अन्य बैरक का कैदी मौजूद नहीं रहता था. जो कैदी इस दौरान बैरक में बंद रहते हैं. उन्हें धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए दी जाती हैं. कैदियों को कई तरह की धार्मिक पुस्तकें पढ़ने के लिए दी गई. जिनमें प्रमुख रूप से गीता, रामायण शामिल हैं.

कैदियों ने मांगी मुंशी प्रेमचंद और अन्य उपन्यास

वहीं कुछ बंदियों ने प्रबंधक से मुंशी प्रेमचंद के साथ ही अन्य कवियों के उपन्यास भी मांगे, जो जेल प्रबंधक ने उपलब्ध करवाई हैं. किताबें पढ़ने से कई कैदियों के स्वभाव में बदलाव भी देखने को मिल रहा है. आने वाले समय में भी जेल प्रबंधक इसी तरह से बंदियों के मन में जो नकारात्मक भाव उत्पन्न हो रहे हैं. उनको पुस्तकों के माध्यम से दूर करने का प्रयास करेगा.

इसके लिए कई और पुस्तकें भी जेल प्रबंधक ने अपनी लाइब्रेरी में मंगवाई हैं. वहीं जेल प्रबंधक ने इंदौर के सेंट्रल जेल के अंदर एक लाइब्रेरी भी बनाई है. जहां पर कई धार्मिक पुस्तकों के साथ ही कई कवियों के उपन्यास भी मौजूद हैं, जिन्हें बंदी समय-समय पर पढ़ते हैं.

Last Updated : Jun 18, 2020, 5:36 PM IST
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