इंदौर। महू में पुलिस गोलीबारी का शिकार हुए आदिवासी भेरूलाल की मौत का मातम मनाने हर दल का नेता उसके घर पहुंचा. बड़े-बड़े वादे किए, मीडिया में तस्वीरें खिंचाईं. लेकिन मामले के मीडिया की सुर्खियों से हटते ही भेरूलाल का परिवार दोबारा उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर है. जिस गांव में यह परिवार रहता है, वहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली की. यही वजह है कि यह आदिवासी परिवार ही नहीं, उनका पूरा गांव सरकार से अब भी मूलभूत सुविधाओं की मांग करता नजर आ रहा है.
हेलीपैड बना लेकिन नहीं बन पाई सड़कः राजनीति चमकाने नेता गांव में आए तो हेलिपैड भी बना. लेकिन उनके यहां से निकलते ही मृतक के घर तक पहुंचने के लिए कच्ची सड़क भी नहीं बन पाई है. भेरूलाल का घर खेत में बना है. मुख्य सड़क से करीब 500 मीटर पैदल चलकर ही यहां पहुंचना होता है. हालांकि, बताया गया है कि अब पंचायत स्तर पर एक मार्ग बनाने का प्रयास शुरू किया गया है.
मृतक ही नहीं, पिता पर भी एफआईआरः इंदौर पुलिस ने इस मामले में भेरूलाल की मौत होने के बावजूद उस पर धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया है. वहीं, मृतक आदिवासी युवती के माता-पिता के खिलाफ भी इसी धारा के तहत FIR दर्ज की गई है.
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आदिवासी अंचल का वोट बैंकः मालवा-निमाड़ को सत्ता का गलियारा माना जाता है क्योंकि 230 विधानसभा सीटों में से 66 सीटें मालवा-निमाड़ के इंदौर-उज्जैन संभाग के 15 जिलों में आती हैं. 2018 में कांग्रेस ने यहां 66 में से 35 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता हासिल की थी. इन सीटों पर आदिवासी और दलित वोट बैंक निर्णायक भूमिका अदा करता है.