इंदौर। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं औषधि प्रशासन मंत्री मनसुख मांडवीया ने मध्य भारत की आठवीं लैब का शुभारंभ इंदौर में किया. मध्य प्रदेश में ड्रग टेस्टिंग लैब नहीं होने के कारण यहां की फार्मास्यूटिकल कंपनियों में बनने वाली दवाइयां का परीक्षण अन्य राज्यों में मौजूद लैब में भेजा जाता था. खासतौर पर मुंबई, हैदराबाद और अन्य शहरों में मौजूद लैब में दवा की जांच होती है. जिसमें एक से डेढ़ माह का समय लग जाता था. इधर ,बीते एक दशक में इंदौर के पीथमपुर समेत आसपास के इलाकों में फार्मा गतिविधियों के बढ़ने और मध्य प्रदेश में करीब 200 प्रकार की दवाइयां के निर्माण के चलते यहां भी ड्रग टेस्टिंग लैब की मांग की जा रही थी.
इंदौर में देश की आठवीं लैब : हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडवीया ने इंदौर में इस लैब के लिए घोषणा की थी. शहर के जीपीओ चौराहे पर स्थित परिसर में तैयार लैब का सोमवार को मनसुख मांडवीया ने शुभारंभ किया. इस अवसर पर ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया समेत विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. इस अवसर पर उन्होंने एम्स भोपाल में भी चिकित्सा सुविधाओं का अनावरण किया. ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया इंदौर में देश की आठवीं लैब के बनने से मध्य भारत में फार्मा सेक्टर की दवाइयां की जांच जल्द और सुविधाजनक तरीके से हो सकेगी.
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यालय : रघुवंशी ने बताया कि भविष्य में मेडिकल डिवाइस की जांच भी यहां शुरू की जा सकेगी. सात मंजिला इस लैब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का जोनल कार्यालय भी होगा. जबकि ऊपर के 3 फ्लोर में लैब रहेगी. उन्होंने बताया साढ़े 18 करोड़ की लागत से तैयार इस लैब में विश्व स्तरीय पैरामीटर और प्रशिक्षण प्रणाली के हिसाब से दावों की जांच की जा सकेगी, जिसकी तत्काल रिपोर्ट संबंधित फार्मा सेक्टर और कंपनी को मांग के अनुरूप प्रदान की जा सकेगी.