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लॉकडाउन में सात हजार लोगों का सहारा बनी ये रसोई, घर तक पहुंचाते हैं गर्म भोजन

इंदौर की खटीक धर्मशाला में भोजनशाला संचालित की जा रही है. जो पिछले दो महीने से करीब 7 हजार गरीब लोगों को खाना खिलाने का काम कर रही है.

khatik dharamshala bhojanshala
भोजनशाला में खाना तैयार करती हुईं महिलाएं
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Published : Jun 1, 2020, 10:55 PM IST

Updated : Jun 4, 2020, 12:00 PM IST

इंदौर। कोरोना काल में जरुरतमंदों की मदद के लिए कई सामाजिक संस्थाएं सामने आईं हैं. इस कड़ी में मुंबई के डब्बा वालों की तर्ज पर इंदौर में एक भोजनशाला चलाई जा रही है, जो गरीब बस्तियों में भोजन बांटती है. खटीक धर्मशाला में पिछले 60 दिनों से लगातार भोजन बनाने का काम जारी है. इस भोजनशाला में 30 से अधिक महिलाएं सुबह से भोजन के पैकेट बनाने के काम में जुट जाती हैं. रोजाना करीब 7 हजार जरुरतमंदों तक भोजन के पैकेट पहुंचाए जाते हैं.

भोजनशाला में खाना तैयार करती हुईं महिलाएं
हजारों लोगों को रोज खिला रहे भोजन

एक घंटे में लोगों तक पहुंच जाता है भोजन

इस भोजनशाला की विशेषता ये है कि, खाना बनने के 1 घंटे के अंदर ही ये फूड पैकेट लोगों के पास पहुंचा दिए जाते हैं. जिससे उन्हें गर्म खाना मिल सके. भोजनशाला को संचालित करने वाले बीजेपी नेता उमेश शर्मा बताते हैं कि, खाना तैयार होने के बाद उसे तत्काल पैक करने का काम किया जाता है. जिसके बाद इन्हें लोगों तक पहुंचा दिया जाता है. इन पैकेट के लिए पहले से ही 7 हजार से अधिक लोगों को चिन्हित किया गया है, जो रोज मजदूरी कर अपने खाने की व्यवस्था करते थे. इन लोगों को मुफ्त में ये भोजन के पैकेट मोहल्ला प्रभारी पहुंचा देते हैं. इस तरह से अलग-अलग व्यक्तियों के जरिए खाना बनने के 1 घंटे के अंदर ही गर्म भोजन के पैकेट गरीब बस्तियों में बांट दिए जाते हैं.

सरकारी मदद के बिना चल रही भोजनशाला

इस भोजनशाला में पिछले 60 दिनों से लगातार खाना बनाने का काम जारी है. इस काम के लिए कोई सरकारी मदद नहीं ली जा रही है. समाज के सहयोग से ही लगातार ये काम किया जा रहा है. भोजनशाला के संचालन में किसानों से लेकर दूसरे राज्यों और विदेशों में रहने वाले इंदौर के निवासी अपना सहयोग दे रहे हैं. उमेश बताते हैं कि, अबू धाबी, दुबई सहित कई देशों से लोगों ने संपर्क कर यहां हर तरह की मदद पहुंचाई है. भोजनशाला में युवाओं से लेकर 55 साल तक की महिलाएं भोजन बनाने का काम करती हैं. सभी के आपसी सहयोग से गरीबों को खाना पहुंचाया जा रहा है.

फिलहाल शहर में इस तरह के कई और सामाजिक संगठन भी काम कर रहे हैं, लेकिन बिना सरकारी मदद के 60 दिनों से अधिक समय तक इस भोजनशाला को सभी लोग मिलकर संचालित कर रहे हैं. भोजन शाला में काम करने वाले लोग भी प्रतिदिन मजदूरी करके अपना घर चलाते थे. लॉकडाउन के चलते फिलहाल इनके पास कोई काम न होने की वजह से ये लोग सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं.

इंदौर। कोरोना काल में जरुरतमंदों की मदद के लिए कई सामाजिक संस्थाएं सामने आईं हैं. इस कड़ी में मुंबई के डब्बा वालों की तर्ज पर इंदौर में एक भोजनशाला चलाई जा रही है, जो गरीब बस्तियों में भोजन बांटती है. खटीक धर्मशाला में पिछले 60 दिनों से लगातार भोजन बनाने का काम जारी है. इस भोजनशाला में 30 से अधिक महिलाएं सुबह से भोजन के पैकेट बनाने के काम में जुट जाती हैं. रोजाना करीब 7 हजार जरुरतमंदों तक भोजन के पैकेट पहुंचाए जाते हैं.

भोजनशाला में खाना तैयार करती हुईं महिलाएं
हजारों लोगों को रोज खिला रहे भोजन

एक घंटे में लोगों तक पहुंच जाता है भोजन

इस भोजनशाला की विशेषता ये है कि, खाना बनने के 1 घंटे के अंदर ही ये फूड पैकेट लोगों के पास पहुंचा दिए जाते हैं. जिससे उन्हें गर्म खाना मिल सके. भोजनशाला को संचालित करने वाले बीजेपी नेता उमेश शर्मा बताते हैं कि, खाना तैयार होने के बाद उसे तत्काल पैक करने का काम किया जाता है. जिसके बाद इन्हें लोगों तक पहुंचा दिया जाता है. इन पैकेट के लिए पहले से ही 7 हजार से अधिक लोगों को चिन्हित किया गया है, जो रोज मजदूरी कर अपने खाने की व्यवस्था करते थे. इन लोगों को मुफ्त में ये भोजन के पैकेट मोहल्ला प्रभारी पहुंचा देते हैं. इस तरह से अलग-अलग व्यक्तियों के जरिए खाना बनने के 1 घंटे के अंदर ही गर्म भोजन के पैकेट गरीब बस्तियों में बांट दिए जाते हैं.

सरकारी मदद के बिना चल रही भोजनशाला

इस भोजनशाला में पिछले 60 दिनों से लगातार खाना बनाने का काम जारी है. इस काम के लिए कोई सरकारी मदद नहीं ली जा रही है. समाज के सहयोग से ही लगातार ये काम किया जा रहा है. भोजनशाला के संचालन में किसानों से लेकर दूसरे राज्यों और विदेशों में रहने वाले इंदौर के निवासी अपना सहयोग दे रहे हैं. उमेश बताते हैं कि, अबू धाबी, दुबई सहित कई देशों से लोगों ने संपर्क कर यहां हर तरह की मदद पहुंचाई है. भोजनशाला में युवाओं से लेकर 55 साल तक की महिलाएं भोजन बनाने का काम करती हैं. सभी के आपसी सहयोग से गरीबों को खाना पहुंचाया जा रहा है.

फिलहाल शहर में इस तरह के कई और सामाजिक संगठन भी काम कर रहे हैं, लेकिन बिना सरकारी मदद के 60 दिनों से अधिक समय तक इस भोजनशाला को सभी लोग मिलकर संचालित कर रहे हैं. भोजन शाला में काम करने वाले लोग भी प्रतिदिन मजदूरी करके अपना घर चलाते थे. लॉकडाउन के चलते फिलहाल इनके पास कोई काम न होने की वजह से ये लोग सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं.

Last Updated : Jun 4, 2020, 12:00 PM IST
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