इंदौर। चातुर्मास के लिए इंदौर पहुंचे संत के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र के नंदा नगर में मौजूद जैन मंदिर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने पर परदेशीपुरा पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच में जुट गई. जिस कमरे में संत ने फांसी लगाकर आत्महत्या की पुलिस ने उस कमरे को सील कर दिया है. मंदिर में उस दौरान जो भी लोग थे, उनके नाम पते नोट कर लिए हैं.
फिलहाल संत महाराज विमद सागर ने आत्महत्या क्यों की इसको लेकर समाज में भी कौतूहल का विषय बना हुआ है. वहीं पुलिस भी आत्महत्या के कारणों को जानने के लिए जांच करने में जुटी है. पुलिस और प्रशासन की निगरानी में देर रात संत का पोस्टमार्टम किया गया. पीएम के बाद पुलिस ने शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया. रविवार सुबह विधि-विधान से संत का अंतिम संस्कार किया गया.
गोमट गिरी के पास समर्थ सिटी में हुआ अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम करने के बाद संत महाराज विमद सागर के शव को जैन समाज के पदाधिकारियों के सुपुर्द कर दी गई. इसके बाद रविवार सुबह ही जैन समाज के पदाधिकारियों ने गोमट गिरी स्थित समर्थ सिटी में संत का अंतिम संस्कार किया.
जैन संत ने की आत्महत्या, चातुर्मास पर आए थे संत विमद सागर महाराज
दिगंबर जैन संत ने लगाई फांसी
घटना इंदौर के परदेशीपुरा थाना क्षेत्र के नंदा नगर की है. नंदा नगर में जैन मंदिर के पास एक धर्मशाला में दिगंबर जैन संत आचार्य 108 विमद सागर महाराज ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. विमद सागर महाराज मूल रूप से सागर के रहने वाले थे. जब वे काफी देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकले तो वहीं रहने वाले कुछ संतों ने उनके कमरे में जाकर देखा, जहां उनका शव फांसी पर लटका हुआ पाया गया.
चातुर्मास के लिए आए थे इंदौर
परदेशीपुरा थाना प्रभारी पंकज द्विवेदी ने बताया कि "महाराज विमद सागर सागर के रहने वाले थे और चातुर्मास के लिए इंदौर आए हुए थे. चातुर्मास के दौरान वह इंदौर के ही एरोड्रम थाना क्षेत्र स्थित लीडस बिल्डिंग में गए हुए थे और वहां से 3 दिन पहले ही वापस नंदा नगर स्थित मंदिर में लौटे थे. फिलहाल जिस कक्ष में उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या की उसमें किसी तरह का कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. कमरे का दरवाजा भी अंदर से ही बंद था. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है."
दिल दहला देने वाली घटना: SI ने सर्विस रिवाल्वर से पहले पत्नी को मारी गोली, फिर खुद को भी उड़ा दिया
कई सालों पहले ली थी दीक्षा
संत विमद सागर महाराज ने कई सालों पहले दीक्षा ली थी. उसके बाद वे आचार्य बन गए. विमद सागर मूल रूप से सागर के रहने वाले थे. उनके पिता वहीं पर मलेरिया इंस्पेक्टर के रूप में पदस्थ थे. विमद सागर महाराज के परिवार में उनके अलावा 3 बहनें और एक भाई भी मौजूद है. उनका भाई बैंक में मैनेजर है. विमद सागर महाराज के बारे में बताया जाता है कि वे स्पोर्ट्स में काफी रूचि रखते थे, साथ ही अपने अनुयायियों के प्रति उनका व्यवहार भी काफी मिलनसार था.