इंदौर। कर्नाटक में बजरंग दल को प्रतिबंधित करने के फैसले पर कांग्रेस सरकार के गठन से पहले ही विश्व हिंदू परिषद ने कर्नाटक कांग्रेस के खिलाफ लामबंदी शुरू कर दी है. विहिप ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर खेद जताया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कर्नाटक में बजरंग दल को मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण प्रतिबंधित किया गया तो वे बजरंग दल के साथ सड़कों पर उतरने को तैयार हैं. विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने इंदौर में यह चेतावनी कर्नाटक की नवनिर्वाचित हुई सरकार को दी है.
हिंदू हित के लोग करें मतदान: इंदौर के प्रीतमलाल दुआ सभागृह में गौ रक्षा के संकल्प के शुभारंभ पर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि "सत्ता में हमेशा हिंदू हित की चिंता करने वाले लोगों को बैठना चाहिए. चाहे वह राज्य में हो या केंद्र में, अगर हिंदू विरोधी लोग कर्नाटक की तरह सत्ता में बैठेंगे तो हिंदू हित का नुकसान करने वाले विषय ऐसे सत्ताधारी दलों के हाथ में आएंगे." महामंत्री मिलिंद परांडे ने आरोप लगाते हुए कहा कि "कर्नाटक सरकार का मन हिंदू हित के बारे में शुद्ध नहीं है. यह अच्छी बात नहीं है कि ऐसा विचार रखने वाले लोग अब पॉलिसी मेकर बनेंगे." कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के सवाल पर उन्होंने कहा कि "वहां 3 दल है. राजनीति अपने हिसाब से चलती है. कई लोग मतदान नहीं करते इसलिए अच्छा सोचने वाले लोगों को सिर्फ सोचना नहीं चाहिए बल्कि हिंदू हित के लिए बाहर निकल कर मतदान भी करना चाहिए."
सड़कों पर उतरने के लिए तैयार: पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में 'द केरल स्टोरी' फिल्म को बैन करने के सवाल पर मिलिंद परांडे ने कहा कि "बजरंग दल को प्रतिबंधित करना हो या फिर 'द केरल स्टोरी' को प्रतिबंधित करना यह सब मुस्लिम तुष्टिकरण का परिणाम है. कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध की स्थिति में अगर हिंदू हित प्रभावित हुआ या बजरंग दल की राष्ट्रवादी विचारधारा पर कोई भी संकट आया तो हम सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं. कांग्रेस और कर्नाटक की इन धमकियों से हम डरने वाले नहीं हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए जो भी मार्ग होंगे हम उनको अपनाएंगे. धर्म, रक्षा और देश की संस्कृति और समाज के लिए हमें जो कुछ करना होगा हम करेंगे."
गोवध पर प्रतिबंध जरूरी: हिंदू परिषद के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने स्वीकार किया कि "पश्चिम बंगाल, गोवा और केरल तीनों जगह में विहिप भी गोवध पर प्रतिबंध नहीं लगा पाया क्योंकि यहां राजनीतिक दलों की सरकार है. जहां जोड़-तोड़ की राजनीति चालू हो जाती है तो मूल्यों का नुकसान होता है. मध्यप्रदेश में ही नहीं सभी राज्यों में गौ तस्करी हो रही है, इसे रोकने के लिए लोगों को मैदान संभालना होगा."
केरल की लड़कियां भी लव जिहाद की शिकार: विश्व हिंदू परिषद के मुताबिक लव जिहाद जैसी बुरी घटना अपनी विचारधारा के आधार पर मुस्लिम समाज का एक वर्ग स्वीकार करता है. उस समाज के हुक सोल्जर यह काम खुलकर करते हैं. यह लोग धर्म का आधार और सीख बताकर कि हमें यह काम करना है, लव जिहाद हमको करना है इसलिए करते हैं. 'द केरल स्टोरी' जैसी फिल्में इस वजह से लिखी गई क्योंकि लव जिहाद हो रहा है. हिंदू ही नहीं केरल में तो हजारों क्रिश्चियन लड़कियों को भी टारगेट किया जा रहा है. वहां के कैथोलिक और विशप एसोसिएशन ने गृह मंत्रालय को बाकायदा पत्र लिखकर कार्रवाई करने के लिए यह जानकारी भेजी है. मुस्लिम समुदाय के लव जिहाद समर्थक लोग हिंदू महिला और लड़कियों के लिए खतरा हैं, लेकिन जिस देश में 80 करोड़ हिंदू रहता है वहां इनके भावना के बारे में नहीं सोचना इससे बड़ा कोई अपराध नहीं है. महामंत्री मिलिंद परांडे ने गो रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय कानून बनाने की मांग की है, जिसके लिए बाकायदा जन जागरण अभियान भी चल रहा है.
हिंदू संतों का विरोध सरकारों के लिए सॉफ्ट टारगेट: बिहार में बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की कथा को लेकर बवाल मचा था. इससे जुड़े सवाल पर मिलिंद परांडे ने कहा कि "जब उत्तराखंड में अवैध मजारे निकाली गई तो एक भी मजार में कोई मुर्दा नहीं निकला. आज इतने सारे पादरी कानून तोड़कर धर्मांतरण कर रहे हैं तो कोई पार्टी के खिलाफ क्यों नहीं बोलता. मंदिरों के ऊपर सरकारी नियंत्रण है. मस्जिद और चर्च पर क्यों नहीं, यह जो पक्षपातपूर्ण कार्रवाई हो रही है उस पर लोगों को ध्यान देना चाहिए और इस मामले में सभी पर एक जैसी कार्रवाई होनी चाहिए."
हिंदू संस्कृति के खिलाफ है समलैंगिक विवाह: मिलिंद परांडे ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक कानून पर जारी बहस को लेकर कहा कि "विहिप की इसमें सहमति नहीं है क्योंकि देश के सभी साधु-संतों ने इसे अप्राकृतिक बताकर इसका विरोध किया है. हमारे यहां विवाह वृद्धि का आधार है. समलैंगिक विवाह में वंश-वृद्धि नहीं होती इसलिए ऐसे विवाह मान्य नहीं है. समलैंगिक विवाह करने वाले लोग अगर बच्चे गोद लेंगे तो उसमें भी गंदे संस्कार होंगे. इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा इसलिए ये सारी बातें गलत है. ऐसे विषयों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना उचित नहीं है. शादी हिंदुओं के लिए हजारों सालों की परंपरा है इसलिए हिंदुओं से पूछे बिना कोई निर्णय लेना ठीक नहीं है. हमने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि इस मामले में सुनवाई को लेकर जल्दबाजी न करें."