इंदौर। पाकिस्तान से भारत आई गीता को उनके परिवार से मिलाने के लिए इंदौर पुलिस ने कई तरह के जतन किए और आखिरकार परभणी में रहने वाले एक परिवार ने गीता को अपनी बेटी माना था. इसी क्रम में परभणी में ही एक संस्था में रखकर गीता को उसके परिवार से मेल मुलाकात करवाई जा रही है. वह महाराष्ट्र के परभणी में ही रह रही है. इस बीच इंदौर आईजी ने गीता से बात की और हालचाल जाना.
गीता को महाराष्ट्र में मिला नया परिवार
पाकिस्तान से भारत आई गीता को महाराष्ट्र में उसे एक परिवार मिला है, जो कि संभवत उसी का परिवार है. हालांकि अभी इस परिवार का डीएनए टेस्ट नहीं हुआ है. इंदौर में मंगलवार को आईजी हरिनारायण चारी मिश्र ने साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र पुरोहित और मोनिका पुरोहित के साथ वीडियो कॉल के माध्यम से गीता से चर्चा की.
साइन लैंग्वेज में आईजी ने की गीता से बात
आईजी ने अपनी बातों को गीता के सामने रखा तो वहीं उनकी बातों को साइन लैंग्वेज में कन्वर्ट कर लैंग्वेज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र पुरोहित ने गीता तक आईजी की बात पहुंचाई. गीता ने इंदौर पुलिस और यहां के लोगों का मदद के लिए धन्यवाद दिया.
आईजी ने किया हर संभव मदद का दावा
आईजी ने कहा कि जिस प्रकार की हिम्मत उन्होंने अपने माता-पिता को ढूंढने में दिखाई है और पुलिस ने सपोर्ट किया है. उससे ही वह अपने माता-पिता तक पहुंचने में कामयाब होंगी. उन्होंने कहा कि गीता अपनी पढ़ाई जारी रखे. उसे पढ़ लिखकर एक जिम्मेदार नागरिक बनना है.
गीता के नए परिवार का डीएनए टेस्ट होना बाकी
साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि फिलहाल जो परिवार मिला है गीता ने उस परिवार को अपनाना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी उनका डीएनए टेस्ट होना बाकी है. वह एनजीओ के साथ रहकर वहां कुछ हुनर के काम सीख रही है. ताकि बाद में भी वह किसी पर बोझ की तरह न रहे और अपनी जिम्मेदारी वह खुद उठा सके.
नए परिवार के साथ घुलने मिलने लगी गीता
इन्दौर पुलिस और ज्ञानेंद्र पुरोहित ने अपनी संस्था के माध्यम से गीता को उसके परिजनों से मिलाने के लिए कई तरह के अभियान शुरू किए. अब एक परिवार ने गीता को अपनी बेटी माना है. गीता भी उस परिवार के साथ घुलमिल गई है.
संस्था गीता को सरकारी नौकरी दिलाने के लिए प्रयासरत
ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि अब गीता को उसके पैरों पर खड़ा करना है. इसके लिए उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से गीता को सरकारी नौकरी देने की गुजारिश की है. ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है कि कोरोना को देखते हुए वह अभी तक विभिन्न जगहों पर प्रयास नहीं कर पाए थे, लेकिन अब जिस तरह से कोरोना का असर कम हुआ है. जल्द ही गीता को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिए वह अपने अभियान की शुरुआत करेंगे.
पाकिस्तान से आई गीता को मिला परिवार, अब कम्प्यूटर सीखाकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
आईजी से बातचीत के दौरान गीता काफी रिलैक्स मूड में नजर आई. आईजी ने भी गीता को आश्वासन दिया है कि वह उसकी हर संभव मदद करते रहेंगे. बता दे कि इंदौर आईजी ने ही गीता को उसके परिवार से मिलाने के लिए अलग-अलग तरह के प्रयोग किए थे. वह प्रयोग अब सार्थक होते नजर आ रहे हैं.