इंदौर। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी होने के नाते चर्चित एंकर अमृता सिंह यूं तो चर्चा में रहती हैं, लेकिन आज वह इंदौर में फिर उस दौरान चर्चा में आई जब उन्होंने महिला कांग्रेस के कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह की मौजूदगी में ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से यह पूछ लिया कि "यदि कांग्रेस की सरकार आई तो सरकार महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में क्या बदलाव कर पाएगी" यह सवाल सुनते ही कमलनाथ ने स्पष्ट किया कि "अगर नहीं, पहले तो आप अपना यह भ्रम दूर कर लें क्योंकि कांग्रेस ही आएगी." इसके बाद कमलनाथ ने उनकी पूरी बात का एक खास अंदाज में जवाब दिया, हालांकि दोनों के संवाद के दौरान कार्यक्रम में जमकर ठहाके भी लगे.
अमृता सिंह का कमलनाथ से प्रश्न: दरअसल आज इंदौर के रेडिसन होटल में शहर महिला कांग्रेस के कार्यक्रम महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव की अहमियत विषय पर सवाल जवाब राउंड में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं ने क्विज (प्रश्न-उत्तर) राउंड में भागीदारी की. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता सिंह ने भी कार्यक्रम में कमलनाथ से सवाल करते हुए पूछा कि "यदि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में किस तरह का बदलाव सरकार द्वारा लाया जाएगा. महिलाओं के प्रति वर्तमान में जो सामाजिक दृष्टिकोण है उसे बदलने में कांग्रेस सरकार क्या योगदान दे सकती है, अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो?"
अमृता राय की बात पर सहमत नहीं है कमलनाथ: अमृता सिंह के इस सवाल पर जवाब देते हुए कमलनाथ ने सबसे पहले तो यह कहा कि "मैं आपके प्रश्न के एक हिस्से से सहमत नहीं हूं कि अगर सरकार बनेगी. सबसे पहले मैं आपका यह भ्रम दूर कर दूं कि कांग्रेस की ही बनेगी." इसके बाद कार्यक्रम में " ठहाके लगने लगे, फिर कमलनाथ ने अपने जवाब में अमृता सिंह से मुखातिब होते हुए कहा कि "महिलाओं की सफलता और उनके योगदान की जितनी पब्लिसिटी समाज में होना चाहिए, वह नहीं होती. महिलाएं खुद देखें की कितनी आईएएस महिला, आईपीएस हैं, वह स्टेट सर्विस में सबसे ज्यादा सिलेक्ट होती हैं, यह उन्हें समाज के बीच बताना चाहिए कि देखो महिलाएं हर क्षेत्र में टॉप टेन है, वहीं से सही शुरुआत हो सकती है."
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सरकार की योजनाओं पर कमलनाथ को नहीं है भरोसा: कमलनाथ ने आगे कहा कि "केवल शासकीय योजना से महिलाओं के लिए बदलाव नहीं आ सकता, क्योंकि मैं भी सरकार की योजनाओं पर भरोसा नहीं करता. यदि सरकार की सभी योजनाएं सफल होती तो ना तो महिलाओं की बदलाव की बात आज हो रही होती, ना ही यह चर्चा होती. क्योंकि जरूरत इस बात की है कि महिलाएं अपनी सफलता को लेकर खुद सामने आएं, सरकार यदि यह सोचे की योजना बनाने से सब कुछ हो जाएगा तो यह कभी नहीं हो सकता. जब तक कि योजना के हितग्राही या उससे प्रभावित होने वाला लक्ष्य समूह, उससे ना जुड़ा हो या लक्ष्य समूह की भागीदारी ना हो. सरकार को योजना बनाते समय महिलाओं से पूछना चाहिए कि संबंधित योजना कागज में तो बहुत अच्छी है, लेकिन क्रियान्वयन में सफल हो पाएगी कि नहीं. इस बात का ध्यान सबसे ज्यादा रखा जाना चाहिए, क्योंकि योजनाएं कागज में तो लोक लुभावनी होती हैं, लेकिन जमीनी धरातल पर वेटिंग नहीं पाती."